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Jharkhand: स्वास्थ्य विभाग में खाली पड़े 85 हजार पदों को भरा जाएगा, मंत्री बोले- अड़चनों को दूर करने की कवायद शुरू

झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग डॉक्टर व पारा मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। कुछ मामले अदालत में हैं इस कारण भी भर्ती नहीं हो पा रही है। सारी अड़चनों को दूर कर बहाली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

By Sagar SinghEdited By: Published: Sun, 04 Oct 2020 04:34 PM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2020 04:34 PM (IST)
Jharkhand: स्वास्थ्य विभाग में खाली पड़े 85 हजार पदों को भरा जाएगा, मंत्री बोले- अड़चनों को दूर करने की कवायद शुरू
मधुपुर जाने के क्रम में रविवार को गिरिडीह नया परिषदन भवन में पत्रकारों से बात करते स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता।

गिरिडीह, जेएनएन। स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर व पारा मेडिकल स्टाफ कर्मियों समेत करीब 85 हजार पद खाली पड़े हैं। खाली पड़े इन पदों को भरने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए राज्य सरकार शीघ्र पहल करेगी। यह बातें सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने रविवार को यहां सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में कहीं। वे अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के अंतिम संस्कार में शामिल होने रांची से मधुपुर जाने के क्रम में यहां कुछ देर के लिए रुके थे।

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मंत्री बन्ना गुप्ता ने यह भी कहा कि कोरोना से जंग में केंद्र अपेक्षित सहयोग नहीं कर रहा है। केंद्र का सहयोग ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर है। मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग डॉक्टर व पारा मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। कुछ मामले अदालत में है, इस कारण भी भर्ती नहीं हो पा रही है। सारी अड़चनों को दूर कर बहाली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

मंत्रियों के रिम्स के बजाय निजी अस्पतालों में इलाज कराने के बारे में कहा कि कहीं भी इलाज कराने का सबको व्यक्तिगत अधिकार है। इसका मतलब यह नहीं है कि रिम्स की व्यवस्था में गड़बड़ी है। अपना उदाहरण देते हुए कहा कि मैंने खुद अपना इलाज रिम्स में कराया। आज स्वस्थ होकर आपके बीच हैं। रिम्स की व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है। थोड़ी बहुत जो कमियां है, उसे शीघ्र दूर किया जाएगा। कोरोना से जंग झारखंड मजबूती से लड़ रहा है। यही कारण है कि कोराना से ठीक होने में हमारा ग्राफ बेहतर है।

बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड का रिकवरी रेट 86.43 फीसद है जिसे और बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। कोरोना जांच पहले 47 सौ रुपए में होता था जो अब 15 सौ रुपए में हो रहा है। निजी अस्पतालों के मनमाना शुल्क पर कहा कि इस पर अंकुश लगाया गया है। कहीं यदि शिकायत मिलती है तो ऐसे अस्पतालों का निबंधन रद कर दिया जाएगा। आयुष्मान योजना पर कहा कि इससे गरीबों का बहुत भला हुआ है। गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।


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