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जिसको संवारने में तबीयत बिगड़ गई, वह बेटा मां को दवाई न दे सका

तमाम आरजू अपनी शहीद करते रहे, इसी तरह कई वर्षो से ईद करते रहे.. जिसको संवारने में तबीयत बिगड़ गई, वह बेटा अपनी मां को दवाई न दे सका..

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Jul 2018 12:17 PM (IST)Updated: Wed, 11 Jul 2018 12:17 PM (IST)
जिसको संवारने में तबीयत बिगड़ गई, वह बेटा मां को दवाई न दे सका
जिसको संवारने में तबीयत बिगड़ गई, वह बेटा मां को दवाई न दे सका

जासं, झरिया: तमाम आरजू अपनी शहीद करते रहे, इसी तरह कई वर्षो से ईद करते रहे.. जिसको संवारने में तबीयत बिगड़ गई, वह बेटा अपनी मां को दवाई न दे सका.. न मालवाला था न साहिबे निसाब था मैं, निकाली मैने बदन की जकात रोजे में.. जैसे शेरों से हेटलीबांध पीस एंड ज्वॉय स्कूल मंगलवार को गूंजता रहा।

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मौका था उर्दू साहित्यिक संस्था रूजहान-ए-अदब झरिया की ओर से शाम में आयोजित ईद मिल-मुशायरा-कवि सम्मेलन का। सम्मेलन में जिले के नामचीन साहित्यकार शरीक हुए। आपसी भाइचारे व सामाजिक सद्भाव को बरकरार रखने की दिशा में संस्था की ओर से आयोजित कार्यक्रम में कवियों ने देश की वर्तमान हालत पर अपनी रचनाओं से कटाक्ष किया। इम्तियाज बिन अजीज ने कवि गोष्ठी का संचालन शायराना अंदाज में किया। उपन्यासकार मनमोहन पाठक, कथाकार नारायण ¨सह, कवि अनिल अनलहातू, शान भारती, डॉ. हसन निजामी, वरीय पत्रकार बनखंडी मिश्र व अशोक अग्रवाल ने एक बेहतर और मानवीय सामाजिक व्यवस्था के निर्माण में सभी से सक्रिय भूमिका अदा करने पर बल दिया। कहा कि समाज में सहिष्णुता व संवेदना बची रहे। इसके लिए अपनी सांस्कृतिक विरासत के तानाबाना को सुरक्षित रखने की जरूरत है। उपन्यासकार मनमोहन पाठक ने कहा कि आज के समय में बाजारवाद हावी है। ऐसा समय आ गया है कि हमे यह बताना पड़ रहा है कि हम असली हैं। बाबरी मस्जिद व अन्य कविताएं पुस्तक के लेखक अनिल अनलहातू ने पुस्तक की एक कविता भी लोगों को सुनाई। कथाकार नारायण ¨सह ने मुंशी प्रेमचंद की ईदगाह कहानी का जिक्र करते हुए कहा कि पहले जैसा अब पर्व व त्योहारों में उत्साह नहीं देखा जाता है।

वरीय पत्रकार बनखंडी मिश्र ने कहा कि साहित्यकारों के बीच अपनी उपस्थिति से गर्व महसूस कर रहे हैं। अगले वर्ष भी कार्यक्रम में रहूं। यहीं आशा है। उमेश चंद्र नील ने कालबैशाखी कविता से सबको मंत्र मुग्ध कर दिया। धन्यवाद गयास अकमल ने दिया। अंत में सभी ने सामूहिक रूप से लच्छा खाकर ईद मिलन को सार्थक किया। जलेस के लोग भी शामिल हुए। युनूस फिरदौसी, कृपाशंकर प्रसाद, इम्तियाज दानिश, जगदीश प्रसाद गुप्ता, शिवबालक पासवान, सुरेश प्रसाद गुप्ता, जनकदेव जनक, गंगाशरण शर्मा, जीएन शर्मा, अहमद फरमान, नसीम अख्तर, लालदीप, अशोक कुमार, नारायण चक्रवर्ती, आफताब आलम, सज्जाद हुसैन, मजहर हुसैन, असलम खान, वसीम अख्तर, जेड रहमान, नजीर अहमद, कासिफ निजामी, जरताब निजामी आदि थे।


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