लॉकडाउन से हर्ल का निर्माण छह माह हुआ पीछे
¨सदरी वैश्विक महामारी कोरोना ने ¨सदरी में निर्माणाधीन हर्ल उर्वरक प्रोजेक्ट को भी बुरी त
¨सदरी : वैश्विक महामारी कोरोना ने ¨सदरी में निर्माणाधीन हर्ल उर्वरक प्रोजेक्ट को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है। लॉकडाउन के कारण प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य चार से छह माह पीछे चल रहा है। हर्ल के जीएम सुनील कुमार सिन्हा ने गुरुवार को पत्रकारों से कहा कि ¨सदरी में यूरिया का उत्पादन दिसंबर 2021 तक होने की संभावना है। जबकि पहले मई 2021 तक उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था। कहा कि पूर्वोत्तर भारत में यूरिया की किल्लत को देखते हुए भारत सरकार ने ¨सदरी में यूरिया संयंत्र की स्थापना का निर्णय लिया था। झारखंड व बिहार में एक भी यूरिया संयंत्र नहीं है। इसलिए दोनों राज्यों में यूरिया की किल्लत बनी रहती है। फिलहाल हर्ल प्रबंधन ने बिहार और उत्तर प्रदेश में हर्ल का अपना यूरिया बाजार में उतार दिया है। दोनों राज्यों के किसानों ने हर्ल के यूरिया को हाथों-हाथ लिया है। बिहार में यूरिया की सालाना खपत 22-23 लाख मीट्रिक टन है। जबकि उत्तर प्रदेश में 65-70 लाख मीट्रिक टन है। बताया कि हर्ल ने झारखंड, बिहार व उत्तर प्रदेश में यूरिया की आपूर्ति के लिए आरसीएफ के साथ एमओयू किया है। आरसीएफ हर्ल को उसके ब्रांड का अपना यूरिया दे रहा है। हर्ल प्रबंधन ने बिहार व उत्तर प्रदेश में एक-एक रैंक अर्थात तीन हजार मीट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति की है। इसका मार्केट रिस्पांस अच्छा है। कहा कि हर्ल प्रबंधन ने झारखंड सरकार से अपना यूरिया की आपूर्ति की स्वीकृति मांगी है। झारखंड में भी सालाना 3.75 लाख मीट्रिक टन यूरिया की खपत है। हर्ल के प्रस्ताव पर झारखंड सरकार की सहमति प्राप्त होते ही अक्टूबर से झारखंड में भी हर्ल के यूरिया की आपूर्ति शुरू हो जाएगी।