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इस मास्टर साहब का जवाब नहीं, नाच-नाचकर बच्चों के जेहन में पैठ कराते कठिन पाठ

संजीव कहते हैं कि बच्चों की कक्षा में रुचि बनी रहेगी तभी वे पाठ्यक्रम पर पूरा ध्यान दे सकेंगे। इस बात को समझकर कक्षा को रुचिपूर्ण बनाया। गीत-संगीत अभिनय कला और खेल-खेल के माध्यम से पाठ पर विशेष पर प्रकाश डालते हैं। इससे बच्चों को पढ़ाई में आनंद आता है।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 02 Jan 2021 06:40 AM (IST)Updated: Sat, 02 Jan 2021 06:40 AM (IST)
इस मास्टर साहब का जवाब नहीं, नाच-नाचकर बच्चों के जेहन में पैठ कराते कठिन पाठ
कक्षा में नृत्य कर बच्चों को पढ़ाते शिक्षक संजीव कुमार ( फोटो जागरण)।

गिरिडीह [ ज्ञान ज्योति ]। गीत-संगीत, कवि और चुटकुलों का रस लेते बच्चे, इसके बीच ही उनकी होती है पढ़ाई। झारखंड के गिरिडीह उत्क्रमित उच्च विद्यालय के शिक्षक संजीव कुमार का बच्चों को शिक्षा देने का यही अंदाज है। कक्षा में बच्चों की रुचि इतनी कि हर पाठ जेहन में बसा लेते हैं। ऐसी तन्मयता से बच्चों को पढ़ाने की इस शिक्षक की लगन के सभी मुरीद हैं। बच्चों को पढ़ाई में आनंद आता है। बच्चे और अभिभावक ही नहीं, साथी शिक्षक भी उनसे प्रभावित हैं।

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पढ़ाई में छात्र-छात्राओं को आता आनंद 

संजीव कहते हैं कि बच्चों की कक्षा में रुचि बनी रहेगी तभी वे पाठ्यक्रम पर पूरा ध्यान दे सकेंगे। इस बात को समझकर उनकी कक्षा को रुचिपूर्ण बनाया। गीत-संगीत, अभिनय कला और खेल-खेल के माध्यम से पाठ पर विशेष पर प्रकाश डालते हैं। इससे बच्चों को पढ़ाई में आनंद आता है, वे आसानी से विषय वस्तु  समझ जाते हैं । पाठ बच्चों को जेहन में बैठ जाता हैं। हमेशा याद भी बना रहता है। बचाएंगे-बचाएंगे सारे बच्चों का भविष्य बचाएंगे... गीत के साथ वे कक्षा की शुरुआत करते हैं। इस दौरान अपनी भाव भंगिमाओं से वे बच्चों को कक्षा से जोड़ देते हैं। फिर शुरू होती है उनकी पढ़ाई। नहीं हुआ है अभी सवेरा, खाट छोड़ उठ गया किसान... जैसे गीतों से वे लगन और मेहनत की सीख देते हैं। नन्हेंं-मुन्नों में छाई खुशी अपार, आज शपथ लेने वाली है बच्चों की सरकार...  के माध्यम से बाल संसद की महत्ता और अधिकार बताते हैं। आकाशगंगा के बारे में जानकारी देने के लिए अगर न होता चांद रात में हमको दिशा दिखाता कौन, न होता सूरज सोने सा चमकाता कौन बताता दिन... गीत सुनाते हैं। बच्चों को जड़ और और उसके प्रकार पढ़ाने हैं तो पौधे और उनकी जड़ों को दिखाकर पढ़ाते हैं। प्रयोग प्रदर्शन विधि से पढ़ाया गया पाठ बच्चे हमेशा याद रखते हैं। बकौल संजीव वे भी बच्चों से बहुत कुछ सीखते हैं।

अन्य स्कूलों के बच्चे भी लेते लाभ 

कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई। वहां भी अंदाज ऐसा ही रहा। वे पढ़ाने के पाठ विशेष का वीडियो बनाकर यूट्यूब पर डालते हैं। इसे देख अन्य स्कूलों के बच्चे भी लाभ ले रहे हैं। अब तक विभिन्न विषयों पर 35 से अधिक वीडियो डाल चुके हैं। शिक्षा विभाग ने इनको जिला और राज्य स्तर पर सम्मान भी दिया है। 2016 में शिक्षक समागम में लोकनृत्य प्रस्तुत करने पर भी सम्मानित किया गया।

संजीव सर की क्लास से नहीं करता उठने का मन 

आठवीं कक्षा की छात्रा स्नेहा व साक्षी कुमारी कहती है कि संजीव सर को नृत्य एवं संगीत आता है। वे हंसाते हुए पढ़ाते हैं। उनकी कक्षा नीरस नहीं होती, किसी बच्चे का उठने का मन नहीं करता। कक्षा सात के छात्र राहुल कुमार व दसवीं के उदय कुमार ने कहा कि वे बच्चों के बीच बच्चे बन जाते हैं। दोस्त की तरह पढ़ाते हैं। पढ़ाई को इतना रोचक बनाते हैं कि मन करता है कक्षा चलती ही रहे।


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