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DMC Scam : अभियंत्रण शाखा की फाइलों से रोज हो रहा नया खुलासा, इंटीग्रेटेड सड़क के साथ नहीं बनाई गई नाली

DMC Scam इंटीग्रेटेड सड़क में नाली एलईडी लाइट पेवर ब्लॉक निर्माण का पैकेज शामिल है। कई सड़कों के साथ नालियां नहीं बनी जहां सड़क-नाली निर्माण हुआ वहां लाइट नहीं जल रही है।

By Sagar SinghEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 02:48 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 02:48 PM (IST)
DMC Scam : अभियंत्रण शाखा की फाइलों से रोज हो रहा नया खुलासा, इंटीग्रेटेड सड़क के साथ नहीं बनाई गई नाली
DMC Scam : अभियंत्रण शाखा की फाइलों से रोज हो रहा नया खुलासा, इंटीग्रेटेड सड़क के साथ नहीं बनाई गई नाली

धनबाद, जेएनएन। 14वें वित्त आयोग की राशि से 39 पैकेज में कुल 40 सड़कें बनवाई गईं। 40 सड़कों में 27 सड़कों का प्राक्कलन नगर निगम के तकनीकी पदाधिकारियों ने बनाया। 13 सड़कों के निर्माण के लिए एजेंसी मेसर्स मास एंड वॉयड को भुगतान किया गया। आरोप है कि 13 सड़कों के डीपीआर के लिए 156.33 करोड़ ओवर इस्टीमेट बना दिया गया। इंटीग्रेटेड सड़क के लगभग 200 करोड़ के घोटाले में हर दिन नई चीजें सामने आ रही हैं। इंटीग्रेटेड से मतलब है सड़क के साथ नाली निर्माण, पेवर ब्लॉक बिछाना और एलईडी लाइट लगाना।

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सूत्र बताते हैं कि कई जगह सड़कें तो बना दी गई, लेकिन नाली निर्माण नहीं हुआ। कहीं दोनों चीजें बनीं तो एलईडी लाइटें ही नहीं लगीं। दस्तावेजों में इंटीग्रेटेड का पूरा पैकेज दर्ज है, लेकिन धरातल पर काम हुआ ही नहीं। नगर निगम के अभियंत्रण शाखा में खोजबीन की जा रही फाइलों में यह जानकारी मिल रही है। इसका खुलासा फरवरी में नगर विकास विभाग की जांच टीम ने भी कई निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण करने के बाद भी किया था। यहां बता दें कि सरकार ने इंटीग्रेटेड सड़क के प्राक्कलन में 200 करोड़ रुपये के गड़बड़ी का जिक्र करते हुए जांच का जिम्मा एसीबी को दे दिया है। एसीबी 2017 से लेकर 2019 तक बनाई गई इंटीग्रेटेड (नाली, एलईडी लाइट, पेवर ब्लॉक आदि) सड़कों की जांच होगी।

पूर्व पदाधिकारी धनबाद में कर रहे कैंप : घोटाले की एसीबी जांच की जानकारी के बाद ही नगर निगम सकते में है। सूत्र बताते हैं और निगम कार्यालय में चर्चा भी है कि जिसके कार्यकाल में निर्माण हुआ था, उस समय के मुख्य अभियंता, सहायक अभियंता, पूर्व नगर आयुक्त मनोज कुमार और अपर नगर आयुक्त महेश संथालिया तक धनबाद में कैंप किए हुए हैं। सभी नगर निगम के आसपास ठहरे हुए हैं। पीसीसी निर्माण से संबंधित दस्तावेज मंगाए जा रहे हैं। हर कमी को दुरुस्त करने का प्रयास किया जा रहा है। दो दिन से लगातार देर रात तक बैठकें हो रही हैं।

नगर आयुक्त भी दो दिन कार्यालय नहीं पहुंचे। अपने आवासीय कार्यालय से ही कामकाज निपटाते रहे। जब से सरकार ने 200 करोड़ के सड़क निर्माण घोटाले की एसीबी जांच का निर्देश दिया है, निगम में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इस प्रकरण में उच्चाधिकारियों से लेकर कनीय पदाधिकारियों तक की गर्दन फंसते नजर आ रही है। सिर्फ होल्डिंग और वाटर यूजर चार्ज ही जमा हो रहा है। गाहे-बगाहे जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र का आवेदन जरूर पहुंच रहा है।


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