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E-governance scandal: जाली विपत्र पर वयम टेक्नोलॉजी को 2.65 करोड़ अधिक भुगतान

एकरारनामा के आधार पर वर्णित सारे वर्णित कार्य नहीं हुए। बावजूद इसके 13 जनवरी 2017 को मनीष कुमार ने 8.28 करोड़ रुपए भुगतान की अनुशंसा की।

By mritunjayEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 05:29 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 05:29 PM (IST)
E-governance scandal: जाली विपत्र पर वयम टेक्नोलॉजी को 2.65 करोड़ अधिक भुगतान
E-governance scandal: जाली विपत्र पर वयम टेक्नोलॉजी को 2.65 करोड़ अधिक भुगतान

धनबाद, जेएनएन। नगर निगम में 8.23 करोड़ के ई-गवर्नेंस घोटाला में लेखापाल व भंडारपाल के बाद अब पूर्व अर्बन रिफॉर्म स्पेशलिस्ट के खिलाफ कार्रवाई की गई है। तत्कालीन अर्बन रिफॉर्म स्पेशलिस्ट मनीष कुमार के खिलाफ धनबाद थाने में प्राथमिकी कराई गई है।

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मनीष कुमार पर ई-गवर्नेंस कार्य के दौरान कंप्यूटर सामग्री, सॉफ्टवेयर, डाटा इंट्री व अन्य उपकरणों की आपूर्ति में जाली विपत्र सत्यापित करने, वरीय अधिकारियों को दिगभ्रमित करने और संवेदक को अनुचित आर्थिक लाभ के उद्देश्य से अधिक राशि भुगतान कराने का आरोप लगाया गया है। मनीष कुमार ने अप्राप्त सामग्री को प्राप्त दिखला कर जाली कागजात के आधार दिल्ली की वयम टेक्नोलॉजी को 2.65 करोड़ अधिक भुगतान कराया। विभागीय जांच के दौरान कंप्यूटर सामग्री व अन्य उपकरणों की आपूर्ति में अनियमिता की पुष्टि हुई है। कंपनी द्वारा ई-गवर्नेंस से जुड़ी जो सामग्री निगम को नहीं दी गई उसे भी सत्यापित कर भुगतान कराया। अपर नगर आयुक्त संदीप कुमार ने बुधवार को धनबाद थाने में मनीष कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्जन करने की लिखित शिकायत की है।

क्या है ई-गवर्नेंस घोटालाः नगर निगम में ई-गवर्नेंस के लिए दिल्ली की वयम टेक्नोलॉजी को विभिन्न प्रकार की टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराना था। इसके लिए हार्डवेयर भी उपलब्ध कराना था। एकरारनामा में डाटा इंट्री और निर्धारित अवधि तक रखरखाव भी शामिल था। एकरारनामा के आधार पर वर्णित सारे वर्णित कार्य नहीं हुए। सभी सामग्री की भी आपूर्ति नहीं की गई। बावजूद इसके 13 जनवरी 2017 को मनीष कुमार ने 8.28 करोड़ रुपए भुगतान की अनुशंसा की। उस पर तत्कालीन नगर आयुक्त ने पृच्छा की। उसके बाद एकरारनामा में वर्णित कार्य और सामग्री को सही दर्शाते हुए 4.90 करोड़ रुपए भुगतान की अनुशंसा की। वयम टेक्नोलॉजी को टीडीएस कटौती करते हुए 4.81 करोड़ भुगतान किया गया। सामग्री व उपकरणों की जांच की गई जिसमें अप्राप्त सामग्रियों को प्राप्त दिखलाकर वयम टेक्नोलॉजी को 2.65 करोड़ रुपए अधिक भुगतान कराया गया। इसमें मनीष कुमार की संलिप्तता पाई गई है।

लेखापाल व भंडारपाल किए जा चुके निलंबितः ई-गवर्नेंस घोटाले में लेखापाल व भंडारपाल निलंबित चल रहे हैं। लेखापाल अनिल मंडल और भंडारपाल हरिश चंद्र पांडेय निलंबित किए गए हैं। कार्य में लापरवाही व उदासीनता बरतने को लेकर दोनों को निलंबित किया गया है।

पूर्व नगर आयुक्त भी जांच के घेरे मेंः ई गवर्नेंस घोटाले मामले में पूर्व नगर आयुक्त मनोज कुमार, अपर नगर आयुक्त प्रदीप कुमार व उप नगर आयुक्त अनिल यादव भी जांच के घेरे में हैं। राज्य शहरी विकास अभिकरण के पत्र के आलोक में दोषी अधिकारियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की कार्रवाई सुनिश्चित करना है। अधिकारियों पर प्रपत्र क गठित करने की तैयारी चल रही है।


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