Positive India: जंग-ए-कोरोना में यह पूरा परिवार ही लड़ाका, एक सैल्यूट तो बनता है
Positive India बकौल डॉ. एके पाठक रोज 20 घंटे चिकित्सा कार्य में जुटे हैं। पूरी टीम भी साथ है। समय मिला तो घर जाते हैं अन्यथा अस्पताल ही ठिकाना है। जब वक्त मिलता है खाना खाते हैं।
बोकारो [ बीके पांडेय ]। Bokaro civil surgeon AK Pathak बोकारो के सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार पाठक का पूरा परिवार कोरोना से जारी जंग में अपनी भूमिका निभा रहा है। पत्नी डॉ. अंजना झा कोल इंडिया के रांची स्थित गांधी नगर अस्पताल की मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी व कोरोना वार्ड की इंचार्ज हैं। बेटी मेजर डॉ. अदिति व उसके पति मेजर डॉ. विशाल झा लेह के सैनिक अस्पताल में कोविड-19 वार्ड में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस परिवार में कोरोना को हराने का गजब का जुनून है। सभी ने घर छोड़ दिया है। इनके 24 घंटे मरीजों के नाम है।
डॉ. पाठक कहते हैं कि कोरोना वह खतरनाक वायरस है जो संक्रमित इंसान से दूसरे इंसान में तेजी से फैलता है। इससे इतर सजगता के बल पर संक्रमण से दूरी बना चिकित्सक अपने फर्ज को पूरी शिद्दत से अंजाम दे रहे हैं। हमें इस बात की खुशी है कि हम ही नहीं हमारा पूरा परिवार देश के विभिन्न हिस्सों में इंसान और कोरोना के बीच ढाल बनकर खड़ा है।
रोज 20 घंटे कर रहे काम, अस्पताल बन गया घर
बकौल डॉ. पाठक रोज 20 घंटे चिकित्सा कार्य में जुटे हैं। पूरी टीम भी साथ है। समय मिला तो घर जाते हैं अन्यथा अस्पताल ही इन दिनों उनका ठिकाना बन गया है। जब वक्त मिला खाना खा लिया। कई बार एक शाम के भोजन पर ही संतोष करना पड़ता है। इससे इतर कोरोना की जंग बहुत बड़ी है। जिद है इसे जल्द से जल्द हराने की। जैसी दिनचर्या हमारी है, पत्नी, बेटी और दामाद की भी है। 22 फरवरी से बिना थके हम मरीजों के बीच हैं।
जज्बे के सामने हारा वायरस, स्वस्थ हुआ सैनिक का परिवार
डॉ. पाठक के अनुसार झारखंड से पहले लेह के सैनिक अस्पताल में कोरोना मरीज पहुंचा था। एक सैनिक के पिता को कोरोना संक्रमण हुआ। पिता की सेवा में लगे सैनिक, उसकी पत्नी व बच्चे भी इसकी चपेट में आ गए। दामाद मेजर विशाल और बेटी अदिति ने दिन रात अपने फर्ज को अंजाम देकर कोरोना को हरा दिया। सैनिक के पिता का पहले सिविल अस्पताल लेह में इलाज हुआ, वहीं सैनिक व उनके परिवार का सैनिक अस्पताल में इलाज हुआ। लेह सैनिक अस्पताल आज भी कोविड अस्पताल के रूप में चिह्नित है।