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IRCTC: गोवा के बाद धनबाद से बेंगलुरू को म‍िलेगी सीधी ट्रेन, नहीं जाना होगा हावड़ा या रांची

धनबाद से गोवा के बाद बेंगलुरू की सीधी ट्रेन मिलने की आस जग गई है। संताल परगना में रेल नेटवर्क का जाल बिछा रही केंद्र सरकार ने इस साल के अंत तक संताल क्षेत्र से छह नई ट्रेनों को चलाने की घोषणा की है।

By Atul SinghEdited By: Published: Sun, 15 May 2022 02:57 PM (IST)Updated: Sun, 15 May 2022 02:57 PM (IST)
IRCTC: गोवा के बाद धनबाद से बेंगलुरू को म‍िलेगी सीधी ट्रेन, नहीं जाना होगा हावड़ा या रांची
धनबाद से गोवा के बाद बेंगलुरू की सीधी ट्रेन मिलने की आस जग गई है।

जागरण संवाददाता, धनबाद : धनबाद से गोवा के बाद बेंगलुरू की सीधी ट्रेन मिलने की आस जग गई है। संताल परगना में रेल नेटवर्क का जाल बिछा रही केंद्र सरकार ने इस साल के अंत तक संताल क्षेत्र से छह नई ट्रेनों को चलाने की घोषणा की है। इनमें देवघर से बेंगलुरू की ट्रेन भी शामिल है। गोवा की तरह बेंगलुरू की ट्रेन भी धनबाद होकर चल सकती है। रेलवे ने इस ट्रेन को धनबाद होकर चलने की मंजूरी दे दी तो संताल के साथ-साथ इस क्षेत्र के यात्रियों को भी बेंगलुरू के लिए रांची या हावड़ा की दौड़ नहीं लगानी होगी। गोड्डा सांसद डा निशिकांत दुबे ने इससे जुड़ी सूचना इंटरनेट मीडिया पर शेयर की है।

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 रक्सौल-हैदराबाद के रूट पर बेंगलुरू की ट्रेन चलने की संभावना

धनबाद होकर दरभंगा-सिकंदराबाद और रक्सौल-हैदराबाद एक्सप्रेस चलती है। जसीडीह से वास्को द गामा के लिए शुरू हुई ट्रेन भी इन्हीं दोनों ट्रेनों के रूट पर चलती है। इससे गोवा के साथ-साथ छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश के लिए भी एक और साप्ताहिक ट्रेन मिल गई है। अब बेंगलुरू की ट्रेन को भी इसी रूट पर चलाया जा सकता है। दरभंगा-सिकंदराबाद एक्सप्रेस मंगलवार और शुक्रवार को चलती है। रक्सौल-हैदराबाद एक्सप्रेस रविवार को चलती है और जसीडीह-वासके द गामा एक्सप्रेस सोमवार को चलती है। सप्ताह के अन्य दिनों में इस रूट पर ट्रेन नहीं है। ऐसे में देवघर से बेंगलुरू के बीच बुधवार, गुरुवार या शनिवार को ट्रेन चलई जा सकती है। 

अभी धनबाद और आसपास के यात्री रांची और हटिया पर निर्भर

बेंगलुरू शिक्षा के साथ-साथ रोजगार का भी बड़ा केंद्र है। यही वजह है कि हर दिन युवाओं की फौज बेंगलुरू पहुंचती है। अभी धनबाद और आसपास के यात्रियों को रांची और हटिया से चलने वाली बेंगलुरू या यशवंतपुर की ट्रेन से ही पहुंचता पड़ता है। ट्रेनें चार महीने पहले बुकिंग शुरू होते ही फुल हो जाती हैं। कंफर्म टिकट मिलना मुश्किल होता है । नई ट्रेन मिल जाने से यात्रियों की दुविधा खत्म होगी। 


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