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झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा सिंह को एक वर्ष कैद, भाई रामधीर को भी सुनाई गई सजा Dhanbad News

एसजेडीएम धनबाद शिखा अग्रवाल की अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद पूर्व मंत्री बच्चा सिंह और उनके भाई बलिया जिला परिषद के पूर्व चेयरमैन रामधीर सिंह को सजा सुनाई।

By MritunjayEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 04:45 PM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 04:45 PM (IST)
झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा सिंह को एक वर्ष कैद, भाई रामधीर को भी सुनाई गई सजा Dhanbad News
झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा सिंह को एक वर्ष कैद, भाई रामधीर को भी सुनाई गई सजा Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। पुलिस हिरासत से रामधीर सिंह को छुड़ा लिए जाने के 17 वर्ष पुराने मामले में शुक्रवार को अदालत ने फैसला सुनाया। सीबीआइ की विशेष न्यायिक दंडाधिकारी शिखा अग्रवाल की अदालत ने मामले के नामजद आरोपित बलिया के पूर्व जिप अध्यक्ष व झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह के चाचा रामधीर सिंह तथा उनके भाई पूर्व मंत्री बच्चा सिंह को एक-एक वर्ष कैद की सजा सुनाई।

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असहज दिखे रामधीर व बच्चा सिंह

दोपहर के 2ः30 बजे बच्चा सिंह, अभिषेक सिंह व अपने अधिवक्ता दिलीप सिंह के साथ अदालत परिसर पहुंचे। रामधीर सिंह होटवार जेल रांची में बंद हैं। लिहाजा उन्हें वीडियो कॉफ्रें सिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया।  2:52 बजे न्यायधीश ने  फैसला सुनाया। कोर्ट के फैसले के बाद रामधीर सिंह व बच्चा सिंह असहज दिखे। वहीं रिहा हुए अन्य आरोपित के चेहरे पर खुशी झलक रही थी। बिना मीडिया से बात किए बच्चा सिंह जमानत की औपचारिकता पूरी करने के बाद अपने अधिवक्ता के साथ निकल पड़े। बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता समर श्रीवास्तव, दिलीप सिंह, सिद्धार्थ शर्मा, अनूप कुमार सिन्हा, अभय कुमार सिन्हा ने पैरवी की। 

छह आरोपित हुए रिहा

अदालत ने कांड के अन्य नामजद आरोपित रवींद्र प्रसाद सिंह, रूद्र प्रताप सिंह, प्रभात झा, पप्पू कुमार सिंह, रामाशंकर सिंह और यदुनंदन सिंह को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। सुनवाई के दौरान बच्चा सिंह व चार अन्य हाजिर थे। वहीं आरोपित यदुनंदन सिंह तथा रूद्र प्रताप सिंह की ओर से अधिवक्ता ने प्रतिनिधित्व का आवेदन दिया था।

25 गवाहों ने बदली मुकदमे की तस्वीर

सुनवाई के दौरान सीबीआइ की ओर से कुल 25 गवाहों का परीक्षण कराया गया। जिनके बयान ने मुकदमे की तस्वीर बदल दी। सभी गवाह पुलिस के थे लिहाजा सीबीआइ के अभियोजक को मामले में काफी मशक्कत करनी पड़ी। सीबीआइ ने तत्कालीन धनसार थाना प्रभारी हरिश्चद्र सिंह, डीएसपी सुदर्शन प्रसाद मंडल, एएसआइ रविंद्र प्रसाद सिंह, सुधीर कुमार सिंह, अनिल शंकर, चतुर्भुज झा, मोहम्मद मोइनुद्दीन, अशोक कुमार सिंह, कृष्णा कुमार राय, देवलाल प्रसाद, एचएन राम, रोहिणी झा, रामवीर राय, ललन कुमार ठाकुर, विश्वनाथ सिंह, असीम कुमार दास गुप्ता, एएमपी खरवार, सुनील सिंह राजकिशोर प्रसाद सिंह, भरत जी दुबे. विरेंद्र तिवारी, अंधी रुष मुंडा, धर्मराज उरांव के अलावा सीबीआइ के इंस्पेक्टर जी एम राठी तथा अनुसंधानकर्ता मुकेश शर्मा का बयान दर्ज कराया। हालांकि अदालत में गवाह धर्मराज उरांव एवं ललन कुमार ठाकुर को सीबीआइ ने पक्ष द्रोही घोषित कर दिया था।

किसकी औकात है गिरफ्तार कर लेगा थाना में आग लगवा देंगे

3 अक्टूबर 03 को झरिया स्थित जनता मजदूर संघ के कार्यालय में अष्टजाम संकीर्तन चल रहा था। उसी दिन कोयला व्यापारी प्रमोद सिंह की हत्या हुई थी। पुलिस को सूचना मिली थी कि प्रमोद सिंह की हत्या में रामधीर सिंह का हाथ है। लिहाजा पुलिस रामाधीर सिंह को गिरफ्तार कर ला रही थी। इसी बीच रामधीर समर्थकों ने जबरन उन्हें छुड़ा लिया था। बच्चा सिंह ने पुलिस को सबक सिखाने की धमकी दी थी। कहा था कि किसकी औकात है गिरफ्तार कर लेगा। थाना में आग लगवा देंगे। 

संतोष सिंह ने मामले की सीबीआइ जांच के लिए याचिका दायर की थी

पुलिस के अनुसंधान पर सवाल उठाते हुए झरिया निवासी संतोष सिंह ने झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने  27 जनवरी 04 को आदेश पारित करते हुए सीबीआइ को मामले का अनुसंधान का जिम्मा सौंपा था। हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में सीबीआई दिल्ली क्राइम ब्रांच ने 12 अप्रैल, 2004 को मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी।


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