अब छत पर उगाएं सब्जी, मिट्टी की जरूरत नहीं
धनबाद के आइआइटी आइएसएम के छात्र सौरभ और उनकी टीम ने बिना मिट्टी के ही खेती का तरीका ईजाद किया है।
धनबाद, शशिभूषण। बिना मिट्टी और कीटनाशक के चार से पांच गुणा अधिक पैदावार हो और पानी व जगह भी कम लगे तो क्या कहने। आपको यह सुनकर आश्चर्य हो रहा होगा पर यह करिश्मा कर दिखाया है धनबाद के आइआइटी आइएसएम के छात्र सौरभ और उनकी टीम ने। उन्होंने बिना मिट्टी के ही खेती का तरीका ईजाद किया है। पानी में पौधों के लिए जरूरी तत्वों का समावेश कर खेती की तकनीक निकाली है। मिट्टी की जरूरत नहीं होने के कारण खेती की यह विधि शहर के लोगों लिए काफी कारगर होगी। जो अपने घर की छत पर भी सब्जियां उगा सकेंगे।
सौरभ ने बताया कि सामान्य खेती में लगने वाले पानी की तुलना में इस विधि में 80 प्रतिशत कम पानी की खपत होगी। कीटनाशक का भी उपयोग नहीं होगा। इस विधि का प्रयोग सफल रहा है। बैगन, टमाटर, मिर्च, कद्दू की फसल के परिणाम अच्छे आए हैं। इसका सेटअप करीब 15 हजार रुपये से लग सकता है। जो साल भर परिवार को हरी सब्जी देगा। हर भवन की छत पर इस प्रकार की खेती होने लगे तो पर्यावरण संरक्षण के साथ लोगों का अर्थतंत्र सुधर जाएगा। इस विधि के तहत नियंत्रित वातावरण में खेती की जाती है। और तो और कम समय में ही फसल तैयार हो जाएगी।
कैंसर का खतरा होगा कम
फसलों में कीटनाशक के इस्तेमाल से कैंसर का खतरा बढ़ता है। लेकिन इस विधि में कीटनाशकों का उपयोग नहीं होता है। जिनके घरों की छत पर या बाहर खाली जगह है वे इस तकनीक का उपयोग कर जैविक खेती कर सकते हैं। इस तकनीक से प्राप्त उपज से कैंसर का खतरा नहीं होता है।
ये है खेती की तकनीक
मिट्टी रहित फसल उगाने की तकनीक को अरबन फार्मिंग कहा जाता है। पौधों को उगाने के लिए फिश वाटर और एनीमल वेस्ट मसलन गोबर का उपयोग करते हैं। पानी में ही इनको मिलाते हैं। इससे पानी को उन पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है जो पौधों के लिए जरूरी हैं। पौधों की जड़ें इनको अवशोषित करती हैं।
संस्थान की छत पर लगाया प्रोजेक्ट
सौरभ ने बताया कि संस्थान की छत पर करीब एक हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में प्रोजेक्ट लगाया है। यहां टमाटर, रेड कैबेज, गेंदा समेत कई प्रकार के पौधे लगाए हैं। जो शानदार परिणाम दे रहे हैं।