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Power Crisis: झारखंड के आग्रह पर डीवीसी ने फिलहाल बिजली कटाैती का निर्णय टाला, लाखों उपभोक्ताओं को राहत

बकाया भुगतान को लेकर दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) ने एक जुलाई से झारखंड में बिजली आपूॢत में कटौती करने का अल्टीमेटम दिया था। झारखंड पर डवीसी का 5670 करोड़ रुपये बकाया है।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 07:48 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 07:48 AM (IST)
Power Crisis: झारखंड के आग्रह पर डीवीसी ने फिलहाल बिजली कटाैती का निर्णय टाला, लाखों उपभोक्ताओं को राहत
Power Crisis: झारखंड के आग्रह पर डीवीसी ने फिलहाल बिजली कटाैती का निर्णय टाला, लाखों उपभोक्ताओं को राहत

धनबाद, जेएनएन। झारखंड के धनबाद, बोकोरो, गिरिडीह, कोडरमा, रामगढ़, चतरा और हजारीबाग जिले में फिलहाल संभावित बिजली संकट टल गया है। दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) ने 1 जुलाई से बिजली कटाैती के निर्णय को कुछ दिनों के लिए टाल दिया है। झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम लिमिटेड ने डीवीसी से बिजली कटाैती नहीं करने का आग्रह किया था। इस के बाद डीवीसी ने कुछ दिनों के लिए झारखंड को मोहल्लत दी है। डीवीसी का यह निर्णय झारखंड के बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत है। 

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बकाया भुगतान को लेकर दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) ने एक जुलाई से झारखंड में बिजली आपूॢत में कटौती करने का अल्टीमेटम दिया था। निगम ने 24 जून को झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड पर 5670 करोड़ रुपया बकाया होने का हवाला देते हुए पत्र जारी किया था कि 30 जून तक भुगतान नहीं हुआ तो वह कटौती के लिए मजबूर होगा। इस साल यह दूसरा मौका है जब डीवीसी ने कटौती का नोटिस थमाया है। बिजली कटौती होने पर सबसे अधिक असर उसके कमांड एरिया धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, कोडरमा, चतरा, हजारीबाग, गिरिडीह और रामगढ़ में पड़ता।

बिजली वितरण निगम के प्रबंध निदेशक राजीव अरुण एक्का ने डीवीसी के सदस्य (वित्त) को भेजे पत्र में उल्लेख किया है कि लॉकडाउन की वजह से निगम का राजस्व बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसके बावजूद निगम बकाया भुगतान को लेकर गंभीर है। राज्य सरकार से बिजली सब्सिडी मद में 1000 करोड़ की मंजूरी दी गई है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि को लेकर प्रक्रिया चल रही है। भरोसा दिलाया कि भुगतान हो जाएगा। इस के बाद डीवीसी ने राहत दी है। 

इधर बकाये के दावे पर नए सिरे से विवाद पैदा हो सकता है। इसकी वजह डीवीसी की ऑडिटिंग में तकनीकी पेंच है। बिजली वितरण निगम के एक वरीय अधिकारी के मुताबिक वर्ष 2006 से 2016 तक डीवीसी की ऑडिट नहीं की गई। उसने सिर्फ खर्च दिखाकर अपनी दर तय कराई और वसूली की। इस लिहाज से बिजली वितरण निगम का लगभग 1200 करोड़ रुपया डीवीसी के पास है। वह इस राशि को अद्यतन बकाये में समायोजित करे या भुगतान करे। उधर डीवीसी का पक्ष है कि पूरा मामला विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण में चल रहा है। फिलहाल बकाया राशि 5670 करोड़ है। बिजली वितरण निगम इसका भुगतान करे।


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