धनबाद में पराली से भी खतरनाक है कचरे में लगी आग
धनबाद दिल्ली-एनसीआर पराली के धुएं से परेशान है तो धनबाद में कचरे के ढेर में लगी आग ही
धनबाद : दिल्ली-एनसीआर पराली के धुएं से परेशान है तो धनबाद में कचरे के ढेर में लगी आग ही नासूर बनती जा रही है। जलता हुआ कचरा बेहिसाब प्रदूषण फैला रहा है। पर्यावरण के साथ ही मानव व मवेशियों के लिए भी जानलेवा साबित हो रहा है। कचरे में प्लास्टिक के साथ-साथ अन्य सभी तरह का कचरा जलाया जा रहा है। इस पर लगाम लगाने की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दो महत्वपूर्ण विभागों पर है। ये हैं नगर निगम और झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड। निगम को कचरे का सही तरीके से निस्तारण करना है तो जेएसपीसीबी को प्रदूषण के कारकों को ढूंढकर खत्म करना है। दोनों ही विभाग इसमें नाकाम साबित हुए हैं और धड़ल्ले से सड़क किनारे कचरा फेंका जा रहा और इसमें आग भी लगाई जा रही है। राहगीर परेशान हैं, लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं है। यह नजारा हीरक रोड, गोधर, केंदुआ, झरिया मुख्य बाजार में आसानी से देखा जा सकता है।
300 टन हर दिन निकलता है कचरा
प्रदूषण के लिहाज से धनबाद पहले पायदान पर काबिज है। नियमों का उल्लंघन इसका बड़ा कारण है। नगर निगम क्षेत्र से हर दिन 300 टन कचरा (सूखा-गीला) निकलता है। इसे झरिया के बनियाहीर में डंप किया जा रहा है। कई जगह तो सड़क किनारे ही कचरा फेंका जा रहा है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के लिए नगर निगम को जमीन आज तक नहीं मिल सकी है। पुटकी, सिदरी, सबलपुर में जमीन चयन होते रह गई। इसकी वजह से पहले सफाई करने वाली एजेंसी ए टू जेड ने काम छोड़ दिया था। पिछले वर्ष सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए रैमकी एजेंसी से करार हुआ। तय हुआ कि प्लांट के लिए जमीन दी जाएगी। अभी तक जमीन नहीं मिल सकी।
कई इलाकों में पीएम 10 की मात्रा अधिक
जिले में कई ऐसी जगह है जहां पीएम 10 की मात्रा अत्यधिक बढ़ चुकी है। इसमें बैंक मोड़, धनसार, झरिया आदि का इलाका प्रमुख तौर पर शामिल है। पर्यावरण विशेषज्ञ संजय श्रीवास्तव का कहना है कि पीएम 10 को रेस्पायरेबल पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं। इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर होता है। पीएम 10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए, लेकिन जिले में कई जगह यह 300 पार कर चुका है। पिछले कुछ वर्षों में पीएम 10 में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है।
आठ वर्ष पहले भी बना था एक्शन प्लान
2010 में सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में धनबाद को देश के 43 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में 13वें स्थान पर रखा था। इसके बाद वर्ष 2011 में डब्ल्यूएचओ ने दुनिया के प्रदूषित शहरों की सूची जारी की, जिसमें भारत के 33 शहरों को भी शामिल किया गया। इनमें धनबाद 11वें स्थान पर था। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के बाद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने धनबाद में 31 मार्च, 2012 तक किसी भी तरह का उद्योग लगाने पर रोक लगा दी थी। 2011 में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर धनबाद एक्शन प्लान बनाया गया था। लेकिन आठ वर्ष बाद भी यह योजना कागजों पर ही है। धनबाद में प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए कार्ययोजना के लिए 1463 करोड़ खर्च का आकलन तैयार किया गया, लेकिन कार्ययोजना धरातल पर नहीं उतरी। 2017 में भी प्रदूषण पर जारी रिपोर्ट में धनबाद को देश के प्रदूषित शहरों में 24वें नंबर पर रखा गया। इस रिपोर्ट के बाद धनबाद में उच्च स्तरीय बैठक कर दुबारा एक्शन प्लान बनाने का निर्णय लिया गया। हालांकि इस निर्णय को भी दो वर्ष बीत गए। इसके बाद 2020 में ग्रीन पीस इंडिया की रिपोर्ट में धनबाद-झरिया को प्रदूषित शहरों सूची में पहले नंबर पर रखा गया। इससे भी सबक लेने की कोशिश नहीं की गई।
बोले अधिकारी
सॉलिड वेस्ट प्लांट के लिए जगह की तलाश की जा रही है। पहले भी दो-तीन जगह प्लांट बनाने के लिए की योजना बनी थी, लेकिन कुछ प्रशासनिक समस्या के चलते संभव नहीं हो सका। जल्द ही यह समस्या दूर हो जाएगी।
- सत्येंद्र कुमार, नगर आयुक्त