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कभी फैशन तो कभी प्यार जताने की कला है टैटू

माना जाता है कि टैटू का उपयोग इलाज के लिए भी किया जाता था जिसे मेडिकल टैटू कहते थे। 1898 में डेनियल फॉक्वेट ने टैटू पर एक लेख लिखा था, जिसमें यह बात सामने आई।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 31 Mar 2018 03:41 PM (IST)Updated: Sat, 31 Mar 2018 03:41 PM (IST)
कभी फैशन तो कभी प्यार जताने की कला है टैटू
कभी फैशन तो कभी प्यार जताने की कला है टैटू

धनबाद, आशीष सिंह।  युवाओं पर इन दिनों टैटू का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। युवा फैशन के इतने दीवाने हैं कि कोई भी नई चीज आजमाने से पीछे नहीं हटते, फिर चाहे बात ट्रेंडी ब्रेसलेट, टोपी, ईयररिंग या फिर जीभ, आइब्रो व नाभि में पियरसिंग की हो।

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अभी फिलहाल जिस चीज का क्रेज सबसे अधिक है वह है टैटू। इन दिनों युवा टैटू में अपनी रूचि अधिक दिखा रहे हैं। हालांकि इसमें भी धार्मिक और अपने परिजनों के प्रति प्रेम, आदर व समर्पण का भाव कुछ अधिक ही झलक रहा है। आधुनिकता का रूप धारण किए आज के टैटू का चलन बहुत पुराना है। अगर टैटू के इतिहास की बात करें तो आदिवासी समुदाय खास तौर पर अपने शरीर में विशेष निशान बनवाते थे, जो उनके कबीले का प्रतीक होता था। कल का गोदना, आज का टैटू: आदिकाल से यूरोप और एशिया में टैटू बनाने का चलन रहा है। इसकी शुरूआत क्यों हुई इस बारे में स्पष्ट कहना मुश्किल है।

माना जाता है कि टैटू का उपयोग इलाज के लिए भी किया जाता था जिसे मेडिकल टैटू कहते थे। 1898 में डेनियल फॉक्वेट ने टैटू पर एक लेख लिखा था, जिसमें यह बात सामने आई। धीरे-धीरे टैटू ऋंगार और प्रेम प्रदर्शन का माध्यम बनता चला गया। महिलाएं हाथों में ब्रेसलेट और चूड़ियां, पैरों में पायल की जगह तरह-तरह की डिजाइन का गोदना करवाने लगीं। प्रेमी- प्रेमिका अपने साथी का नाम लिखवाने लगे। आज भी झारखंड में महिलाओं के शरीर में पारंपरिक गोदना आसानी से देखे जा सकते है।

गोदना में टैटू तक का सफर तय करने के दौरान काफी परिवर्तन आ चुके हैं। 70 के दशक में टैटू का इस्तेमाल लोग विरोध प्रदर्शन के लिए भी करते थे, लेकिन 90 के दशक के बाद यह फैशन के तौर पर चल पड़ा। धनबाद में हर माह 130 युवा बनवा रहे टैटू: इन दिनों बॉडी टैटू का क्रेज युवाओं में बढ-चढ़कर देखने को मिल रहा है। मेट्रो सिटी से होता हुआ टैटू का क्रेज अब धनबाद जैसे छोटे शहरों में भी दिखने लगा है। यही कारण है कि शहर में कई टैटू आर्टिस्ट इन दिनों काम कर रहे हैं।

धनबाद में हीरापुर में दो, बैंक सेंटर प्वाइंट मॉल, सरायढेला बिग बाजार में टैटू बनाने का काम होता है। हीरापुर स्थित 'इंक एन आर्ट' के अमन सिन्हा बताते हैं कि टैटू का क्रेज इधर एक-दो वर्षो से अधिक हो गया है। मेरे यहां महीने में लगभग 50 युवा अपने शरीर पर टैटू बनवाने आते हैं। इनमें युवक-युवतियों की संख्या लगभग बराबर है। माता-पिता, अपने लवर और धार्मिक टैटू बनाने का क्रेज सबसे अधिक है। अमन बताते हैं कि वे धनबाद से पहले मुंबई, कोलकाता व दिल्ली जैसे बड़े शहरों में टैटू का काम कर चुके हैं। अमित अभी तक लगभग 3000 टैटू बना चुके हैं। टैटू का ट्रिगर 5 हजार से लेकर 1 लाख तक का आता है। इसके उपकरण महंगे होते हैं। सबसे महंगा टैटू उन्होंने 32000 रुपये का बनाया है। टैटू की दर स्क्वायर इंच के जरिए चार्ज किया जाता है। 800 से लेकर एक लाख रुपये तक का टैटू बनता है। फिल्म स्टार व क्रिकेटर ने बनाया स्टाइल स्टेटमेंट: बॉलीवुड और क्रिकेटर स्टारों ने टैटू को स्टाइल स्टेटमेंट बना दिया है।

