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दस्तावेज संग गायब हुई लाडली की लक्ष्मी... आठ साल में 403 बच्चियों को मिली योजना की स्वीकृति, केवल 71 के मौजूद हैं दस्तावेज

बासुकीनाथ रक्षित की बेटी विपाशा के नाम को 2011 में स्वीकृति मिली दूसरी बेटी राशि का नाम भी 2015 में आ गया मगर राशि रक्षित का ही प्रमाणपत्र मिला। संजय सेन की पुत्री काजोल का भी योजना में नाम आया मगर लाभ नहीं मिला।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 17 Jul 2021 11:53 AM (IST)Updated: Sat, 17 Jul 2021 11:53 AM (IST)
दस्तावेज संग गायब हुई लाडली की लक्ष्मी... आठ साल में 403 बच्चियों को मिली योजना की स्वीकृति, केवल 71 के मौजूद हैं दस्तावेज
2011 में गरीब परिवारों की बेटियों के लिए योजना प्रारंभ।

डा. प्रणेश/पवन गुप्ता, साहिबगंज। बोरियो बाजार की रेखा देवी। लापरवाही की पराकाष्ठा की नजीर बन चुके सिस्टम ने उनको ऐसी चोट दी है कि उनके आंसू थम नहीं रहे हैं। बेटियों के भविष्य का जो सवाल है। साल 2011 में जुड़वा बेटियों रीति व प्रीति के नाम लाडली योजना की स्वीकृति हुई थी। बाल विकास परियोजना कार्यालय से प्रीति के नाम पर छह हजार रुपये का राष्ट्रीय बचत पत्र मिला। रीति का कोई दस्तावेज कार्यालय में नहीं है। दोनों को एक साथ इस योजना में शामिल किया गया। सिर्फ रीति ही नहीं, बोरियो प्रखंड में 332 ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें लाभुकों के दस्तावेज गायब हैं। जिले में नौ प्रखंड हैं, यदि जांच हो तो यह आंकड़ा हजारों में पहुंच जाएगा। 2011 में शुरू हुई मुख्यमंत्री लक्ष्मी लाडली योजना में बोरियो प्रखंड में 403 बच्चियों का निबंधन हुआ था। 71 को छह-छह हजार रुपये का नेशनल सेङ्क्षवग सर्टिफिकेट मिला।

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यह है मुख्यमंत्री लक्ष्मी लाडली योजना

झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने 2011 में गरीब परिवारों की बेटियों के लिए योजना प्रारंभ की। 15 नवंबर, 2010 के बाद जन्मी बेटियों का लाभ मिलना था। जन्म से लेकर पांच साल तक प्रतिवर्ष छह हजार रुपये बच्ची के खाते में सरकार देती। डाकघर में उसका खाता खोलना था। छठी कक्षा में प्रवेश पर दो हजार रुपये और नौवीं में प्रवेश पर चार हजार रुपये का प्रविधान था। 11वीं में पहुंचने पर 7500 रुपये मिलने थे। प्रतिमाह छात्रवृत्ति 200 रुपये भी। 21 वर्ष हो जाने और 12वीं की परीक्षा में सम्मिलित होने पर एकमुश्त एक लाख आठ हजार 600 रुपये मिलने थे। वर्ष 2019 में योजना बंद कर दी गई थी।

हमारी बिटिया के टूट गए सपने

बासुकीनाथ रक्षित की बेटी विपाशा के नाम को 2011 में स्वीकृति मिली, दूसरी बेटी राशि का नाम भी 2015 में आ गया, मगर राशि रक्षित का ही प्रमाणपत्र मिला। संजय सेन की पुत्री काजोल का भी योजना में नाम आया, मगर लाभ नहीं मिला। इन सभी का कहना था कि बिटिया के जिन सपनों को पूरा करने के मकसद से योजना बनी, वह टूट गए। वहीं बाल विकास परियोजना कार्यालय की सुपरवाइजर स्वाति विभाकर कहती हैं कि 71 लोगों के एनएससी वितरित किए हैं। पुराने भवन की अलमारी को खुलवाने को मजिस्ट्रेट नियुक्त किया जा रहा है। उसमें दस्तावेज तलाशे जाएंगे।

दस्तावेज खोजे जा रहे हैं। पूर्व की सीडीपीओ ने दस्तावेज का चार्ज नहीं दिया इससे परेशानी हुई। डीपीओ कार्यालय से सूची मांग रहे हैं।

-रिवा रानी, सीडीपीओ, बोरियो प्रखंड, साहिबगंज

मामला संज्ञान में आया है। कहां कितने का निबंधन हुआ और कितने को लाभ मिला इसकी रिपोर्ट मांगी गई है। उचित कार्रवाई होगी।

-इंदु प्रभा खलखो, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, साहिबगंज 

  • बोरियो में इतनों को मिली स्वीकृति
  • वित्तीय वर्ष लाभुक
  • 2011 - 2012 07
  • 2012 - 2013 95
  • 2013 -2014 33
  • 2014 -2015 93
  • 2015 -2016 64
  • 2016 -2017 69
  • 2017 -2018 24
  • 2019 -2020 18
  • कुल 403

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