हस्तशिल्प मेला में 4.80 लाख की जीएसटी चोरी
धनबाद शहर के जिला परिषद मैदान समेत अन्य जगहों पर लगने वाले हस्त शिल्प मेला व्यापक पैमाने पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की चोरी कर रहे हैं।
धनबाद : शहर के जिला परिषद मैदान समेत अन्य जगहों पर लगने वाले हस्त शिल्प मेला व्यापक पैमाने पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की चोरी कर रहे हैं। यह खुलासा स्वयं राज्य वाणिज्य कर विभाग ने किया है। विभाग के अनुसार प्रत्येक मेला करीब 60 हजार रुपये की जीएसटी चोरी करते रहे हैं। यानि एक वर्ष में करीब 4.80 लाख रुपये जीएसटी का इन मेला आयोजकों ने नहीं दिया।
बताते चलें कि जिला परिषद मैदान में एक साल में करीब आठ हस्तशिल्प मेला आयोजित किया जाता है। इसके अलावा कोहिनूर मैदान में भी मेला लगता है। वैसे तो हस्त निर्मित वस्तुओं की लगने वाले इस मेला को जीएसटी मुक्त रखा गया है और इसी का फायदा मेला आयोजक उठाते हुए विभागीय कर का भुगतान नहीं करते। विभागीय जांच में यह तथ्य सामने आया है कि मेला में व्यापक पैमाने पर रेडीमेड वस्त्र, लकड़ी फर्नीचर, प्लास्टिक के सामान की बिक्री की गई। इसके अलावा खान-पान एवं मनोरंजन जैसे झूला आदि भी लगाए गए। इन सामानों की खरीदारी तो हुई ही अन्य का उपयोग भी हुआ। इसके एवज में मेला आयोजक ने राशि भी वसूल की, लेकिन कर का भुगतान नहीं किया। वाणिज्य कर के संयुक्त आयुक्त शिव सहाय सिंह ने कहा कि हस्तशिल्प मेला आयोजन पर जीएसटी देय नहीं है, लेकिन वस्तुएं हस्त निर्मित होनी चाहिए। यदि फैक्ट्री निर्मित वस्तुओं की खरीद बिक्री होती है, तो यह जीएसटी के दायरे में आता है।
वाणिज्य कर अन्वेषण विभाग के विनय सिन्हा ने कहा कि ऐसे मेला आयोजकों पर भी जीएसटी भुगतान का प्रावधान है। कैजुअल टैक्स के तहत ऐसे मेला आयोजकों से कर की वसूली की जाती है। सिन्हा ने बताया कि एक मेला से अमूमन 60 हजार रुपये तक का जीएसटी बनता है। शहर में अब आयोजित होने वाले हस्त शिल्प मेला की जांच की जाएगी और वस्तुओं के आधार पर जीएसटी की वसूली होगी।