मनरेगा में रोजगार की गारंटी, मजदूरी की नहीं
गिरिडीह में मनरेगा का हाल बुरा है। यहां रोजगार की तो गारंटी है लेकिन मजदूरी की नहीं। यहां के मजदूरों को तीन महीना से मजदूरी नहीं मिली है। इन मजदूरों के समीप अपने परिवार का भरन पोषण की समस्या आन पड़ी है। मनरेगा से मोहभंग की वजह भी ये है।
संवाद सहयोगी, खोरीमहुआ (गिरिडीह)। मनरेगा में रोजगार की गारंटी है लेकिन मजदूरी की नहीं। इस योजना के तहत प्रखंड के मजदूरों को रोजगार तो मिल रहा है लेकिन मजदूरी नहीं। धनवार में पिछले 90 दिनों से मनरेगा में काम कर चुके मजदूरों को उनकी मजदूरी नहीं मिली है। इन मजदूरों के लिए परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है। इस कारण मजदूरों का मनरेगा से मोह भंग हो रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक प्रखंड में कुल 5454 योजनाएं संचालित हैं। इसमें प्रतिदिन औसतन 450 से 550 मजदूर काम करते हैं। उन्हें 90 दिनों से मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है। 22 नवंबर 2021 से नौ फरवरी 2022 तक मजदूरों का 12 करोड़ 41 लाख रुपये का भुगतान लंबित है। प्रखंड में कुल सक्रिय मजदूरों की संख्या 26,166 है। समय से मजदूरी का भुगतान नहीं होने से सक्रिय मजदूरों की संख्या में कमी आ रही है। मजदूरों को अगर शीघ्र भुगतान नहीं होता है तो उनके समक्ष विकट परिस्थिति उत्पन्न हो जाएगी। दिहाड़ी मजदूरों के लिए मनरेगा काफी सार्थक सिद्ध हो रहा है, लेकिन समय से राशि का भुगतान नहीं होने के कारण मजदूरों को अपने परिवार का पालन-पोषण करने में काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।
क्या कहते हैं जाब कार्डधारी : मजदूरी का भुगतान नहीं होने से परेशान मीना देवी, सुमंती देवी, सहदेव पंडित, वासुदेव राम, जोबराज पंडित, नन्हकू राम, सुखदेव हजाम आदि मनरेगा मजदूरों ने बताया कि विगत तीन माह से उन्हें मजदूरी नहीं मिलने से परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। इससे उनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई बाधित है। बताया कि मजदूरी को लेकर प्रखंड कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उसका भुगतान नहीं हो पा रहा है। इसमें सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है।