गम और मातम के बीच हुआ कुणाल का अंतिम संस्कार
मोहलबनी श्मशान घाट पर कुणाल रवानी का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
चासनाला/भौंरा, जेएनएन। सोमवार की रात मोहलबनी श्मशान घाट पर कुणाल रवानी का अंतिम संस्कार कर दिया गया। बेटे के अंतिम संस्कार के लिए जेल से पैरोल पर कुणाल के पिता शंकर रवानी को छोड़ा गया था। पुलिस हर वक्त उनके साथ थी। शव कुणाल के गौरखूंटी घर लाया गया। वहां धार्मिक परंपराओं के बाद श्मशान घाट ले जाया गया।
पिता शंकर रवानी ने रात साढ़े ग्यारह बजे मुखाग्नि दी। इससे पहले रात करीब 9.05 पर कुणाल का शव भौंरा गौरखूंटी पहुंचा। शव पहुंचते ही मचा कोहराम : शव पहुंचते ही कोहराम मच गया। परिजनों के क्रंदन से माहौल गमगीन हो गया। मां बालिका देवी, मौसी संध्या, वंदना और रेखा मामा डीएन संधू के आंसू थम नही रहे थे। बज्रवाहन पर पुलिस शंकर को लेकर पहुंची। जेल से पहुंचे शंकर के साथ एक बस में भरकर पुलिस जवान भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पहुंचे थे।
जोड़ापोखर थाना प्रभारी जयकृष्ण समेत पाथरडीह, सुदामडीह थाने की पुलिस भी मौजूद थी। रेनबो ग्रुप के चेयरमैन धीरेन रवानी की हत्या शनिवार की रात कर दी गई थी। उस हत्या के आरोप में भीड़ ने कुणाल को पकड़ कर पीट पीटकर मार डाला था। शव यात्रा में काफी संख्या में स्थानीय ग्रामीण और शंकर के परिचित एवं रिश्तेदार मौजूद थे।
भाई के अंतिम दर्शन भी न कर सका करण:
कुणाल का छोटा भाई करण यूपी में है। कुणाल के अंतिम संस्कार के वक्त वह मौजूद नही था। घाट पर इसी बात की चर्चा रही कि भाई के अंतिम दर्शन तक कुणाल नही कर सका। शंकर का कहना था कि बेटे करण को भी साजिश के तहत फंसाने की साजिश की गई। पर हम उसके निर्दोष होने का सबूत देंगे।
पुलिस ने बयान देने से रोका:
शंकर को करीब लगभग एक घंटे तक पुलिस ने वज्रवाहन में रखा। पुख्ता सुरक्षा होने के बाद उसे मकान के अंदर लाया गया। शंकर ने पत्रकारों को देख बयान देना शुरू कर दिया। कहा कि हमें तो दोहरी क्षति हुई। हमारा बेटा चला गया। इस बीच, पुलिस ने शंकर को बयान देने से रोका और कहा कि मर्यादा का पालन करें।
अमार छेला टा के एयरा मेरे दिलो, गाड़ी चपाइने कटारा दीये मारे छे कुणाल का शव देखते ही मां बालिका देवी फूट फूटकर रो पड़ी। बार बार बांग्ला भाषा में यही कह रही थी कि -अमार छैला टा के एयरा मेरे दिलो, गाड़ी चपाइने कटारा दीये मारे छे। कोथा चली गेयो, एक टू बोलू न रे कहकर बिलख उठती। उनको अन्य परिजन संभालने में जुटे रहे। शंकर को देख वे और बिलख उठी। शंकर की आंखों से आंसू बह रहे थे।
पुलिस पर फूटा मां का गुस्सा:
बालिका देवी का पुलिस पर भी गुस्सा था। उन्होंने कहा कि हमारा बेटा फरार था पुलिस उसे पकड़ लेती। तब उसकी जान तो बच जाती पर, पुलिस उसे पकड़ नही सकी। केस-मुकदमा होने के बाद ढाई वर्षों से न्यायालय का ही चक्कर लगा रही हूं। घर में भी नही रह पाती, बस भाग रही हूं। हमारे इस घर में यहां ढाई वर्षों से दीया जलानेवाला कोई नही है। मैं मोदीडीह अपने मायके में रह रही हूं। बेटा यूपी में है। एक बेटा इस दुनिया में नही रहा। समझौते की हर कोशिश की पर वह नही किया गया।
हमारे बेटे को बेरहमी से मार दिया गया। हमारे बेटे ने हत्या नही की। हम नही मान सकते। हमें तो घटना की जानकारी अखबार से मिली। तब कोर्ट गई ताकि पति को जेल से लाने को आवेदन दे सकूं। उसके बाद सुदामडीह थाना गई। हम साजिश के शिकार हुए। यदि हमारे बेटे ने हत्या की तो कहां है पिस्टल। उसे तो मार ही दिया गया। सब साजिश है।