आप भी खेलने की उम्र में कमा सकते करोड़ों, विश्वास न हो तो फरहाद की पढ़िए कहानी Dhanbad News
पुणे में जन्मे फरहाद एसिडवाला ने अपने जीवन के सफलता की कहानी बताते हुए कहा कि बिजनेस शुरू करने के लिए उम्र मायने नहीं रखती।
धनबाद, जेएनएन। खेलने की उम्र में करोड़ों की कंपनी के मालिक। जज्बा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं। ये आंत्रपेन्योर छोटे भले ही हों लेकिन फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और गुगल के दिग्गज तक इनका लोहा मान चुके हैं। हम बात कर रहे हैं फरहाद एसिडवाला की। जिनकी उम्र कम होने के चलते कंपनी भी इनके नाम पर रजिस्टर्ड नहीं हो सकी थी। लेकिन कारोबार की दुनियां में यह अपने क्रिएटिव आइडिया के कारण छाए हुए हैं।
AIISEC चैप्टर की ओर से रविवार को आइएसएम में आयोजित यूथ स्पीक फोरम में फरहाद बतौर गेस्ट लेक्चर के रूप में शिरकत कर रहे थे। पुणे में जन्मे फरहाद एसिडवाला ने अपने जीवन के सफलता की कहानी बताते हुए कहा कि बिजनेस शुरू करने के लिए उम्र मायने नहीं रखती। जब मैं महज 13 साल का था तब मैने एविएशन एयरो मॉडलिंग से जुड़ी बेवसाइट बनानी चाही। शुरू में तो घर से ही सपोर्ट नहीं मिला। मैने अपने पिता को अपने आइडिया और उसकी विशेषता के बारे में कई दिनों तक समझाया और कई दिनों बाद आखिरकार अपने घरवालों को लिए राजी कर लिया। फरहाद ने कहा कि कंपनी को शुरू करने के लिए मुझे सिर्फ एक राउटर की जरूरत थी। जिसके लिए पापा से 500 रुपए लिए थे। उसी से मेरा बिजनेस शुरू हुआ। मेरे पास कोई बिजनेस डिग्री नहीं थी। उन्होंने कहा कि छोटी उम्र होने के कारण कई चुनौतियां आई। छोटी उम्र के कारण लोग मीटिंग तो कर लेते थे पर काम देने को तैयार नहीं होते थे।
फरहाद ने बताया कि मुंबई के चर्च गेट से लेकर पुणे तक जाकर मैने अपनी कंपनी के लिए टीम मेंबर खोजा। इस तरह एक परिचित डेनटिस्ट डा. मरोलिया मेरे पहले ग्राहक बने। जो कुछ सीखा अपनी गलतियों से सीखा। मेरा पहला ही वेंचर कामयाब रहा। फिलहाल वे एक अवार्ड विनिंग इंटरनेशनल एजेंसी चलाते हैं। जिसका नाम रॉकस्टा मीडिया है। यह कंपनी महाराष्ट्र में ब्रैंडिंग, मार्केटिंग और वेब डिवलपमेंट का काम देखती है। पूरी दुनियां से डिवेलपर्स और डिजाइनर्स मुंबई में पढ़ाई कर रहे हैं और फहराद के लिए काम कर रहे हैं। पावरग्रिड, टाटा स्टील, छत्तीसगढ़ सरकार, राजस्थान टूरिज्म समेत कई बड़े वेब क्लाइंट हैं। आज उनकी कंपनी में 42 लोग काम कर रहे हैं।
विनोवा भावे से की थी बीकॉम की पढ़ाई : टीएस सेंटर की एसोसिएट डायरेक्टर नुपूर पवन बेंग के सफलता की कहानी किसी से छुपी नहीं है। नुपूर ने बताया कि सफलता के लिए कोई भी बंधन मायने नहीं रखता। उन्होंने कहा कि दुनियादारी की जिम्मेवारी के साथ भी सफलता पाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि विनोवा भावे विश्वविद्यालय से बीकॉम की पढ़ाई थी। बतौर प्रोफेसर के रूप में 15 साल से भी अधिक का अनुभव रखने वाली नुपुर ने वित्त व अर्थशास्त्र पर दो किताबें भी लिखी हैं। नुपुर फैमली बिजनेस, वित्त, कैपिटल मार्केट, माइक्रो इकोनॉमिक, इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट, फिनांसियल रिस्क मैनेजमेंट, फिनांसियल मॉडलिंग के क्षेत्र में महारथ हासिल है।
