पाताल के इस दरबार में नहीं होती महामाई की आरती
कर्मी जितेंद्र मिश्रा बताते हैं कि इस कोलियरी में मां की प्रतिमा विराजमान है। डोली से मजदूर खदान में जाते हैं। डोली रुकती है वहां से कार्यस्थल की ओर जाने की सुरंग होती है
धनबाद, राजीव शुक्ला। वातावरण में अगरबत्तियों के जलने की महक, घंटों की गूंज, भजनों का स्वर, आरती लेने के लिए भक्तों की ललक, प्रसाद चढ़ाते लोग। ऐसा ही होता है मंदिरों का नजारा। मंदिर में आरती, भजन और प्रार्थना अनिवार्य है। सनातन धर्म में आरती और दीपक जलाना अहम परंपरा है। पर, ऐसे भी मंदिर हैं जहां आरती पर प्रतिबंध है। न तो आप वहां महामाई की आरती कर सकते हैं, न अगरबत्ती जला सकते हैं। चौंकिए नहीं यह सच्चाई है। कोयलांचल में जमीन के सैकड़ों मीटर नीचे बसी कोयला खदानों की दुनिया में ऐसा होता है। हर खदान में मां काली की प्रतिमा है। यहां पूजा होती है। प्रसाद चढ़ता है। पर, आरती नहीं करते। सुरक्षा मानकों के कारण आरती और अगरबत्ती जलाने पर प्रतिबंध है।
धनबाद स्थित सेल की चासनाला कोयला खदान में कार्यरत कर्मी जितेंद्र मिश्रा बताते हैं कि इस कोलियरी में मां की प्रतिमा विराजमान है। डोली (लिफ्ट) से मजदूर खदान में जाते हैं। जिस जगह डोली रुकती है वहां से कार्यस्थल की ओर जाने की सुरंग होती है। डोली रुकते ही सबसे पहले मां की प्रतिमा या तस्वीर के दर्शन होंगे। यहां प्रसाद चढ़ाकर प्रार्थना कर सकते हैं पर आरती नहीं। मां पर श्रमिकों की गजब की आस्था है। इसलिए खदान में प्रतिमा स्थापित कर खदान की सुरक्षा की प्रार्थना की जाती है। हर शनिवार और अमावस्या को चासनाला में मां की विशेष पूजा होती है।
बलि के रूप में मां के समक्ष फोड़ा जाता नारियलः भारत कोकिंग कोल लिमिटेड की नार्थ तिसरा एलयूजी पिट भूमिगत कोयला खदान में वर्षों काम कर चुके भोला पासवान ने बताया कि खदान के अंदर जो मजदूर जाता है, पहले मां के दर्शन करता है, उसके बाद ही आगे बढ़ता है। मां की तस्वीर पर पुष्प अर्पण के साथ प्रसाद चढ़ाया जाता है। बलि के रूप में नारियल फोड़ा जाता है।
इसलिए नहीं होती मां की आरती : कोयला ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। खदानों में मौजूद कोयले के कारण मीथेन समेत कई ज्वलनशील गैसें उत्पन्न होती हैं। भूमिगत खदानों में डिग्री थ्री (गैसीय खदान) आग के मामले में सबसे ज्यादा संवेदनशील होती है। खदानों में गैस की मौजूदगी के कारण आरती और अगरबत्ती जलाने पर प्रतिबंध होता है। क्योंकि गैस आग के संपर्क में आएगी तो विस्फोट हो जाएगा। यही कारण है कि खदानों में माचिस, मोबाइल, कैमरा तक ले जाने पर प्रतिबंध है।
सुरक्षा मानकों के तहत खदान में आरती नहीं की जाती। अगरबत्ती नहीं जलाई जाती। यहां जो उपकरण लगाए गए हैं उनमें भी ऐसी व्यवस्था है कि कोई चिंगारी तक न निकले।
विंध्याचल सिंह, परियोजना पदाधिकारी, राजापुर परियोजना, बीसीसीएल