'बदलते माहौल में आदिवासी संस्कृति बचाने की चुनौती, परंपरा को कायम रखने में अहम है युवाओं की भूमिका' Dhanbad News
टुंडी के पूर्व विधायक राजकिशोर महतो ने कहा कि बदलते माहौल में आदिवासी संस्कृति बचाने की चुनौती है। युवा वर्ग इसे चुनौती के रूप में ले व परंपरा को कायम रखने में अहम भूमिका निभाये।
धनबाद, जेएनएन। टुंडी के पूर्व विधायक राजकिशोर महतो ने कहा कि बदलते माहौल में आदिवासी संस्कृति बचाने की चुनौती है। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग इसे चुनौती के रूप में लेते हुए इस परंपरा को कायम रखने में अहम भूमिका निभाते हुए पौराणिक परंपरा को हर हाल में बरकरार रखें। तभी हम खुशहाल रहेंगे। वे शुक्रवार को दक्षिणी टुंडी के मंझलीटांड़ गांव में आयोजित प्रखंड स्तरीय सोहराय मिलन समारोह के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे।
विधायक ने कहा कि सोहराय त्योहार झारखंड की आदिवासी संस्कृति की परंपराओं से जुड़ा हुआ पर्व है। इससे आपसी प्रेम एवं सदभावना हमेशा बनी रहती है। उन्होंने कहा कि प्राचीन जमाने में एक समय था जब आज के आधुनिक आविष्कार नहीं हुए थे। तब खेती बाड़ी केवल बैलों पर निर्भर था। तब से आज तक खेती के बाद सोहराय जैसे पर्व में बैलों को हिन्दू संस्कृति के अनुसार उन्हें भी पूजन कर खुद की खुशियों के साथ किसानों द्वारा उन्हें भी खुंटों में बांधकर नाचगान करते हुए ढोल नगाड़े के साथ थिरकते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता टुंडी प्रमुख कमला मुर्मू एवं संचालन आजसू के वरिष्ठ नेता हलधर महतो ने किया। कार्यक्रम में हलधर महतो, शिवलाल मुर्मू, कलेश्वर बास्की, हरि प्रसाद माहथा, धनेश्वर रजवार, लालू नापित, अनुप मुर्मू, उतम मुर्मू, भीखू मंडल, सुजीत माहथा, शैलेश टुडू, देबु नापित, कालीचरण मुर्मू, लखीन्द्र टुडू आदि ने विचार रखे। उक्त कार्यक्रम में लगभग 25 गांवों के लोगों ने भाग लिया।