कैप्स्यूल गिल की याद में पुरस्कार देगा आइएसएम
धनबाद आइआइटी इंडियन स्कूल ऑफ माइंस धनबाद के 1965 बैच के छात्र जसवंत सिंह गिल को संस्थान ने सम्मान दिया है। गिल के निधन के बाद इस पूर्ववर्ती छात्र के नाम से पुरस्कार देने का निर्णय लिया है।
धनबाद : आइआइटी इंडियन स्कूल ऑफ माइंस धनबाद के 1965 बैच के छात्र जसवंत सिंह गिल को संस्थान ने सम्मान दिया है। गिल के निधन के बाद इस पूर्ववर्ती छात्र के नाम से पुरस्कार देने का निर्णय लिया है। जसवंत सिंह गिल मेमोरियल इंडस्ट्रियल सेफ्टी एक्सीलेंस अवार्ड इसी वर्ष से चयनित छात्र को दिया जाएगा। कैप्स्यूल गिल के नाम से चर्चित जसवंत ने रानीगंज की खदान में फंसे मजदूरों की तकनीक से सुसज्जित कैप्स्यूल बनाकर जान बचाई थी। अपने इस काम से वे रियल हीरो बन गए थे। संस्थान का मानना है कि उनका काम ऐतिहासिक था। भारतीय उद्योग में सुरक्षा मानकों में सुधार के लिए व प्रौद्योगिकी विकास के लिए यह पुरस्कार शुरू किया गया। औद्योगिक सुरक्षा में सुधार के लिए स्वदेशी तकनीक और तकनीक के विकास में महत्वपूर्ण योगदान के बिंदुओं के आधार पर पुरस्कार दिया जाएगा। पुरस्कार के तहत 50,000 हजार रुपये, और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा। निदेशक प्रो. राजीव शेखर ने बताया कि हमारे छात्र गिल ने संस्थान को गौरव दिलाया। इस पुरस्कार के माध्यम से वे हमेशा याद रखे जाएंगे।
महावीर खदान के मजदूरों की बचाई थी जान :
13 नवंबर 1989 में पश्चिम बंगाल के रानीगंज की महावीर खदान में पानी भरने से 64 मजदूर फंस गए थे। छह की मौत हो गई थी। खदान के अधिकारी जसवंत सिंह गिल ने स्टील का कैप्स्यूल बनाकर छह घंटे सभी को निकाल लिया था। यह ऑपरेशन दुनिया के बड़े कोयला खदान बचाव अभियान में से एक था। बाद में इस विधि से कई देशों ने अपने मजदूरों को संकट काल में बचाया था। नवंबर 2019 में 79 वर्ष की उम्र में उनका निधन अमृतसर में हो गया।