Jharkhand Assembly Election 2019: लालगढ़ निरसा में अबकी दिलचस्प लड़ाई, भविष्यवाणी करना खतरे से नहीं खाली
मासस से वर्तमान विधायक अरूप चटर्जी भाजपा से पूर्व मंत्री अपर्णा सेनगुप्ता और झामुमो से अशोक मंडल तीनों निरसा विधानसभा के पुराने धुरंधर है।
निरसा [श्रवण कुमार]। राष्ट्रीय राजमार्ग दो दिल्ली से कोलकाता को जोडऩे वाली सड़क और पश्चिम बंगाल का प्रवेश द्वार निरसा का अतीत काफी गौरवशाली रहा है। प. बंगाल में पस्त हो चुके वाम दल का वर्चस्व झारखंड के इस इलाके में लगभग 29 साल से बरकरार है। कभी कांग्रेस की गढ़ रही इस सीट पर 1962 के विधानसभा चुनाव में सीपीआई ने पहली बार सेंधमारी की थी। लेकिन वर्ष 1985 के चुनाव कांग्रेस ने फिर से इस सीट पर वापसी कर ली थी। पांच साल बाद 1990 में वाम दल ने दोबारा इसमें कब्जा जमाया और तब से अब तक उनका झंडा यहां शान से लहरा रहा है। हालांकि, वर्ष 2004-09 छोड़कर इस सीट पर माक्र्सवादी समन्वय समिति यानी मासस पार्टी का ही कब्जा रहा है।
पिता गुरुदास चटर्जी की हत्या के बाद राजनीतिक में कदम रख चुके अरूप ने उपचुनाव में जीत हासिल की थी। इसके बाद वर्ष 2009 से यहां मासस के विधायक अरूप चटर्जी लगातार चुनावी मैदान में हैं। जबकि भाजपा व झामुमो निरसा में वाम दल के इस अभेद दुर्ग को भेदने की कोशिश में जुटी है। वर्तमान में निरसा, कलियासोल व एग्यारकुंड प्रखंड में विभक्त हो चुके इस इलाके में 56 पंचायतें शामिल है। यह झारखंड का सबसे अधिक पंचायत वाला क्षेत्र है। इस बार के चुनावी मैदान में कुल आठ प्रत्याशी यहां से भाग्य अजमा रहे हैैं। लेकिन मुख्य मुकाबला तीन धुरंधरों के बीच है, जो मुकाबला त्रिकोणीय बना रहा है। मासस से वर्तमान विधायक अरूप चटर्जी, भाजपा से पूर्व मंत्री अपर्णा सेनगुप्ता और झामुमो से अशोक मंडल तीनों निरसा विधानसभा के पुराने धुरंधर है। पिछले विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद भी अरूप चटर्जी इस सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब हुए थे। लेकिन, अब उसकी नजर हैट्रिक लगाने पर है। जबकि अपर्णा सेनगुप्ता व अशोक मंडल दो पुराने खिलाडिय़ों से उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है। निरसा से वर्ष 2004 के चुनाव में जीत कर फॉरवर्ड ब्लॉक से विधायक रही अपर्णा सेनगुप्ता इस बार भाजपा के टिकट पर अपना भाग्य अजमा रही है। लेकिन दूसरे दल से भाजपा में आई अर्पणा को टिकट मिलने के बाद पार्टी के अंदरूनी कलह उभर के सामने आ गया है। भाजपा के समक्ष विपक्षियों से अधिक अपनों के भितरघात से बचने की चुनौती है। निरसा विधानसभा से अबतक कमल नहीं खिलना पार्टी के लिए सबसे बड़ी पीड़ा रही है। झामुमो के कद्दावर नेता रहे अशोक मंडल पांचवीं बार यहां से चुनावी मैदान में हैं। मंडल महागठबंधन के उम्मीदवार हैं। झामुमो प्रत्याशी मंडल के पक्ष में राजद और कांग्रेस है। इसलिए मंडल को अबकी बड़ी उम्मीद है।
