इंक्रीमेंट की कीमत पर आइएसएम निदेशक को एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम से मिली मुक्ति
प्रो. राजीव शेखर के अलावा प्रो. सीएस उपाध्याय, प्रो. ईशान शर्मा, प्रो. संजय मित्तल सहित दस से ज्यादा प्रोफेसरों ने नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगा शिकायत की थी।
धनबाद, जेएनएन।अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के फंदे में फंसे आइआइटी-आइएसएम धनबाद के निदेशक प्रो. राजीव शेखर को मुक्ति मिल गई है। हालांकि यह मुक्ति इंक्रीमेंट की कीमत पर मिली है। आईआईटी कानपुर की बोर्ड ऑफ गवर्नेंस (बीओजी) ने प्रो. राजीव शेखर की इंक्रीमेंट रोकने का निर्णय लिया है।
क्या है मामलाः जनवरी 2018 में आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभाग में डॉ. सडरेला को बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति मिली थी। आरोप है कि आईआईटी धनबाद के निदेशक बनाए गए प्रो. राजीव शेखर के अलावा प्रो. सीएस उपाध्याय, प्रो. ईशान शर्मा, प्रो. संजय मित्तल सहित दस से ज्यादा प्रोफेसरों ने नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए तत्कालीन निदेशक से निंदा की थी। इसके कुछ दिनों बाद ही प्रो. सडरेला ने इन प्रोफेसरों पर जातिगत टिप्पणी करने और उत्पीड़न का आरोप लगा दिया था। निदेशक ने पहले इस मामले की जांच एकेटीयू के कुलपति प्रो. विनय पाठक की अध्यक्षता वाली समिति से कराई थी। बाद में संस्थान के बोर्ड ऑफ गर्वनेंस (बीओजी) ने जांच रिटायर्ड जज को सौंप दी थी, जिसमें चारों को दोषी ठहराया गया था।
7 घंटे तक चली बैठक में हुआ निर्णयः आईआईटी कानपुर की बोर्ड ऑफ गवर्नेंस (बीओजी) की शुक्रवार देर रात तक चली बैठक में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुब्रमण्यम सडरेला के उत्पीड़न में दोषी पाए गए तीन प्रोफेसरों को पदावनत करने का फैसला वापस ले लिया गया, लेकिन इंक्रीमेंट रोक दिया गया है। चौथे प्रोफेसर को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। बैठक में सर्विस रूल्स के उलंघन के तहत पूर्व में सुनाई गई सजा पर दोबारा विचार किया गया। बोर्ड ने पूर्व में दोषी ठहराए गए प्रोफेसरों के स्पस्टीकरण पर भी चर्चा की। चारों प्रोफेसरों ने करीब एक-एक हजार पन्नों का जवाब दिया था। इसके कुछ अंश ही शामिल किए गए। घंटों बहस के बाद डिमोट (पदावनत) किए गए तीनों प्रोफेसरों की सजा कम करने का फैसला लिया गया। हालांकि साथ मे तीनों को चेतावनी भी दी गई। बीओजी ने आईआईटी धनबाद के निदेशक प्रो. राजीव शेखर, प्रो. सीएस उपाध्याय और प्रो. संजय मित्तल को राहत दी है। जबकि प्रो. ईशान शर्मा को पूर्व में ही केवल कड़ी चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था।