मिशनरी में जन्म के बाद आठ महिलाओं से ले लिया गया उनका बच्चा
रांची की मिशनरी आफ चैरिटी निर्मल हृदय में जिन अविवाहित माताओं से लेकर उनके बच्चे बेच दिए गए, उनमें दुमका की आठ अविवाहित माता भी शामिल हैं।
दुमका, जेएनएन। रांची की मिशनरी आफ चैरिटी निर्मल हृदय में जिन अविवाहित माताओं से लेकर उनके बच्चे बेच दिए गए, उनमें दुमका की आठ अविवाहित माता भी शामिल हैं। रांची उपायुक्त ने एसपी को पत्र भेजकर सभी आठ अविवाहित लड़कियों के मां बनने का सत्यापन कर बाल कल्याण समिति के माध्यम से उन बच्चियों का बयान दर्ज कर सूचित करने को कहा है।
पत्र के आलोक में संबंधित थाना की पुलिस अविवाहित माताओं को बाल कल्याण समिति के सामने पेश कर बयान दर्ज करा रही है। गुरुवार को समिति ने टोंगरा थाना क्षेत्र की रहने वाली एक अविवाहित मां का बयान दर्ज किया। जामा से भी एक ने बयान दर्ज कराया। इन दोनों युवतियों ने निर्मल हृदय में बच्चे को जन्म दिया लेकिन उन्हें बच्चा वापस नहीं दिया गया। कल्याण समिति अभी बाकी छह महिलाओं का भी बयान दर्ज करेगी। बयान लेनेवालों में समिति के अध्यक्ष मनोज कुमार साह, सदस्य सुमिता, रंजन कुमार सिन्हा व रमेश प्रसाद साह शामिल थे।
पीड़ित युवतियों के बयान समिति के सामने जामा और टोंगरा की रहनेवाली अविवाहित मां ने बताया कि जन्म के बाद बच्चे से मिलने ही नहीं दिया जाता था। जन्म के बाद बच्चों को नहीं दिया गया। जामा की युवती ने एक बेटे को जन्म दिया था। उसने बेटे से मिलने की इच्छा जाहिर की लेकिन मिलने नहीं दिया गया। दोबारा मिलने का प्रयास किया तो वहां से भगा दिया गया।
कैसे बनी अविवाहित मां बयान के क्रम में पता चला कि जामा की एक किशोरी दुमका में रहकर कक्षा नौ में पढ़ती थी। रसिकपुर में रहने के दौरान ही एक लड़के के संपर्क में आई। इसी क्रम में वह गर्भवती हो गई। डर के कारण किशोरी ने चार माह का गर्भ ठहरने के बाद परिजनों को इसके बारे में बताया।
परिजन उसे लेकर उर्सला नर्सिग होम गए। वहां की एक डॉक्टर उसे कुरुवा में संचालित मिशनरी आफ चैरिटी ले गए। वहां भी उसे सलाह देकर रांची के मिशनरी ऑफ चैरिटी निर्मल हृदय भेज दिया। वहां तीन माह रहने के बाद उसने बेटे को जन्म दिया। जन्म के बाद उसे अपने बेटे से मिलने तक नहीं दिया गया।