रितिक, संजय दत्त, सैफ, दीपिका, करीना जैसे कई कलाकारों ने टैटू करवाए हैं। क्रिकेटरों में विराट कोहली, शिखर धवन और मिशेल जॉनसन में टैटू का क्रेज नजर आता है। टैटू बनवाने का क्रेज न सिर्फ लड़कों बल्कि लड़कियों में भी नजर आता है। लड़किया बड़े-बड़े टैटू से लेकर तिल बनवाने के लिए भी यहा आती हैं। लड़के गर्दन, बांह और सीने पर टैटू बनवाते हैं। टैटू का क्रेज दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। कॉलेज गोइंग लड़के-लड़कियों में इसका ज्यादा क्रेज है। टैटू बनवा रहे हैं तो इन बातों का रखें ध्यान: टैटू दो तरह के होते हैं, एक टैटू जो आपके साथ जीवन भर रहेगा और दूसरा वह जो लगभग सप्ताह बाद हट जाएगा। अगर आप स्थाई टैटू बनवाना चाहते हैं, तो पहले ये सोचिए की कलर बनवाना है या ब्लैक एंड व्हाइट। अगर आप कलर टैटू बनवाना चाहते हैं तो आपको 800 रुपया प्रति स्क्वायर इंच और ब्लैक एंड व्हाइट के लिए 600 रुपये प्रति स्क्वायर इंच खर्च करना होगा। अगर आप अस्थाई टैटू बनवाना चाहते हैं तो 500 रुपया प्रति डिजाइन कलर के लिए और 200 रुपये प्रति डिजाइन ब्लैक एंड व्हाइट के लिए देना होगा। टैटू बनवा चुके सार्थक बताते हैं कि मैंने एक टैटू बनवाया है, जिसमें शिव का त्रिशूल और ओम लिखा है।

गर्दन में टैटू बनवा चुकी शिवांगी कहती हैं कि कि मैं बचपन से ही अलग दिखना चाहती थी। मैंने गर्दन में टैटू बनावाया है और आइब्रो में पीयरसिंग भी करवाई है। युवाओं में बढ़ रहा है मा-पा व थ्रीडी टैटू का क्रेज: टैटू आर्टिस्ट अमन सिन्हा कहते हैं कि पिछले कुछ समय से युवाओं में टैटू का क्रेज तेजी से बढ़ा है। यूं तो बहुत सारे अलग-अलग टैटू लोग अपने शरीर पर गुदवाते हैं। लेकिन आजकल जो सबसे लेटेस्ट टैटू ट्रेंड में है वह है मा-पा का टैटू। इस टैटू में मा और पा लिखा होता है, फिर उसके आगे लाइफलाइन जुड़ी होती है। उसके बाद हार्टबीट यानि दिल की धड़कनें जोड़ देते हैं। इसका क्रेज आजकल काफी देखने को मिला है, वो चाहे लड़किया हों या लड़के, या फिर हो शादीशुदा युगल।

इस टैटू को लोग काफी पसंदकर रहे हैं। इसके अलावा मा-पा के फेस का पोट्रेट टैटू भी सबसे अधिक चलन में है। लड़कों में भगवान भोले शकर यानि शिवा टैटू काफी पसंद किया जाता है। ओम, परिंदे बुद्ध का टैटू भी लोग बनवाते हैं। फिर कुछ लोग अपने शरीर पर मंत्र और एक ओंकार भी गुदवाते हैं। लेकिन अभी मा-पा वाला टैटू सबसे अधिक ट्रेंड में है। कॉलेज गोइंग लड़के-लड़कियों में थ्री-डी टैटू का क्रेज काफी देखने को मिल रहा है। युवा कमर, पीठ, पेट, बाजू, फिंगर, पैर, गर्दन, घुटनों पर टैटू बनवा रहे हैं। कुछ लोग तो शरीर के नाजुक अंग गर्दन, छाती, नाभि, जांघों पर भी टैटू बनवाते हैं। यह है टैटू का इतिहास: टैटू का जो इतिहास हम आपको बताने जा रहे हैं वह सदियों पुराना है। आज जो फैशन है पहले एक प्रथा थी, एक जरूरत थी। भारत में भी स्थायी टैटू जिन्हें गोदना कहा जाता था, का इतिहास बहुत पुराना है।

