Eid al-Adha 2021: वासेपुर का 'सुल्तान' कुर्बानी को तैयार, इस पर एक साल से खान परिवार लुटा रहा था प्यार
Bakrid 2021 वासेपुर के रिंकू खान के घर में सुल्तान पिछले एक साल से परिवार के सदस्य की तरह है। पूरे परिवार के लोग इस पर प्यार लुटाते आ रहे हैं। इससे परिवार के सदस्यों को बेपनाह मोहब्बत हो गई। लेकिन इस प्यारे का समय आ गया है।
शाहीद, धनबाद। वासेपुर के रिंकू खान के घर में 'सुल्तान' पिछले एक साल से परिवार के सदस्य की तरह है। पूरे परिवार के लोग इस पर प्यार लुटाते आ रहे हैं। इससे परिवार के सभी सदस्यों को बेपनाह मोहब्बत हो गई। इसके साथ-साथ सबका उठना-बैठना और खाना-पानी। लेकिन इस प्यारे का समय आ गया है। बुधवार को बकरीद है। इस माैके पर खान परिवार सुल्तान की कुर्बानी देगा। इसी जज्बे का नाम कुर्बानी है। प्यारे चीज की ही तो कुर्बानी दी जाती है। दरअसल, बात खान खान परिवार के बकरे की हो रही है, जिसका नाम सुल्तान है। वासेपुर के रहमतगंज के रहने वाले रिंकू खान ने बताया कि ईद-उल-अजहा के मौके पर उन्होंने कुर्बानी के लिए एक बकरे को पाला है। बकरे की वजन 90 किलो है। इसकी बाजार में लगभग 60000 के आसपास है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष ही बकरे को खरीदा था। 1 साल बकरे को पाला। यह परिवार के सदस्य की तरह है।
बकरीद पर नहीं जमा खस्सी बाजार, व्यापारी मायूस
21 जुलाई, 2021 को धनबाद कोयलांचल में बकरीद है। इस पर्व पर कुर्बानी देने का प्रचलन सदियों पुराना है। ज्यादातर इस्लाम धर्मावलंबी बकरे की कुर्बानी देते है। ऐसे में बकरीद से एक पखवारा पहले से बकरे बाजार में राैनक आ जाती है। धनबाद के झरिया में बकरे का विशेष बाजार लगता है। यहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अच्छे नस्ल के बकरे लेकर व्यापारी पहुंचते हैं। लेकिन वैश्विक महामारी कोराेना ने झरिया कोयलांचल में बकरीद के बाजार को फीका कर दिया है। झरिया के प्रमुख बकरों के बाजार बकरीहाट में भीड़-भाड़ नहीं दिखी। बकरीद को लेकर उतने खस्सी नहीं बिक जितने कोरोना काल से पहले बिक जाते थे। पिछले साल की तरह इस साल भी बकरा बाजार उदास रहा। लाखों की पूंजी लगाने वाले खस्सी व्यापारी परेशान दिखे। लगभग सभी खस्सी के व्यापारियों ने कहा कि कोरोना के असर के कारण ऐसा हो रहा है। पहले जैसे लोग खस्सी खरीदने के लिए नहीं आ रहे हैं।
पिछले साल से भी स्थिति खराब
ऊपर कुल्ही निवासी 45 वर्षीय खस्सी के व्यापारी जुनैद कुरैशी ने कहा कि वर्षों से बकरीद में खस्सी बेचने का कारोबार करते आ रहे हैं। लेकिन इस वर्ष की तरह बाजार कभी नहीं हुआ। कोरोना के कारण व्यापार चौपट हो गया है। 15-20 दिन पूर्व लाखों की लागत से 50 खस्सी इटावा से लाए थे। सभी खस्सी नहीं बिकी। पिछले साल से भी स्थिति अधिक खराब है। काेरोना काल में मेरे लगभग एक दर्जन से अधिक ग्राहकों की मौत हो गई। ऐसा कई व्यापारियों के साथ भी हुआ है।
पहले बकरीद में एक करोड़ से अधिक का होता था खस्सी का व्यापार
खस्सी के व्यापारियों ने कहा कि झरिया में लगभग एक दर्जन बड़े खस्सी के व्यापारी हैं। तीन साल पहले बकरीद के अवसर पर झरिया में एक करोड़ से अधिक का व्यापार हो जाता था। एक खस्सी 50 हजार से अधिक में बिकती थी। लेकिन इस बार कीमती खस्सी की डिमांड काफी कम रही।