गांव-गरीब के बजाय सरकार का ध्यान कंपनियों के विकास परः बाबूलाल
गांव के विकास के लिए गांव एवं जंगलों में घूमकर समस्या को देखना समझना होता है। इसी कारण गुप्त काल को स्वर्णिम काल कहा जाता है।
पूर्वी टुंडी, जेएनएन। राज्य सरकार चाहे तो संविधान के नियमों के तहत राज्य के नियुक्तियों में 80-85 प्रतिशत आरक्षण स्थानीयों के लिए आरक्षित कर सकती है। परंतु सरकार राज्य के युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने को लेकर गंभीर नहीं है। उक्त बातें झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने दुमका से बगोदर जाने के क्रम में लटानी के क्रम में एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए कही।
मरांडी ने कहा कि झारखंड के बाहर जिस भी राज्य के सरकारी कार्यालय में जाएंगे तो नियुक्ति में स्थानीय लोग मिल जाएंगे। वहीं झारखंड के किसी कार्यालय में देखें तो अन्य राज्यों के लोग नियुक्ति मिल जाएगी। परंतु स्थानीय ढूंढने पर मुश्किल से मिलते है।गांव के विकास के लिए गांव एवं जंगलों में घूमकर समस्या को देखना समझना होता है। इसी कारण गुप्त काल को स्वर्णिम काल कहा जाता है। क्योंकि उस समय वर्षों तक जंगलों का भ्रमण किया गया था। विकास के पैमाने को समझाते हुए कहा कि राज्य गठन के पहले समस्याओं से मैं खुद जूझा हूं। जिसमें सबसे बड़ी समस्या सड़क समस्या थी। इसी कारण राज्य गठन के बाद अपने मुख्यमंत्री काल में सबसे पहले मैने पुल और सडक निर्माण कार्य को बढावा दिया। जिसमें गोविंदपुर-साहेबगंज सडक निर्माण एवं करमदाहा पुल पहला कार्य है। वर्तमान सरकार पर भड़ास निकलते हुए बताया कि सरकार हर क्षेत्र में विफल है। राज्य में विधि व्यवस्था फेल है। वहीं शिक्षा व्यवस्था का हाल पूरी तरह ध्वस्त है। राज्य में पारा शिक्षकों के भरोसे जो शिक्षा व्यवस्था की गई थी। वह अपनी मांगो को लेकर आंदोलन पर हैं। परंतु सरकार का कोई ध्यान नहीं है। सरकार राज्य के विकास को छोड बडे कंपनियों की ओर ध्यान लगाएं हुए है।
मरांडी से मिलकर कई स्थानीय लोगों ने अपनी बातों को रखा और उनके कार्यकाल की सराहना की। मौके पर झाविमो जिला अध्यक्ष ज्ञान रंजन सिन्हा, अनवर अंसारी, फिरोज दत्ता, रामपद कुमार, संतोष मंडल, मंगल सोरेन, रमेश महतो, सुरेश किस्कू, जानकी रजक, दिनेश दत्ता, शंकर दे, महादेव कुमार, बासुदेव कुमार, याहया अंसारी, मुबारक अंसारी, विकास चंद्र मंडल, सर्जन हांसदा आदि उपस्थित थे।