किसानों की जमीन छीनने का बना रहा केंद्र
निरसा कृषि कानून के खिलाफ पूरे देश में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में मंगलवार को व
निरसा : कृषि कानून के खिलाफ पूरे देश में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में मंगलवार को वाम जनवादी संयुक्त मोर्चा व सामाजिक मजदूर किसान संगठन ने निरसा राज लक्ष्मी पैलेस में सम्मेलन किया।
पूर्व विधायक अरूप चटर्जी ने कहा कि किसान हमारे कृषि प्रधान देश के अन्नदाता हैं। किसान मांग करते आ रहे हैं कि भूमिहीन व गरीब किसानों को सरकारी जमीन उपलब्ध कराई जाए। किसानों को कृषि उपज का लाभकारी मूल्य दिया जाए। खाद, बीज, कीटनाशक, कृषि उपकरण, सिचाई, डीजल आदि सस्ते दामों में उपलब्ध कराया जाए। चुनाव के पूर्व प्रधानमंत्री ने वादा किया था कि तमाम चीजें उपलब्ध करवाकर कृषकों की आय दोगुनी करेंगे। इसके विपरीत आज केंद्र सरकार किसानों की जमीन छीनने का ही कानून बना रही है। केवल कृषि क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि कॉरपोरेट घरानों के इशारे पर 44 श्रम कानूनों को खत्म करके कोयला उद्योग, रेलवे, एयर इंडिया, बीएसएनएल, बीपीसीएल, एलआइसी, बैंक, बंदरगाह आदि को भी बेचने का निर्णय लिया गया है। इन सरकारी उपक्रमों का अस्तित्व खत्म होने के साथ-साथ मजदूरों का भी अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि सरकार तीनों कृषि कानून को वापस ले, न्यूनतम समर्थन मूल्य को किसानों का अधिकार बनाया जाए। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए। कृषि कार्य के लिए डीजल का दाम आधा किया जाए। चार व पांच जनवरी को निरसा दक्षिणी और उत्तरी क्षेत्र के विभिन्न गांवों में जन जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। सम्मेलन में बिजली बिल 2020 को जनविरोधी करार दिया गया।
सम्मेलन को उपेंद्र सिंह, जिप सदस्य दुर्गा दास, दिल मोहम्मद, नागेंद्र कुमार, अजीत मिश्रा, कार्तिक दत्ता, रंजन सिंह, मुकेश सिंह, गणेश धर, गोपाल दास, संतोष घोष आदि ने भी संबोधित किया।