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आइआइटी में अब एचओडी ही तय करेंगे फैकल्टी

धनबाद: शैक्षणिक स्तर को और बेहतर बनाकर ही नंबर एक पायदान की ओर अग्रसर हो सकते हैं

By Edited By: Published: Thu, 05 Apr 2018 11:53 AM (IST)Updated: Thu, 05 Apr 2018 11:53 AM (IST)
आइआइटी में अब एचओडी ही तय करेंगे फैकल्टी
आइआइटी में अब एचओडी ही तय करेंगे फैकल्टी

धनबाद: शैक्षणिक स्तर को और बेहतर बनाकर ही नंबर एक पायदान की ओर अग्रसर हो सकते हैं और यह तभी होगा जब प्रोफेसर शिक्षा पर अधिक से अधिक अपना ध्यान केंद्रित करें ताकि गुणवत्तायुक्त शिक्षा छात्रों को दी जा सके। यह बातें बुधवार को आइआइटी आइएसएम के निदेशक प्रो. राजीव शेखर ने सभी विभागों के प्रोफेसर से कही। निदेशक के रूप में पदभार लेने के बाद प्रो. शेखर पहली बार संस्थान के प्रोफेसर से न केवल बातचीत की बल्कि संस्थान के विकास के लिए आवश्यक व महत्वपूर्ण सुझाव भी देने को कहा। प्रो. शेखर ने कहा कि संस्थान में फैकल्टी (प्रोफेसर) की कमी है।

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नए प्रोफेसर की बहाली की जाएगी। उन्होंने अपना विचार शेयर करते हुए कहा कि नए प्रोफेसर की बहाली में निदेशक का हस्तक्षेप न हो तो बेहतर होगा। जो भी आवेदक आएं, वे संबंधित विभाग में अपना एक दिन का समय दें, ताकि विभाग के दूसरे प्रोफेसर सदस्य व छात्र की गुणवत्ता को समझ व देख सकें। यदि वे उनके लिए बेहतर हैं जो इसका सुझाव भेजें। इसके बाद चयन प्रक्रिया की कार्रवाई शुरू की जा सके। यही बात उन्होंने विभागाध्यक्षों के चयन को लेकर भी कही कि सभी प्रोफेसर की आम राय जिसके प्रति हो, उसका नाम विभागाध्यक्ष के लिए भेजा जाए। ताकि विभाग बेहतर तालमेल के साथ और आगे बढ़ सके। प्रो. शेखर ने कहा कि कुछ वित्तीय कारणों से इस वर्ष जूनियर रिसर्च फेलोशिप में 150 छात्रों को ही लिया जाएगा और धीरे-धीरे इसकी संख्या बढ़ाई जाएगी। बताते चलें कि प्रत्येक वर्ष 250 छात्रों का नामांकन लिया जाता रहा है। ये होंगे बदलाव - चयन व प्रमोशन के लिए बनेगी नई पॉलिसी - गुणवत्ता व प्रदर्शन के आधार पर होगा प्रमोशन - छात्रावास में आगमन व प्रस्थान के लिए होगी एक एंट्री - छात्रावासों की स्थिति में गुणवत्तायुक्त सुधार - सभी छात्रावास के अलावा मुख्य द्वार, धैया गेट पर लगेगा सीसीटीवी कैमरा - परीक्षा के एक सप्ताह पहले देना होगा छात्रों का फीडबैक - अनुशासन को दी जाएगी पहली प्राथमिकता अब आइआइटी आइएसएम में होगा नया कल्चर: आइआइटी आइएसएम के निदेशक प्रो. राजीव शेखर ने कहा कि किसी भी संस्थान के मौजूदा कल्चर में अचानक बदलाव करने से काफी कुछ प्रभावित होने लगता है। पहले यहां आइएसएम का कल्चर था। उसके बाद आइआइटी बना और यहां आइआइटी का कल्चर विकसित हुआ। दो अलग-अलग कल्चर से संस्थान पर सकारात्मक व नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ा। उन्होंने कहा कि कल्चर एक होना चाहिए। अब यहां न आइएसएम और न आइआइटी बल्कि आइआइटी आइएसएम का एक नया कल्चर विकसित किया जाएगा। इसमें थोड़ा समय लगेगा पर आने वाले समय में इस नए कल्चर का असर देखने को मिलेगा।


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