सेवा के नाम पर मेवा खाने वाले धर्मार्थ संस्थाओं पर कसेगा शिकंजा, जानिए
धार्मिक व सामाजिक संगठन यदि रजिस्टर्ड नहीं हैं तो उन्हें मिली 50 हजार से अधिक की राशि टैक्स के दायरे में आएगी और संबंधित संस्थान को आयकर चुकाना होगा।
धनबाद, जेएनएन। धर्मार्थ, शिक्षा और सेवा के नाम पर आयकर छूट लेने वाले ट्रस्टों के खिलाफ अब आयकर विभाग बड़े पैमाने पर कार्रवाई करने जा रहा है। ये ट्रस्ट सेवा नहीं कर रहे, लेकिन छूट जरूर ले रहे हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की ओर से सहमति के मिलने के बाद आयकर विभाग ने ऐसे ट्रस्ट की सूची बनानी शुरू कर दी है। ट्रस्ट द्वारा सामाजिक कार्यों पर खर्च न कर आय का दुरुपयोग किया जा रहा है। सेंट्रल एक्शन प्लान में भी ऐसे ट्रस्टों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई प्रस्तावित है। आयकर विभाग धनबाद प्रक्षेत्र में कई ट्रस्ट करोड़ों की आय पर आयकर छूट ले रहे हैं। इसमें कई शिक्षण संस्थान, धर्म-कर्म में लगी संस्थाएं और एनजीओ भी शामिल हैं। आयकर विभाग के अनुसार इनका कार्य सेवा न रहकर सिर्फ आयकर में छूट लेना रह गया है, जबकि इसमें प्रावधान है कि छूट की रकम आप सेवार्थ ही खर्च करेंगे।
दान की राशि लेने से पहले बनाना होगा रजिस्टर्ड ट्रस्टः धार्मिक व सामाजिक संगठन यदि रजिस्टर्ड नहीं हैं, तो उन्हें मिली 50 हजार से अधिक की राशि टैक्स के दायरे में आएगी और संबंधित संस्थान को आयकर चुकाना होगा। यदि कोई संस्था मंदिर, मठ या कोई भी धर्मस्थल बनाती है तो उसे चाहिए कि पहले वह रजिस्टर्ड ट्रस्ट बनाए। फिर दान की राशि ले। यदि धर्मस्थल पहले बन गया और रजिस्ट्रेशन बाद में कराया तो धर्मस्थल बनाने के लिए मिला पूरा दान टैक्स के दायरे में आएगा। इसके लिए आयकर की धारा 12 (ए) में छूट भी मिलती है।
तेज होंगे टीडीएस सर्वेः आयकर विभाग के अनुसार कई विभागों में कार्रवाई के दौरान पता चला कि टीडीएस बचत में डीडीओ ने गड़बडिय़ां की हैं। सरकारी विभागों में टीडीएस की गड़बडिय़ां ज्यादा हैं, इसलिए इनके खिलाफ बड़ी कार्रवाई होगी। जल्द ही इसकी शुरुआत होगी। इसमें किसी भी सरकारी विभाग को बख्शा नहीं जाएगा।