दक्षिण भारत में स्थायी टैटू को पचकुतरथु कहा जाता था। इस तरह के टैटू 1980 के दशक से पहले तमिलनाडु में बहुतायत थे। भारत में टैटू विभिन्न जनजातियों से संबंधित लोगों की निशानी हुआ करते थे। अलग-अलग जाति और जनजाति के लोग अपनी पहचान के लिए टैटू बनवाते थे। प्राचीन चीन में टैटू असभ्य जनजातियों की निशानी माने जाते थे। चीनी साहित्य में ऐतिहासिक नायकों और डाकुओं से भी टैटू को जोड़ा गया है। चीन में कैदियों के चेहरे पर 'प्रश्नवाचक' निशान बनाया जाता था जो उनके अपराधी होने का प्रमाण था।

दासप्रथा : दासप्रथा के दौरान दासों के मालिक भी अपने-अपने दासों पर एक विशिष्ट निशान गुदवा देते थे, जो उनकी पहचान बन जाते थे।

मिस्त्र में टैटू : प्राचीन मिस्त्र में टैटू का संबंध केवल महिलाओं से ही था, जो उनकी सामाजिक हैसियत और अवस्था को दर्शाता था। इसके अलावा टैटू महिलाओं के धर्म और दी गई सजा से भी जुड़ा होता था। टैटू का संबंध किसी विशेष रोग के इलाज से भी हुआ करता था। खुदाई के दौरान प्राप्त ममी के शरीर पर विभिन्न रंगों से बनाए गए टैटू दिखे।

फिलिपींस में टैटू : प्राचीन फिलिपींस में यह माना जाता था कि टैटू या गोदने के भीतर जादुई शक्तिया होती हैं। इसके अलावा फिलिपींस के लोग अपनी सामजिक हैसियत और ओहदे को दर्शाने के लिए टैटू बनवाते थे। फिलिपींस में रहने वाले कलिंग, इफुगाओ बोंटोक इगोरट लोगों में टैटू की प्रथा अपेक्षाकृत अधिक प्रचलित थी।

यूरोप में टैटू का चलन : प्राचीन यूरोप का सबसे प्रचलित और प्रसिद्ध टैटू एल्प्स की प्रसिद्ध ओट्ज घाटी से मिले ओट्जी नाम के आइसमैन के शरीर पर मिला था, जिसका संबंध ईसा से भी 4 शताब्दी पहले से है। विभिन्न सर्वे में यह प्रमाणित हुआ है कि ओट्जी के शरीर पर 61 टैटू हैं जो कार्बन की सहायता से बनाए गए थे। जहा-जहा ये टैटू थे, उनके आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि इनका संबंध निश्चित रूप से बीमारियों के उपचार से रहा होगा। यूरोप में ईसाइयत का दौर शुरू हुआ तब टैटू बनवाना अवैध घोषित कर दिया गया था।

जापान में टैटू प्रचलन : 1603 से लेकर 1868 तक के प्राचीन जापान में मालवाहक, वेश्याएं और निम्न दर्जे पर काम करने वाले लोग ही टैटू बनवाते थे, ताकि उनकी सामाजिक पहचान बनी रहे। 1720 से 1870 तक अपराधियों के चेहरे पर भी टैटू बनाए जाते थे। जब भी अपराधी कोई अपराध करता था तो उसकी कलाई पर एक रिंग बना दी जाती थी, जितने ज्यादा अपराध उतने ज्यादा छल्ले।

ताइवान : ताइवान में अत्याल जनजाति के वयस्क लोग अपने चेहरे पर टैटू बनवाते थे, जिन्हें तसन कहा जाता था। यह इस बात का प्रमाण था कि वयस्क व्यक्ति अपने घर और भूमि की रक्षा करने के लिए तैयार है और वयस्क महिलाएं घर संभालने के लिए खुद को तैयार कर चुकी हैं। 


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