- तीन बड़े मुददे
1. उद्योग : निरसा कभी कल कारखानों का हब हुआ करता था। लेकिन बदली परिस्थितियों में दर्जनों नामचीन कारखाने बंद हो चुके हैं, जो रोजगार का सबसे बड़ा साधन हुआ करता था। उद्योग के नाम पर महज कुछ गिने चुने उद्योग बच्चे हैैं। नये उद्योग में पिछले पांच सालों में ओम बोस्को लगे, लेकिन आज तक प्रोडक्शन नहीं हो पाया।
2: बरबेंदिया पुल : बराकर नदी पर वर्ष 2009 में करोड़ों की लागत से बना बरबेंदिया पुल पानी तेज बहाव में ध्वस्त हो गया था। इसके निर्माण से जहां निरसा और जामताड़ा के बीच दूरी कम हो जाती। ये अलग बात है कि इस पुल के समीप पर ही 88 करोड़ की लागत से पुल निर्माण की स्वीकृति मिल चुकी है। हालांकि, इसके लिए लोगों को अभी इंतजार करना पड़ेगा।
3. स्वास्थ्य सेवा : पांड्रा में करीब एक दशक बनकर तैयार रेफरल अस्पताल आज तक चालू नहीं हो पाया। तीन लाख मतदाता वाले इस इलाके लोगों के लिए यहां की स्वास्थ्य केंद्र महज छोटी-मोटी बीमारियों के इलाज का केंद्र बनकर रह गया। जबकि बेहतर इलाज के लिए उन्हें धनबाद या आसनसोल जाना पड़ता है।
- क्या कहते प्रत्याशी
पांच वर्षों में निरसा का चहुंमुखी विकास हुआ। जाम से मुक्ति के लिए कुमारधुबी में रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण कराया गया। आइआइटी आइएसएम का सेकेंड कैंपस निरसा में लाने की कोशिश हुई। जलापूर्ति की व्यवस्था की गई। एग्यारकुंड एवं कलियासोल ब्लाक का गठन कराया गया। निरसा की जनता के लिए 365 दिन 24 घंटे सेवा देता रहा हूं और भविष्य में भी देता रहूंगा।
-अरूप चटर्जी, विधायक
विधायक ने विकास के लिए क्या किया उसका हिसाब जनता को दें। राज्य व केंद्र संचालित योजना का फीता काटकर सिर्फ वाहवाही लूटी। उन्हें जबाव देना चाहिए कि ओम बेस्को कारखाना क्या हुआ। बंद कल कारखाने को खोलने के लिए क्या किया गया। इसके बारे जनता जानना चाहती है। मैैं अगर जीत दर्ज करतीं हूं तो मेरे कार्यकाल की अधूरी पड़ी योजनाओं को चालू करवाऊंगी।
-अपर्णा सेनगुप्ता, भाजपा प्रत्याशी
चुनाव आते ही विधायक कभी निरसा को औद्योगिक हब तो कभी केएमसीएल खुलवाने की बात करने लगते हैं। परंतु चुनाव जीतते ही सारे वादे भूल जाते हैं। इस बार यहां की जनता उनके बहकावे में नहीं आने वाली है। वहीं भाजपा घोषणाओं की सरकार है। राज्य के जल, जंगल व जमीन को लूटकर पूंजीपतियों को दिया जा रहा है। झारखंड रोजगार के लिए दूसरे प्रदेश पलायन कर रहे हैं।
-अशोक मंडल, झामुमो प्रत्याशी
निरसा विधानसभा कुल वोटर : 3,03,239
पुरुष वोटर : 160538
महिला वोटर : 142701
2014 का परिणाम
-अरूप चटर्जी, मासस - 51581, वोट प्रतिशत - 25.65
-गणेश मिश्रा, भाजपा - 50546, वोट प्रतिशत - 25.14
-अशोक मंडल, झामुमो- 43329, वोट प्रतिशत -21.55
-अर्पणा सेनगुप्ता, एआइएफबी - 23633, वोट प्रतिशत - 11.75
-अनिता गोराई, निर्दलीय - 11123, वोट प्रतिशत - 5.53