District Board के गेस्ट हाउस में भड़की आग, बाल-बाल बचे डीएमएफटी के प्रोजेक्ट मैनेजर Dhanbad News
जिस कमरे में आग लगी थी वह कमरा वीआइपी है। यह कमरा केवल जिला परिषद अध्यक्ष अथवा मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के लिए आरक्षित रहता है। इस कमरे को किसी अन्य के लिए बुक नहीं किया जाता।
By mritunjayEdited By: Published: Fri, 23 Aug 2019 11:21 AM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2019 09:26 AM (IST)
धनबाद, जेएनएन। बेकारबांध के पास स्थित जिला परिषद के अतिथि गृह के वीआइपी कमरे में शुक्रवार को आग लग गई। आग इतनी भयानक थी कि कमरा और कमरे के बाहर बरामदे में रखे सारे सामान जलकर राख हो गए। हादसे में इस कमरे में रह रहा युवक संदीप कुमार वर्मा और नीचे रह रहे वायुसेना के अधिकारी बाल-बाल बच गए।
शुक्रवार सुबह करीब चार बजे के आसपास कमरे में आग लगी। कमरे में मौजूद संदीप शोर करते हुए नीचे की ओर भागा। जब तक लोग जुटते तब तक आग ने पूरे कमरे को अपनी जद में ले लिया। कमरे के बाहर बरामद में रखा सामान भी जल उठा। वहीं नीचे के कमरा नंबर पांच में वायु सेना के दो अधिकारी ठहरे हुए थे। आग लगने के कारण सभी अतिथि गृह से बाहर चले आए। अतिथि गृह परिसर में रहने वाले लोगों ने अग्निशमन दल को सूचना दी। सूचन पर पहुंचे दमकलकर्मियों ने करीब चार घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। संदीप कुमार वर्मा का सारा कपड़ा, पैसा और शैक्षणिक एवं तकनीकी प्रमाण पत्र भी जल कर राख हो गया।
कमरे में सो रहे थे डीएमएफटी के प्रोजेक्ट मैनेजर : आग की लपटों से बचकर बाहर निकले संदीप बदहवास दिखे। कर्मचारियों ने उन्हें पानी पिलाया और दिलासा दिया। इसके बाद वे सामान्य हो सके। संदीप ने बताया कि जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) में उनका चयन प्रोजेक्ट आफिसर के पद पर हुआ है। वे योगदान देने के लिए यहां आए हैं। दो दिन से रुके हुए थे।
जिला अभियंता ने किया निरीक्षण : घटना के बाद जिला अभियंता वीरमणि प्रसाद क्षति का आंकलन और आग के कारणों की जांच करने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने कमरे को अंदर से लेकर बाहर तक देखा और एसी के स्वीच बोर्ड में शार्ट सर्किट होने की बात कही है। हालांकि उन्होंने कहा कि अग्नि शमन की जांच के बाद ही आगलगी के सही कारणों को ही पता चल पाएगा।
उठ रहे हैं सवाल : बताया जाता है कि अतिथि गृह का वीआइपी कमरा नंबर एक का उपयोग केवल जिला परिषद अध्यक्ष अथवा मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ही कर सकते हैं। ऐसे में संदीप को आखिर यह कमरा कैसे मिला।क एक साल पहले भी लगी थी इसी अतिथि गृह में आगःएक साल पूर्व भी इस अतिथि गृह के कमरा नंबर चार में आग लगी थी। उस वक्त शार्ट सर्किट का मामला सामने आया था। इस आग में भी पूरा कमरा जल कर राख हो गया था। इस घटना के बाद पूरे अतिथि गृह के सभी कमरों का जीर्णोद्धार कराया गया। नए तरीके से इस अतिथि गृह को सजाया गया था। महज एक साल के अंदर ही फिर से यहां आग लग गई।
शुक्रवार सुबह करीब चार बजे के आसपास कमरे में आग लगी। कमरे में मौजूद संदीप शोर करते हुए नीचे की ओर भागा। जब तक लोग जुटते तब तक आग ने पूरे कमरे को अपनी जद में ले लिया। कमरे के बाहर बरामद में रखा सामान भी जल उठा। वहीं नीचे के कमरा नंबर पांच में वायु सेना के दो अधिकारी ठहरे हुए थे। आग लगने के कारण सभी अतिथि गृह से बाहर चले आए। अतिथि गृह परिसर में रहने वाले लोगों ने अग्निशमन दल को सूचना दी। सूचन पर पहुंचे दमकलकर्मियों ने करीब चार घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। संदीप कुमार वर्मा का सारा कपड़ा, पैसा और शैक्षणिक एवं तकनीकी प्रमाण पत्र भी जल कर राख हो गया।
कमरे में सो रहे थे डीएमएफटी के प्रोजेक्ट मैनेजर : आग की लपटों से बचकर बाहर निकले संदीप बदहवास दिखे। कर्मचारियों ने उन्हें पानी पिलाया और दिलासा दिया। इसके बाद वे सामान्य हो सके। संदीप ने बताया कि जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) में उनका चयन प्रोजेक्ट आफिसर के पद पर हुआ है। वे योगदान देने के लिए यहां आए हैं। दो दिन से रुके हुए थे।
जिला अभियंता ने किया निरीक्षण : घटना के बाद जिला अभियंता वीरमणि प्रसाद क्षति का आंकलन और आग के कारणों की जांच करने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने कमरे को अंदर से लेकर बाहर तक देखा और एसी के स्वीच बोर्ड में शार्ट सर्किट होने की बात कही है। हालांकि उन्होंने कहा कि अग्नि शमन की जांच के बाद ही आगलगी के सही कारणों को ही पता चल पाएगा।
उठ रहे हैं सवाल : बताया जाता है कि अतिथि गृह का वीआइपी कमरा नंबर एक का उपयोग केवल जिला परिषद अध्यक्ष अथवा मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ही कर सकते हैं। ऐसे में संदीप को आखिर यह कमरा कैसे मिला।क एक साल पहले भी लगी थी इसी अतिथि गृह में आगःएक साल पूर्व भी इस अतिथि गृह के कमरा नंबर चार में आग लगी थी। उस वक्त शार्ट सर्किट का मामला सामने आया था। इस आग में भी पूरा कमरा जल कर राख हो गया था। इस घटना के बाद पूरे अतिथि गृह के सभी कमरों का जीर्णोद्धार कराया गया। नए तरीके से इस अतिथि गृह को सजाया गया था। महज एक साल के अंदर ही फिर से यहां आग लग गई।
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