Move to Jagran APP

औद्योगिक कचरा व कार्बन डाइऑक्साइड से बनेगा घर

अब औद्योगिक कचरे और कार्बन डाई ऑक्साइड से बिल्डिंग मैटेरियल तैयार हो रहा है। यह तकनीक यूके के यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रेनेज के वैज्ञानिक प्रो. कॉलिन डी हिल्स ने विकसित की है।

By Edited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 10:17 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 04:31 PM (IST)
औद्योगिक कचरा व कार्बन डाइऑक्साइड से बनेगा घर
औद्योगिक कचरा व कार्बन डाइऑक्साइड से बनेगा घर

धनबाद। बिल्डिंग मैटेरियल के लिए गिट्टी, बालू और सीमेंट की जरूरत पड़ती है, वहीं ईंट निर्माण के लिए मिट्टी को आग में पकाना पड़ता है। पर अब औद्योगिक कचरे और कार्बन डाई ऑक्साइड से बिल्डिंग मैटेरियल तैयार हो रहा है। यह तकनीक यूके के यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रेनेज के वैज्ञानिक प्रो. कॉलिन डी हिल्स ने विकसित की है। धनबाद पहुंचे प्रो. हिल्स ने सिंफर अतिथिगृह में बातचीत के दौरान बताया कि यूके के सफॉक, एबॉनमाउथ और यॉकशेयर में इस तकनीक से उत्पादन शुरू हो चुका है। तीन अन्य जगहों पर भी जल्द शुरू होगा।

loksabha election banner

भारत में गुजरात के चंदन स्टील में औद्योगिक कचरे से बिल्डिंग मैटेरियल का निर्माण करने में सफलता मिली है। हालांकि फिलहाल वाणिज्यिक तौर पर उत्पादन शुरू नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल मिट्टी का उपयोग और क्षरण रुकेगा बल्कि पर्यावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा भी कम होगी। ऐसे बन रहा बिल्डिंग मैटेरियल औद्योगिक कचरे से बिल्डिंग मैटेरियल बनाने के लिए अस्लर्टेड कार्बोनेशन टेक्नोलॉजी अपनाई जा रही है। इसके तहत औद्योगिक कचरे में कार्बन डाई ऑक्साइड को मिलाया जा रहा है। इसके मिलने से जो प्रतिक्रिया हो रही है उससे अलग-अलग बिल्डिंग मैटेरियल तैयार हो रहे हैं।

यूके यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रेनेज के रिसर्च स्कॉलर डॉ. निमिषा त्रिपाठी के अनुसार, स्टील के कचड़े से 16 फीसद तक कार्बन डाई ऑक्साइड का रिएक्शन हो रहा है जिसे 30 प्रतिशत तक करने का प्रयास जारी है। कच्चा माल तैयार करने में सिंफर कर रहा मदद भारत में इस तकनीक को विस्तार देने के लिए केंद्रीय खनन एवं ईधन अनुसंधान संस्थान सिंफर में इंडो-यूके सेंटर फॉर इंवायरंमेंट एंड इंनोवेशन की स्थापना की गई है। सेंटर हेड डॉ. राज शेखर सिंह ने बताया कि राजस्थान के उदयपुर में यूके की रॉयल सोसाइटी और विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय की ओर से सेमिनार का आयोजन हुआ था। उसी दौरान सिंफर में सेंटर स्थापित करने पर सहमति बनी थी।

धनबाद में सेंटर संचालन शुरू होने के बाद चंदन स्टील ने संपर्क किया और इस तकनीक से बिल्डिंग मैटेरियल का उत्पादन शुरू किया। वहां हो रहे उत्पादन में सिंफर वैज्ञानिक मदद कर रहे हैं। ईट से गिट्टी तक का विकल्प प्रो. हिल्स ने बताया कि इस तकनीक से कई प्रकार के बिल्डिंग मैटेरियल तैयार किये जा सकते हैं। ईट से लेकर गिट्टी तक का निर्माण मुमकिन है। बड़े पीलर के तौर पर भी इसका निर्माण संभव है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.