Pan Card के बगैर हो रही रजिस्ट्री, Income Tax Dept ने गोविंदपुर में पकड़ी 465 करोड़ की गड़बड़ी
Income Tax Department: धनबाद के गोविंदपुर रजिस्ट्री कार्यालय में आयकर विभाग ने 465 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय अनियमितता का खुलासा किया है। जांच में फार्म 61ए और पैन कार्ड विवरण में लापरवाही पाई गई। अधिकारियों ने बिना पैन और डेटा अपलोड किए 65 करोड़ की रजिस्ट्री की। आयकर विभाग को इस जांच से कई खुलासे होने की उम्मीद है।

आयकर विभाग ने गोविंदपुर रजिस्ट्री आफिस में भूखंडों और फ्लैट के निबंधन में पकड़ी अनियमितता।
जागरण संवाददाता, धनबाद। गोविंदपुर के रजिस्ट्री कार्यालय में आयकर विभाग ने एक बड़ी वित्तीय अनियमितता का पर्दाफाश किया है। आयकर विभाग की टीम को पिछले तीन वर्षों के लेन-देन की जांच में चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं। प्रारंभिक आकलन के अनुसार यह गड़बड़ी 465 करोड़ रुपये से अधिक की बताई जा रही है।
जांच के दौरान, अधिकारियों ने पाया कि 30 लाख या उससे अधिक की लेन-देन के लिए अनिवार्य फार्म /61ए को ठीक से दाखिल करने में भारी लापरवाही बरती गई है। सूत्रों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में कई ऐसी संपत्तियों की रजिस्ट्री हुई है जहां पैन कार्ड का विवरण दर्ज नहीं किया गया है।
ऐसी अनियमितताओं के साथ बीते तीन साल में लगभग 65 करोड़ की रजिस्ट्री हुई है। आयकर विभाग ने इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं। आयकर विभाग ने कहा है कि निबंधन कार्यालय के अधिकारियों ने तीन साल में बिना पैन और डाटा अपलोड किए ही 65 करोड़ की रजिस्ट्री कर दी है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि लोग जांच से बच सकें।
वहीं आयकर अधिकारियों ने फार्म 60 ए नहीं भरने के मामले में ही करीब 400 करोड़ की अनियमितता पकड़ी है। यह इतनी बड़ी राशि है कि इससे निबंधन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। निबंधन के अधिकारियों की यह लापरवाही कई सवाल खड़े कर रही है।
पता चला है कि तीन साल में फार्म 60 नहीं भरने वाले लोगों ने कुल करीब चार सौ करोड़ की रजिस्ट्री कर दी है। नो पैन के केस में आनलाइन 61 फार्म भरना होता है। आयकर अधिकारी रंजन कुमार गर्ग के नेतृत्व में यह जांच अभियान चलाया गया।
जांच पूरी होने के बाद गोविंदपुर कार्यालय के रजिस्टार ने अगले 15 दिनों के भीतर तमाम संबंधित फाइलों को दुरुस्त कर उन्हें आनलाइन अपलोड करने और आयकर विभाग को सभी जरूरी डेटा उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। साथ ही आयकर विभाग को उम्मीद है कि इस जांच और सर्वे के माध्यम से कई खुलासे हो सकते हैं जिन्होंने अवैध संपत्ति कमाकर करोड़ की रजिस्ट्री कराई है।

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