मछुआ दिवस विशेष: नीली क्रांति की ओर बढ़ रहा धनबाद
मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने और मछुआरों की जिंदगी संवारने के लिए सरकार की ओर से दर्जनों योजनाएं संचालित हैं।
जागरण संवाददाता, धनबाद: राज्य को मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने और मछुआरों की जिंदगी संवारने के लिए सरकार की ओर से दर्जनों योजनाएं संचालित हैं। मछुआरों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। देसी के साथ ही विदेशी मछलियों का पालन भी व्यापक पैमाने पर हो रहा है। इन तमाम योजनाओं का उद्देश्य धनबाद को नीली क्रांति की ओर बढ़ रहा है।
विभाग की योजनाएं: वर्तमान में जिला मत्स्य विभाग की ओर से केज कल्चर, मछुआ आवास, नदियों में छाड़न में मछली पालन, मत्स्य बीज उत्पादन, जाल वितरण, मत्स्य बीज वितरण, सखी मंडल का गठन, प्रशिक्षण कार्यक्रम, तालाबों में मछली पालन, आदि कार्य संचालित हैं।
देसी मछलियों में रोहू, कतला, मृगल जैसी मछलियों का पालन आम बात है, लेकिन अब अमेरिकन रोहू, पंगास, ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प, चितल जैसी विदेशी मछलियों के पालन में भी धनबाद आगे बढ़ रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार पूरे राज्य में प्रति वर्ष 1.56 लाख टन मछली की आवश्यकता होती है और उत्पादन 1.05 लाख टन होता है। ऐसे में मछली पालन की दिशा में राज्य में व्यापक संभावनाएं हैं।
जिले में 10 हजार से अधिक तालाब: मछली पालन के क्षेत्र में धनबाद जिले में आपार संभावनाएं हैं। यहां 2975 सरकारी और 7779 निजी तालाब हैं। इसके अलावा तोपचांची झील, मैथन व पंचेत डैम हैं। दामोदर, बराकर जैसी बड़ी नदियां हैं साथ ही हजारों जोरिया हैं। ऐसे में इन सभी का उपयोग मछली पालन के लिए किया जाए तो धनबाद में दूसरों राज्यों पर निर्भरता समाप्त होगी।
तालाब में पानी रहे तो बने बात: विगत दस वर्षो से भी अधिक समय से मछली पालन कर रहे निताई धीवर बताते हैं कि जिले में मछली पालन को बढ़ाया जा सकता है, लेकिन तालाबों में पानी सालों भर कायम रहे तो यह संभव है। वहीं रंजीत मल्लाह बताते हैं कि जिले के काफी तालाब गाद और मिट्टी से भर गए हैं। इनका जीर्णोद्धार किया जाए तो भी मछली उत्पादन में जिला को आत्म निर्भर बनाया जा सकता है।
तकनीकी प्रशिक्षण पर जोर: जिला मत्स्य पदाधिकारी मुजाहिद अंसारी ने बताया कि वर्तमान समय में मछुआरों को तकनीकी रूप से दक्ष होना पड़ेगा। इसके लिए राज्य स्तर पर किसानों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है। वर्तमान में जिले के पांच सौ किसानों को प्रशिक्षण के लिए रांची भेजा जा रहा है। प्रशिक्षण के माध्यम से इन्हें कम समय में अधिक मछली उत्पादन के तकनीकी पहलुओं की जानकारी दी जाएगी।