झारखंड को अंधेरा कर डीवीसी में मरम्मत का खेल, 53 दिन में 21.20 करोड़ का नुकसान
53 दिन तक पंचेत इकाई बंद रहने के कारण डीवीसी को 21.20 करोड़ का नुकसान हुआ है।
धनबाद, मृत्युंजय पाठक। झारखंड को अंधेरे में डुबा कर दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) में मरम्मत के नाम पर लूट का खेल चल रहा है। वह भी ऐसे समय जबकि कोयले की कमी के कारण डीवीसी के थर्मल पावर स्टेशन क्षमता के मुताबिक बिजली उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। पंचेत स्थित पनबिजली उत्पादन केंद्र को मरम्मत के लिए बंद कर दिया गया। 14 जुलाई से 4 सितंबर 18 तक पंचेत हाइडल का टरबाइन बंद रही। केंद्रीय उर्जा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह के पास जब शिकायत गई तो इसे आनन-फानन चालू किया गया। तब तक सिर्फ बिजली उत्पादन नहीं होने से 21.20 करोड़ का नुकसान हो चुका था।
पीक ऑवर में 53 दिन बंद रही पंचेत इकाई : पनबिजली उत्पादन केंद्रों के लिए मानसून का समय पीक ऑवर होता है। इस समय बारिश के पानी से जलाशय लबालब भरे होते हैं। पनबिजली उत्पादन केंद्रों में लगी टरबाइन को संचालित करने के लिए पानी का जबरदस्त प्रवाह मिलता है। सभी केंद्र पूरी क्षमता में बिजली उत्पादन करते हैं। इस समय मरम्मत का काम नहीं होता है। मानसून से पहले ही मरम्मत का काम पूरा कर लिया जाता है। लेकिन, डीवीसी की पंचेत इकाई मरम्मत के नाम पर 13 जुलाई 18 को बंद कर दी गई। यहां पनबिजली उत्पादन की 20-20 मेगावाट क्षमता की दो इकाइयां हैं।
भाजपा सांसद ने की उर्जा मंत्री से शिकायत : बिहार के औरंगाबाद से भाजपा सांसद सुशील कुमार सिंह ने केंद्रीय उर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह से डीवीसी में मरम्मत के नाम पर लूट की शिकायत की है। मंत्री ने जांच का आदेश भी दे दिया है। उर्जा मंत्री के पास शिकायत पहुंचने के बाद चार सितंबर 2018 को पंचेत इकाई चालू कर दी गई। यहां बिजली उत्पादन से प्रतिदिन डीवीसी को चालीस लाख की कमाई होती है। 53 दिन तक बंदी के कारण डीवीसी को 21.20 करोड़ का नुकसान हुआ है।
बंदी से झारखंड में छाया अंधेरा : मानसून समय के साथ कोयला संकट के वक्त पंचेत इकाई की मरम्मत के फैसले को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस समय डीवीसी झारखंड में जबरदस्त बिजली कटौती कर रहा है। धनबाद समेत आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में रात के समय अंधेरा पसरा रहता है। डीवीसी बकाया बिल वसूली के लिए झारखंड पर दबाव बनाने के लिए कटौती कर रहा है। कटौती कम करने के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री और राज्य के उर्जा मंत्री रघुवर दास जब भी डीवीसी के चेयरमैन से बात करते हैं तो कोयला संकट बताया जाता है। कहा जाता है कि कोयले की कमी के कारण उत्पादन गिर गया है। ऐसे समय चालीस मेगावाट क्षमता की पंचेत इकाई बंद रखना किस बुद्धिमता का परिचय है।
चेयरमैन ने लिखित सवाल का नहीं दिया जवाब: किस परिस्थिति में पीक आवर में पंचेत पनबिजली उत्पादन केंद्र बंद कर मरम्मत करने का निर्णय लिया गया यह डीवीसी के चेयरमैन पीके मुखोपाध्याय से जानने की कोशिश की गई। फोन करने पर उन्होंने कहा कि लिखकर सवाल दीजिए तो जवाब देंगे। लेकिन, वाट्सअप पर लिखित सवाल भेजे जाने के बाद भी जवाब नहीं दिया। इस अविवेकपूर्ण निर्णय को लेकर डीवीसी के उच्चाधिकारियों की गर्दन फंसनी तय है। हालांकि इसलिए कोई भी मुंह खोलना नहीं चाहता है।