दून एक्सप्रेस अग्निकांड : चश्मदीद ने कहा- आंखों के सामने जिंदा जल गया भतीजा, पर कोई मदद को नहीं आया हुजूर Dhanbad News
21 नवंबर 2011 की रात हुए भीषण अग्निकांड मामले में चश्मदीद ने न्यायालय में अपना बयान दर्ज कराया। उस अग्निकांड में ऑस्ट्रेलियाई युवती समेत सात लोगों की जिंदा जलकर मौत हुई थी।
धनबाद, जेएनएन। सात वर्ष पहले मैं देहरादून एक्सप्रेस के बी-वन एसी बोगी में सवार होकर हावड़ा से बनारस जा रहा था। तभी अचानक ट्रेन के बी-वन बोगी में आग लग गई। घटना के दौरान बोगी में रोते चिल्लाते महिलाएं, पुरुषों और बच्चों को देखा था। लोग बचने के लिए शोर मचा रहे थे। मैं और मेरी बहन दया किसी तरह बाहर निकल गए। पर अपनी सीट पर सो रहा मेरा भतीजा आग में घिर गया और ट्रेन में ही जल गया। मेरी आंखो के सामने वह जल कर राख हो गया हूजूर...। पर, कोई बचाने या मदद के लिए नहीं आया। यह कहते-कहते चश्मदीद और घटना के सूचक हसानंद खत्री की आंखें भर आई।
गुरुवार को इस चर्चित अग्निकांड में वे अदालत में अपना बयान दर्ज करा रहे थे। रेलवे के न्यायिक दंडाधिकारी गौरव खुराना की अदालत में उन्होंने आंखों देखी घटना को बयां किया। इसके पूर्व इस अग्निकांड के अन्य चश्मदीद केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डीडी त्रिपाठी व रेलवे अस्पताल के सीएमएस डॉ. वरुण कुमार सिंह भी अदालत में अपना बयान दर्ज करा चुके हैं। अदालत ने सहायक लोक अभियोजक अरुणिमा बबीता मिंज को गवाह प्रस्तुत करने का निर्देश देते हुए अगली तारीख निर्धारित कर दी।
21 नवंबर 11 को बर्निंग ट्रेन बनी थी दून एक्सप्रेस : 21 नवंबर 2011 की रात हावड़ा से देहरादून जाने वाली दून एक्सप्रेस बर्निंग ट्रेन बन गई थी। ट्रेन के बी-वन एसी कोच में अचानक आग लग जाने से सात यात्रियों की मौत आग में झुलस कर हुई थी। कई यात्री बुरी तरह जलकर जख्मी हुए थे। गिरिडीह के निमियाघाट में हुई इस घटना से रेल महकमे में हड़कंप मच गया था। इस अग्निकांड में ऑस्ट्रेलियाई महिला यात्री की भी आग से झुलस कर मौत हुई थी। अलीपुर निवासी हसानंद खत्री उस ट्रेन में सफर कर रहे थे।
उन्हीं के फर्दबयान पर गोमो जीआरपी में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। पुलिस ने इस मामले में आठ सितंबर 13 को आलोक चटर्जी, भोला मजूमदार एवं गोपाल मुखर्जी के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।