सिंफर के पूर्व निदेशक डा. पीके सिंह सेवानिवृत्ति से ठीक पहले निलंबित, प्रशासनिक अधिकारी भी सस्पेंड, चौंके लोग
देश के शीर्ष शोध संस्थानों में शामिल सिंफर में यह पहली घटना है कि जब किसी पूर्व निदेशक को सेवानिवृत्ति से पहले निलंबित कर दिया गया है। उनके साथ संस्थान के प्रशासनिक अधिकारी दशमथ मुर्मू को भी निलंबित कर दिया गया है।
जागरण संवाददाता, धनबाद। केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान सिंफर के पूर्व निदेशक डा. पीके सिंह को निलंबित कर दिया है। इसी महीने डा. सिंह सेवानिवृत्त होने वाले हैं। सेवानिवृत्ति से ठीक पहले वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद- सीएसआइआर नई दिल्ली से उनके निलंबन का आदेश जारी हो गया। पूर्व निदेशक के निलंबन का आदेश मिलते ही धनबाद से डिगवाडीह कैंपस तक खलबली मच गई।
निदेशक के साथ प्रशासनिक अधिकारी भी निलंबित
देश के शीर्ष शोध संस्थानों में शामिल सिंफर में यह पहली घटना है कि जब किसी पूर्व निदेशक को सेवानिवृत्ति से पहले निलंबित कर दिया गया है। सिंफर की ओर से निलंबन की पुष्टि कर दी गई है। हालांकि, कारणों की जानकारी नहीं दी गई है। निदेशक के साथ सिंफर के प्रशासनिक अधिकारी दशमथ मुर्मू को भी निलंबित कर दिया गया है। माना जा रहा है कि आनरेरियम मामले में पूर्व निदेशक के विरुद्ध कार्रवाई हुई है।
ऑनरेरियम भुगतान में हुआ था घोटाला
मालूम हो कि शोध कर कार्पोरेट के लिए नई तकनीक खोजने वाले 553 सिंफर विज्ञानी, तकनीकी अधिकारी, तकनीकी सहायक व प्रशासनिक कर्मचारियों के बीच पिछले वर्ष आनरेरियम का भुगतान किया गया था। मामले पर उंगली उठी थी और सीएसआइआर तक शिकायत पहुंची थी। इसे गंभीरता से लेकर आनरेरियम की राशि वापस लेने का भी आदेश जारी किया था। अगस्त महीने से ही वेतन से आनरेरियम की रकम रिकवरी शुरू हो गई थी। इस मामले में 16 दिसंबर को सीएसआइआर की ओर से राहत दे दी गई। वर्तमान निदेशक को पत्र भेज कर सूचित किया गया कि आनरेरियम वसूली के आदेश को वापस ले लिया जाता है।
निदेशक के निलंबन ने सबको चौंकाया
हालांकि सिंफर विज्ञानियों का कहना था कि संबंधित मामले में कैट में सुनवाई के बाद सिंफर विज्ञानियों के पक्ष में निर्णय सुनाया गया है। आनरेरियम रिकवरी आदेश वापस लेने के बाद भी तत्कालीन निदेशक को निलंबित किए जाने के आदेश ने सब को चौंका दिया है। हालांकि सिंफर के कुछ कर्मचारी बता रहे हैं कि आनरेरियम मामले में सीबीआइ और सीवीसी की जांच अभी जारी है। कई बार संबंधित पक्षों से पूछताछ भी की गई है।
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