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चलने को तो एक पांव से चलते हैं सब लोग, दूसरा भी साथ दे तो और बात है... Dhanbad News

हिन्दी साहित्य विकास परिषद ने अपना 40वां स्थापना दिवस समारोह मनाया। इस माैके पर साहित्य समाजसेवा और कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 02:24 PM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 02:24 PM (IST)
चलने को तो एक पांव से चलते हैं सब लोग, दूसरा भी साथ दे तो और बात है... Dhanbad News
चलने को तो एक पांव से चलते हैं सब लोग, दूसरा भी साथ दे तो और बात है... Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। हिंदी साहित्य विकास परिषद के 40वें  स्थापना दिवस के मौके पर हास्य और व्यंग की कविताओं की महफिल सजी। हरियाणा के कवि अरुण जैमिनी ने अपनी कविता पाठ की शुरुआत एक गंभीर कविता से की। उन्होंने सुनाया की पूरी धारा साथ दे तो और बात है, तू साथ दे तो और बात है, चलने को तो एक पांव से चलते हैं सब लोग, दूसरा भी साथ दे तो और बात है...। इसके बाद उन्होंने अपने पुराने और चिर परिचित अंदाज में सेब के दाम की कविता सुनाई।

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जैमिनी ने कहा कि हिंदी देश की भाषा है। इसका विरोध नही होना चाहिए। प्रताप फौजदार ने अपने चुटीले व्यंगों से लोगों को खूब गुदगुदाया। इससे पूर्व डॉ. लीना सिंह की कहानियों के संग्रह संजीवनी का विमोचन अरुण जैमिनी और प्रताप फौजदार ने किया। डॉ. लीना ने कहा कि उन्होंने अपने चिकित्सक जीवन मे जो देखा और महसूस किया उसे कहानियों का रूप दिया।

हिन्दी साहित्य विकास परिषद ने नौ को किया सम्मानितः हिन्दी साहित्य विकास परिषद ने शनिवार को अपना 40वां स्थापना दिवस समारोह धनबाद क्लब में मनाया। इस दौरान ख्याति प्राप्त साहित्यकारों समेत समाजसेवा और कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले लोगों को सम्मानित भी किया। इस कड़ी में हास्य और व्यंग्य के कवि अरूण जैमिनी और प्रताप फौजदार को दिलीप चंचल काव्य सम्मान, चेतन गोयनका, दिलीप गोपालका और डॉ. निर्मल ड्रोलिया को दिलीप चंचल सेवा सम्मान, बसंत जोशी, सीताराम सिंह को दिलीप चंचल साहित्य सम्मान, शारदा कुमारी गिरि को लोक नाट्य सम्मान और आर्यन प्रिंस को युवा प्रतिभा सम्मान से सम्मानित किया गया। 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर डॉ. संगीता कर्ण, उद्योगपति सुनील तुलस्यान, अनंतनाथ सिंह, बिजय कुमार झा, रमा सिन्हा, श्याम पांडेय समेत काफी संख्या में लोग उपस्थित थे। परिषद सचिव राकेश शर्मा ने स्वागत भाषण में अपने पिता और परिषद संस्थापक स्व. दिलीप चंचल की सुप्रसिद्ध कविता 'राजनीति उच्च कोटि की निकृष्ट कला है, रास आई तो भला नहीं तो भाला है, को प्रस्तुत किया और कहा कि साहित्यकार वर्ग को राज्य सरकार से हिन्दी अकादमी, साहित्य अकादमी और राष्ट्र भाषा परिषद गठन की उम्मीद है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अध्यक्ष संजय आनंद ने कहा कि झारखंड के कवियों एवं साहित्यकारों का एक परिचय ग्रंथ प्रकाशन किया जा रहा है। 


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