Nishikant Dubey: दस्तावेज देखने के बाद सांसद निशिकांत नहीं, सिर्फ उनकी पत्नी पर केस, दस्तावेज में नहीं मिला हस्ताक्षर
Nishikant Dubey देवघर के पुलिस अधीक्षक पियूष पांडेय ने कहा किसी भी दस्तावेज में सांसद का हस्ताक्षर नहीं है। इसलिए उन्हें नामजद नहीं किया गया है।
देवघर, जेएनएन। देवघर पुलिस ने गोड्डा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे नहीं, सिर्फ उनकी पत्नी अनामिका गौतम के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की है। यह प्राथमिकी देवघर के तिवारी चौक के नजदीक एक जमीन लेने के मामले में हुई है। शिकायतकर्ता विष्णुकांत झा ने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दिए गए आवेदन में भाजपा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे, उनके करीबी सहायक शेषाद्री दुबे समेत और कई लोगों का नाम दिया था। देवघर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दिए गए आवेदन के साथ मिले दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद सांसद को नामजद नहीं किया है।
देïवघर के पुलिस अधीक्षक पियूष पांडेय ने कहा, किसी भी दस्तावेज में सांसद का हस्ताक्षर नहीं है। इसलिए उन्हें नामजद नहीं किया गया है। प्राथमिकी में की गई शिकायत के आधार पर गहराई से अनुसंधान किया जाएगा। न निर्दोष पर कार्रवाई होगी, न दोषी को छोड़ा जाएगा। यदि कोई साजिशकर्ता है, तो उसे जरूर सजा दिलायी जाएगी।
बम्पास के रहने वाले विष्णुकांत झा ने सोमवार को देवघर नगर थाने में आवेदन दिया था। इसमें कहा गया कि तिवारी चौक के नजदीक एलओकेसी धाम के बड़े भूखंड की 29 अगस्त 2019 में सांसद की पत्नी के नाम पर रजिस्ट्री हुई है। निबंधन संख्या 770 है। शिकायत में कहा गया कि जमीन के मामले में सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने अपने प्रभाव का गलत तरीके से इस्तेमाल किया। रजिस्ट्रार, सब-रजिस्ट्रार, अंचलाधिकारी से दस्तावेजों में गड़बड़ कराया। इसमें अनामिका गौतम, शेषाद्री दुबे व अनामिका गौतम के अधिवक्ता ने भी मिलीभगत कर शपथपत्र में छेड़छाड़ की है। शिकायत में कहा गया कि जमीन की सरकारी दर के अनुसार 20 करोड़ रुपये की है, जबकि सिर्फ तीन करोड़ में जमीन की रजिस्ट्री करा ली गई है। जमीन लेने के एवज में राशि का भुगतान भी नकद किया गया है, जो सरकारी नियमों के खिलाफ है। शिकायत में कहा गया कि यह मनी लांड्रिंग का मामला है। इससे झारखंड सरकार के राजस्व का भी नुकसान हुआ है।
भादवि की इन धाराओं में प्राथमिकी
- धारा 420 : किसी को धोखा देना, बहुमूल्य संपत्ति के मुहरबंद या हस्ताक्षरित दस्तावेजों में छेड़छाड़ या नष्ट करना आदि। यह गैर जमानती धारा है। अधिकतम सात साल तक कारावास और आर्थिक दंड।
- धारा 467 : पुत्र के दत्तक ग्र्रहण के प्राधिकार, मूल्यवान संपत्ति के दस्तावेज, ऐसे दस्तावेज जिसका अभिप्राय चल अचल संपत्ति से हो, उसमें छेड़छाड़ करना। यह गैर जमानती धारा है। आजीवन कारावास का भी प्रावधान। अर्थदंड भी।
- धारा 468 : किसी दस्तावेज का छल करने के लिए उपयोग करना। अधिकतम सात साल की सजा और अर्थदंड। - धारा 120 बी : आपराधिक साजिश करना। अपराध की प्रवृति के मुताबिक कारावास की सजा।
- धारा 34 : एक आपराधिक कृत्य कई व्यक्ति समान इरादे से किया जाए, तो यह धारा लगाई जाती है।