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दान की आंखें कर दी दान

दिनेश कुमार, धनबाद : किसी नेत्रहीन की सबसे बड़ी तमन्ना दो आंखें पाने की होती है लेकिन ि

By Edited By: Published: Sun, 04 Mar 2018 03:16 AM (IST)Updated: Sun, 04 Mar 2018 11:09 AM (IST)
दान की आंखें कर दी दान
दान की आंखें कर दी दान
दिनेश कुमार, धनबाद : किसी नेत्रहीन की सबसे बड़ी तमन्ना दो आंखें पाने की होती है लेकिन विडंबना देखिए, धनबाद में आंखें तो उपलब्ध हो जाती है लेकिन इसे प्रत्यारोपित करने के लिए कोई जरूरतमंद नेत्रहीन नहीं मिल रहा। अब ऐसा सिस्टम की सुस्ती के कारण हो रहा है या फिर जरूरतमंदों तक संदेश ही नहीं पहुंच रहा। लेकिन किसी योग्य व्यक्ति के नहीं मिलने के कारण 17 फरवरी को पीएमसीएच में दान की गई आंखें आखिरकार रांची को दान कर दी गई। अब इन आंखों से रांची के दो नेत्रहीनों की जिंदगी में उजाला होगा। इसके पहले जरूरतमंद नहीं मिलने के कारण हीरापुर के फोटोग्राफर देवकिरण दे द्वारा मरणोपरांत दान की गई आंखें नेत्र बैंक में ही बर्बाद हो गई थीं। उसे किसी में प्रत्यारोपित नहीं किया जा सका था। इस बार भी ऐसी ही मजबूरी सामने थी लेकिन इस बार दोनों आंखें रांची के आई बैंक को दान कर उन्हें बर्बाद होने से बचा लिया गया। अन्यथा ये आंखें भी बेकार हो जाती। ये आंखें 17 फरवरी को पीएमसीएच को एक संस्था द्वारा एक सदस्य की मौत के बाद दान की गई थी। दोनों आंखें रांची के कश्यप आई हॉस्पिटल को दान की गई है। कश्यप नेत्र अस्पताल की डॉ. भारती कश्यप ने बताया कि शीघ्र ही दो जरूरतमंद को ये आंखें प्रत्यारोपित कर दी जाएंगी। धनबाद के नेत्रहीन भले इस मौके का लाभ नहीं उठा पाएं पर रांची के दो जरूरतमंदों की जिंदगी में इससे जरूर उजाला फैल जाएगा। -------------------- 106 निबंधित लेकिन नहीं मिल रहे जरूरतमंद पीएमसीएच नेत्रबैंक से अभी भी करीब 106 नेत्रहीन निबंधित हैं। इन सभी ने आंख प्रत्यारोपण का आवेदन दे रखा है लेकिन इस समय कोई नहीं मिल रहा है। यहां निबंधित अधिकतर नेत्रहीनों से आईबैंक के कर्मी संपर्क करने का प्रयास करते हैं लेकिन किसी से संपर्क नहीं हो पाता है। किसी का नंबर नहीं लगता तो किसी के घर का पता बदल गया है। 14 दिन में खराब हो जाती हैं आंखें : दान में मिली आंख का प्रत्यारोपण किसी जरूरतमंद में नहीं किया गया तो ये 14 दिन में खराब हो जाते हैं। यूं यहां पहले दान में मिली आंख का प्रत्यारोपण सिर्फ सात दिनों में करना जरूरी होता था लेकिन अब इसे रसायनों के सहारे 14 दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है। विडंबना ही है कि 14 दिन के अंतराल में भी पीएमसीएच आईबैंक दो नेत्रहीनों का नहीं खोज पाया। चार साल में 14 का नेत्र प्रत्यारोपण पीएमसीएच में वर्ष 2013 में दृष्टि नेत्र बैंक का संचालन शुरू किया गया था। तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह ने इसका उद्घाटन किया था। करीब चार साल के कार्यकाल में इस आईबैंक में अभी तक 14 लोगों का नेत्र प्रत्यारोपण किया जा चुका है। यूं यहां नेत्र प्रत्यारोपित कराने के लिए अभी तक कुल 106 लोगों ने निबंधन करा रखा है। यानी अभी भी करीब 92 लोगों का नेत्र प्रत्यारोपण होना बाकी है।

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