Move to Jagran APP

Grand National Poetry Conference: कविता की बही बयार, जूम एप पर वृहद राष्ट्रीय काव्य सम्मेलन में कई कवियों ने बांधा समां

Grand National Poetry Conference धनबाद की वरिष्ठ कवयित्री स्नेह प्रभा की पंक्तिया-दीपक की महिमा तो देखो खुद जलकर रोशन करता है जग को ने दीये की महत्ता दर्शाई। इश्क गर बेज़ुबां नहीं होता दिल से दिल जुदा नहीं होता पंक्तियों को गाकर अर्चना त्रिपाठी भावुक ने सबको भावुक कर दिया।

By Sagar SinghEdited By: Published: Tue, 03 Nov 2020 01:11 PM (IST)Updated: Tue, 03 Nov 2020 01:11 PM (IST)
Grand National Poetry Conference: कविता की बही बयार, जूम एप पर वृहद राष्ट्रीय काव्य सम्मेलन में कई कवियों ने बांधा समां
जूम एप के माध्यम से वृहद राष्ट्रीय काव्य सम्मेलन का आयोजन हुआ।

धनबाद, जेएनएन। शीर्षक साहित्य परिषद भोपाल की धनबाद शाखा की ओर से ऑनलाइन कविता की बयार बही। जूम एप के माध्यम से वृहद राष्ट्रीय काव्य सम्मेलन (Grand National Poetry Conference) का आयोजन किया गया। इसमें देश के विभिन्न शहरों से 12 कवियों ने शिरकत करते हुए अपनी कविताओं से समां बांध दिया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता उन्नाव के नामचीन कवि शायर राकेश तिवारी राही तथा संचालन परिषद् की धनबाद शाखा प्रभारी रत्ना वर्मा ने किया। सभी कवियों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दीं। कार्यक्रम का आगाज गुरुग्राम के वरिष्ठ कवि राजपाल यादव ने सरस्वती वंदना से किया। उन्हाेंने सामयिक चुनावी चुहल बोल ‘आज फिर बोल जगीरा, पोल चुनावी खोल जगीरा’ और ‘आओ फिर इतिहास रचाएं, वादों की हम झड़ी लगाएं’ पेश कर समां बांध दिया।

loksabha election banner

उन्नाव शीर्षक शाखा के अध्यक्ष राकेश तिवारी ने शीर्षक साहित्य परिषद् के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपनी प्रस्तुति कभी संयोग से ही दो नजर जब चार होती हैं, दिल की घंटियां बजके मधुर झंकार होती हैं से समा बांधते हुए दर्शकों की वाहवाही बटोरी। धनबाद की कवयित्री डाॅ.कविता विकास की पंक्तिया इक पूरा ब्रह्मांड छिपा है अबला दिखती नारी में, सार्थक बन पड़ी। कानपुर की वरिष्ठ कवयित्री डाॅ.राधा शाक्य ने अब तो खुदा के वास्ते ऐसा न कीजिए, फिर चूर चूर प्यार का शीशा न कीजिए ने प्यार की नगरी में गोते लगवाए।

इश्क गर बेज़ुबां नहीं होता दिल से दिल जुदा नहीं होता: धनबाद की वरिष्ठ कवयित्री स्नेह प्रभा की पंक्तिया-दीपक की महिमा तो देखो, खुद जलकर रोशन करता है जग को ने दीये की महत्ता दर्शाई। इश्क गर बेज़ुबां नहीं होता दिल से दिल जुदा नहीं होता, पंक्तियों को गाकर अर्चना त्रिपाठी भावुक ने सबको भावुक कर दिया। संचालिका रत्ना वर्मा ने प्रेम दीपक की टूटती लौ है, स्वार्थ मन से निकाल दो न प्रीत विरह के गीत गाकर भाव हृदय में जगा लो न से माहौल गमगीन कर दिया। बेसबब मुस्कुराने से क्या फायदा ,जख्म अपना छुपाने से क्या फायदा, मानते ही नहीं जब यहां सच कोई, फिर उन्हें सच बताने से क्या फायदा गजल गाकर अनीता मिश्रा सिद्धि पटना ने सच्चाई बयां की।

नारी भी नारी होने की रोज सजा पाती: रिपुदमन झा पिनाकी धनबाद ने आजकल महिलाओं पर हो रहे अत्याचार पर दुख एवं आक्रोश भरी रचना, नारी भी नारी होने की रोज सजा पाती है सुनाई। ममता पांडे ने अरे हैवान कैसे तू कलेजा चीर मां डाला, तड़प देखो जरा जाकर जिगर उसका मिटा डाला कहकर माहौल को भावुक कर दिया। मनीषा सहाय ने मिला मौसम सुहाना तो खुशी के गीत गाते हैं, तुम्हारे प्रेम में डूबे खुशी को भूल जाते हैं गीत गाकर शृंगार रस में गोते लगवाए। पूरे डेढ़ घंटे तक श्रोता काव्य की हर विधा में गोते लगाते रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.