उम्र के बंधन का मोहताज नहीं होता व्यवसाय : आज के समय में कॉलेज जाने वाला हर दूसरा छात्र हाथ में रिस्टबैंड पहने नजर आता है। किसी पर पहनने वाले का नाम लिखा होता है। युवाओं के लिए यह एटीट्यूड को दर्शाने का एक तरीका है। रिस्टबैंड कोई स्थापित फैशन नहीं है। लेकिन 19 साल की उम्र में एंटो फिलिप ने इसमें भी पैसे कमाने का तरीका ढूंढ निकाला। फिलिप ने बंगलुरू के क्राइस्ट कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई की है। उन्होंने बताया कि 'द बिग बैंड थ्योरी' नाम से कंपनी शुरू की। उनकी यह कंपनी शुरू करने की प्रेरणा एक किताब से मिली थी। इसका शीर्षक था 'हाउ आई ब्रेव्ड अनु आंटी।' इस किताब की सबसे बड़ी खासियत ये थी कि यह पढऩे वाले को बताती है कि वह कुछ भी कर सकता है। किताब से प्रेरणा लेकर फिलिप ने टीबीबीटी शुरू की। इतने कम समय में ही उसने कंपनी को मिले सात ऑर्डर पूरे कर दिए। हर ऑर्डर 300 से 500 रिस्टबैंड का था। फिलिप ने बताया कि जब यह आइडिया आया तो अपने दोस्तों से इसकी चर्चा की। कुछ बड़ी उम्र के लड़कों से भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि कॉलेज के संरक्षक रोश जॉय को यह आइडिया पसंद आया। उन्होंने कंपनी में निवेश करने का फैसला कर लिया। इस तरह फिलिप इस व्यवसाय में कूद पड़े। फिलिप ने कहा कि कंपनी का नाम टीबीबीटी इसलिए रखा गया क्योंकि इसका मतलब होता है संपर्क और संबंध। फिलिप ने बताया कि अपनी कंपनी का रिस्टबैंड कुछ दोस्तों को दिया उन्हें काफी पंसद आया। जिसके बाद उन्हें पहला ऑर्डर मिला। इसे पूरा करने पर कई डीलरों ने सुझाव दिया कि वह उत्पाद को चीन या थाईलैंड से आयात कर ले। लेकिन उन्होंने बंगलुरू में कुछ फैक्ट्रियों से संपर्क किया। काफी मशक्कत के बाद उसे पीन्या इंडस्ट्रियल एरिया में एक फैक्ट्री मिल गई। इसी बीच टीबीबीटी को बड़ा ऑर्डर मिला। ऑर्डर पूरा होते ही फिलिप की कंपनी के रिस्टबैंड हाथों हाथ बिके। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
हौसले से जीत सकते जिंदगी की जंग : एसिड अटैक पीडि़तों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन चुकी लक्ष्मी अग्रवाल ने आइआइटी आइएसएम के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि महज 15 साल थी और आखों में कामयाब सिंगर बनने का सपना पल रहा था। तभी एक सिरफिरे आशिक ने एसिड अटैक कर उनके सारे ख्वाब खाक कर दिए। लक्ष्मी ने कहा कि मेरा परिवार इस घड़ी में मेरे साथ खड़ा रहा। स्टॉप सेल एसिड की संस्थापक लक्ष्मी ने कहा कि मेरे लिए चेहरा मायने नहीं रखता। आज पूरी दुनियां इसी चेहरे से प्यार करती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में एसिड की बिक्री को लेकर जो जागरूकता अभियान चलाया है उसमें अब दुकानदार भी मेरे साथ आ रहे हैं। करीब 500 दुकानदारों को इसके लिए प्रशस्ती पत्र भी दिया गया है। उन्होंने कहा कि आप समाज में एक सकारात्मक सोंच के साथ आगे बढि़ए कोई परेशानी नहीं होगी। आज लक्ष्मी के दर्द और हौसलों से लिखी हुई उनकी जिंदगी की कहानी पर 'छपाक' फिल्म बन रही है। जिसमें दीपिका पादुकोण काम कर रही हैं। हाल ही में दीपिका ने इस फिल्म से अपना पहला लुक भी जारी किया।