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Weekly News Roundup Dhanbad: फोर्थ अंपायर... बिग बी से पंगा नई लेने का

धनबाद के टाटा डिगवाडीह स्टेडियम में पिछले सप्ताह कूचबिहार ट्रॉफी के मैच में मेजबान झारखंड को गुजरात के हाथों कड़ी शिकस्त मिली। टीम का प्रदर्शन बिखरा-बिखरा था।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 01:49 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 01:49 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: फोर्थ अंपायर... बिग बी से पंगा नई लेने का
Weekly News Roundup Dhanbad: फोर्थ अंपायर... बिग बी से पंगा नई लेने का

धनबाद [ सुनील सिंह ]। झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (जेएससीए) के बिग बॉस से पंगा लेना धनबाद क्रिकेट को महंगा पड़ रहा है। सितंबर 2019 में जेएससीए के चुनाव में बिग बॉस की टीम के खिलाफ धनबाद क्रिकेट संघ (डीसीए) के अध्यक्ष ने ताल ठोक दिया। यह अलग बात है कि चुनाव अधिकारी ने उनका नामांकन खारिज कर दिया। मामला कोर्ट पहुंच गया। अब धनबाद को परेशान करने की कवायद चल रही है। तीन टूर्नामेंट हुए जिसकी जानकारी चार-पांच दिन पहले दी गई। ताजा उदाहरण 19 जनवरी से महिला अंडर-19 क्रिकेट टूर्नामेंट है और सूचना मिली 16 जनवरी को। इससे आपाधापी में टीम बनती है और बिना अभ्यास ही उतरना पड़ता है। हालांकि टूर्नामेंट की सूचना बाकी के पास रहती हे। इससे प्रदर्शन प्रभावित होता है। इसलिए कहा जाता है- बिग बी से पंगा नहीं लेने का। 

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यह रिश्ता क्या कहलाता है

स्थानीय रेल प्रबंधन के साथ चार-पांच वर्षों से धनबाद क्रिकेट संघ का रिश्ता नरम-गरम चला आ रहा है। रेलवे स्टेडियम देने के लिए संघ से भारी-भरकम राशि की मांग करने को लेकर विवाद शुरू हुआ। सोशल मीडिया पर भी इस विवाद को पर लगे। रेलवे अपने मैदान के लिए भारी-भरकम फीस मांगती है तो दूसरी ओर अपने सारे मैच रेलवे स्टेडियम में ही खेलना चाहती है। पिछले साल तो एक मैच रद करने का आग्रह नहीं माने जाने पर डीसीए का रेलवे ने बहिष्कार कर दिया। इस विवाद का खामियाजा अंतत: खिलाडिय़ों को ही भुगतना पड़ा और वे जेएससीए टूर्नामेंट नहीं खेल पाए। हालांकि इसमें प्रदर्शन के आधार पर राज्य की टीमें चुनी जाती हैं। विवाद से तंग आकर रेलवे के खिलाड़ी दूसरे जिले की ओर रुख करने लगे। तब जाकर स्थानीय रेल प्रबंधन ने डीसीए से फिर अपनी टीम के निबंधन का आग्रह पत्र भेजा। डीसीए ने भी बड़ा दिल दिखाते हुए पुन: सुपर डिवीजन में ही टीम को बरकरार रखने का निर्णय ले लिया। 

वादे हैं वादों का क्या

वर्ष 2011- राष्ट्रीय खेल के दौरान जिले के खेलप्रेमियों को तमाम सपने दिखाए गए थे। धनबाद जिला खेलों का गढ़ बनेगा। खेलों के लिए आधारभूत संरचनाएं तैयार होंगी तो यहां के बच्चे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परचम फहराएंगे। अब हकीकत जानिए। मेगा स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स लगभग 12 वर्षों से बन ही रहा है। मैथन के स्पोट्र्स हॉस्टल का हाल यह है कि हॉरर फिल्मों की शूटिंग के लिए मुफीद लोकेशन बन चुका है। स्क्वैश कोर्ट की स्थिति भी वैसी ही है। यहां से कितने इंटरनेशनल खिलाड़ी निकले, यह तो पता नहीं लेकिन खेलों के आयोजन में भ्रष्टाचार के किस्से जरूर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बनीं। आयोजन समिति के तमाम सदस्य जेल भी घूम आए। धनबाद के एक पदाधिकारी ने मैथन डैम को वाटर स्पोट्र्स के रूप में विकसित करने के वादे किए थे। जनाब राष्ट्रीय क्याकिंग व केनोइंग संघ के अध्यक्ष भी हैं। फिर भी कुछ नहीं हुआ। दुष्यंत की पंक्तियां याद आती हैं- कहां तो तय था चिरागां हर घर के लिए, यहां तो चिरागां मयस्सर नहीं शहर के लिए।

कहां गायब रहे कोच साहब

धनबाद के टाटा डिगवाडीह स्टेडियम में पिछले सप्ताह कूचबिहार ट्रॉफी के मैच में मेजबान झारखंड को गुजरात के हाथों कड़ी शिकस्त मिली। टीम का प्रदर्शन बिखरा-बिखरा था। दो-दो प्रशिक्षकों के रहते यह हाल। फिर पता चला कि एक प्रशिक्षक तो गायब हैं। अब जेएससीए को इस बात की जानकारी है या नहीं, यह तो पता नहीं चल पाया लेकिन इससे सूबे के क्रिकेट के कर्ता-धर्ताओं की गंभीरता का पता चल ही जाता है। शायद यही कारण है कि रणजी, अंडर-23, अंडर-19 सभी स्तर के क्रिकेट में झारखंड टीम का बुरा हाल है। क्रिकेटप्रेमियों का कहना है कि अगर प्रशिक्षक किसी जरूरी काम से अवकाश पर थे तो उनके स्थान पर किसी और को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती थी। 


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