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7 करोड़ रुपये के एनआरएचएम घोटाले में शामिल लेखा प्रबंधक को स्वास्थ्य विभाग ने किया बर्खास्त

एनआरएचएम के तहत धनबाद में हुए घोटाले में शामिल कसमार के प्रखंड लेखा प्रबंधक रामजय कुमार सिंह को विभाग ने एक माह का अग्रिम वेतन देते हुए बर्खास्त कर दिया है।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 06:49 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 06:49 PM (IST)
7 करोड़ रुपये के एनआरएचएम घोटाले में शामिल लेखा प्रबंधक को स्वास्थ्य विभाग ने किया बर्खास्त
7 करोड़ रुपये के एनआरएचएम घोटाले में शामिल लेखा प्रबंधक को स्वास्थ्य विभाग ने किया बर्खास्त

जागरण टीम, बोकारो/धनबाद: राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत हुए घोटाले में शामिल कसमार के प्रखंड लेखा प्रबंधक रामजय कुमार सिंह को विभाग ने एक माह का अग्रिम वेतन देते हुए बर्खास्त कर दिया है। रामजय पर भ्रष्टाचार निरोधक इकाई धनबाद में गत 26 अगस्त को सात करोड़ के एनआरएचएम घोटाले में शामिल होने का साक्ष्य प्राप्त होने पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी।

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इस मामले में जोड़ापोखर के पीएचसी प्रभारी डॉ. शशिभूषण प्रसाद का भी नाम शामिल था। इस घोटाले में दो पूर्व सिविल सर्जन डॉ. शशिभूषण सिंह, डॉ. अरुण कुमार सिन्हा समेत 10 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। लिस्ट में शामिल रामजय बोकारो के कसमार प्रखंड में बतौर प्रखंड लेखा प्रबंधक के रूप में कार्यरत था।

पीएचसी के लिए आवंटित राशि को अपने खाते में मंगवाकर खर्च किया: छह करोड़ 97 लाख 43 हजार रुपये से अधिक की राशि के गबन में शामिल सभी 10 लोगों पर आरोप है कि इन्होंने पीएचसी के लिए आवंटित राशि को अपने खाते में मंगवाकर खर्च किया।

एफआइआर में इन्हें बनाया गया है नामजद: जिस अवधि में जोड़ापोखर पीएचसी से एनआरएचएम के पैसों को निजी खातों में ट्रांसफर किया जा रहा था, उस समय पहले डॉ शशि भूषण और फिर डॉ. अरुण सिविल सर्जन थे। सिविल सर्जन स्तर से ही एनआरएचएम के पैसों का आवंटन पीएचसी में होता है और व्यय संबंधी जानकारी ली जाती है। एसीबी ने माना कि इन दोनों ने जानबूझकर पैसों का गबन होने दिया।

मृत पूर्व पीएचसी प्रभारी शशिभूषण भी प्राथमिकी में नामजद बने: एसीबी की प्राथमिकी में नामजद जोरापोखर पीएचसी के पूर्व प्रभारी डॉ शशिभूषण प्रसाद की मौत हो चुकी है। एसीबी की जांच में इसकी भूमिका संदिग्ध मिली थी। सरकार से एफआईआर की जो अनुमति मिली है, उसमें भी इनका नाम था। लिहाजा एसीबी ने प्राथमिकी में इन्हें नामजद आरोपी बनाया है, परंतु कोष्ठक में मृत दर्शाया है। मृत बताकर ही उनके खिलाफ चार्जशीट भी दी जाएगी।

प्रमोद सिंह: झरिया-जोरापोखर पीएचसी के सभी 10 खातों से रकम की निकासी में डॉ शशिभूषण प्रसाद का हस्ताक्षर अनिवार्य था। इन्होंने प्रमोद के साथ मिलकर इन खातों में आए पैसों का दूसरों के खातों में ट्रांसफर होने दिया।

रामजय सिंह: बोकारो के कसमार प्रखंड के पीएचसी में अनुबंध पर बहाल रामजय के निजी खातों में प्रमोद ने बड़ी रकमें भेजीं।

अरुण कुमार सिंह: बाघमारा पीएचसी में अनुबंध पर प्रखंड लेखा प्रबंधक के पद पर नौकरी कर रहे अरुण के भी खातों में पैसे भेजे गए।

प्रिया सिंह: प्रमोद सिंह की पत्नी है। प्रमोद ने एनआरएचएम के पैसों को इनके खातों में भी ट्रांसफर किया।

अश्विनी शर्मा: जोरापोखर पीएचसी में ही काम करने वाले अश्विनी के खातों में भी पैसे ट्रांसफर हुए।

अमरेंद्र कुमार पांडेय: मूल रूप से बिहार के सिवान के रहने वाले अमरेंद्र अभी भूली सी ब्लॉक में रहते हैं। इनके खातों में भी बड़ी राशियां आईं।

अजीत कुमार: मूल रूप से रांची के लोअर चुटिया में रहने वाले अजीत घपले के दौरान धनबाद में एनआरएचएम के जिला वित्त प्रबंधक थे।


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