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मांडर की बेटी की प्रशासन ने ली सुध, ईलाज को 4.14 लाख भुगतान की मिली स्वीकृति

पीडि़ता के भाई के मुताबिक उसकी बहन के नाम प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना का गोल्डेन कार्ड है। बावजूद इसके उसका सही तरीके से इलाज नहीं किया जा रहा।

By mritunjayEdited By: Published: Thu, 25 Oct 2018 11:29 AM (IST)Updated: Thu, 25 Oct 2018 11:29 AM (IST)
मांडर की बेटी की प्रशासन ने ली सुध, ईलाज को 4.14 लाख भुगतान की मिली स्वीकृति
मांडर की बेटी की प्रशासन ने ली सुध, ईलाज को 4.14 लाख भुगतान की मिली स्वीकृति

धनबाद, जेएनएन। बरवाअड्डा सामूहिक दुष्कर्म कांड की पीडि़ता की जिला प्रशासन ने एक माह बाद सुध ली है। रिम्स में इलाजरत पीडि़ता को चार लाख 12 हजार 500 रुपये देने की स्वीकृति उपायुक्त आंजनेयुलु दोड्डे ने प्रदान कर दी है। एक-दो दिनों में पीड़िता के बैंक खाते में राशि पहुंच जाएगी। 

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पीडि़ता को अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत दर्ज मामले में उपायुक्त द्वारा चिकित्सा प्रमाण पत्र एवं घटना की पुष्टि के आलोक में राहत राशि का 50 फीसद चार लाख 12 हजार 500 रुपये की राशि भुगतान करने की स्वीकृति दी गई है। बता दें कि दैनिक जागरण ने पीडि़ता को इलाज में हो रही परेशानी व आरोपितों द्वारा दी जा रही धमकी के मद्देनजर मंगलवार को विस्तृत खबर भाई मुझे जहर दे दो, अफसोस मैं बच क्यों गई शीर्षक से प्रकाशित की थी। इसके आलोक में उपायुक्त ने पीडि़ता को मुआवजा भुगतान की स्वीकृति दी।

सुरक्षा में हो रही कोताही : पीडि़ता के भाई के मुताबिक रिम्स में उनकी सुरक्षा में गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। उसने बताया कि सुरक्षा के लिए कांस्टेबलों की नियुक्ति की गई है ताकि कोई अवांक्षित व्यक्ति उन तक न पहुंच सके। बावजूद इसके दो दिन पहले स्वयं को मानवाधिकारवादी बतानेवाले कुछ लोग कांस्टेबलों को धमकाते हुए उन तक पहुंच गए। सीधे पीडि़ता से सवाल-जवाब करने लगे जबकि वह बोलने की स्थिति में नहीं थी। टोकने पर हमसे कहा कि वे जेल से आरोपितों से मिलकर आ रहे हैं। हमने गलत लोगों को फंसा दिया है। वे फोन नंबर, गांव का पता आदि मांग रहे थे। विरोध करने पर गए। 

 आयुष्मान भारत का भी नहीं मिल रहा लाभ : पीडि़ता के भाई के मुताबिक उसकी बहन के नाम प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना का गोल्डेन कार्ड है। बावजूद इसके उसका सही तरीके से इलाज नहीं किया जा रहा। डॉक्टरों ने बताया कि उसकी बहन का सामने के दांत व जबड़े टूट गए हैं। उनमें प्लेट लगाना पड़ेगा लेकिन चूंकि वे गरीब हैं लिहाजा सामान्य तौर पर इलाज कर दिया गया है। आगे खास ख्याल रखना पड़ेगा। जब हमने उनसे कहा कि यह पुलिस केस का मामला है इसका इलाज तो सरकार करा रही है लिहाजा प्लेट लगा दें तो उन्होंने कहा कि ऐसे भी ठीक हो जाएगा। आयुष्मान भारत योजना के गेल्डन कार्ड की बाबत भी हमने कहा है कि इसमें भी पांच लाख तक के इलाज का प्रावधान है लिहाजा इसी से प्लेट लगवा दें, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। दो दिन पूर्व जबरन इसे डिस्चार्ज करने की बात कही गई। पेपर भी बना दिया गया। हमने कहा कि गांव में इलाज की व्यवस्था नहीं है। पीडि़ता को पाइप से आहार दिया जा रहा है। ऐसा गांव में संभव नहीं है। सुप्रीटेंडेंट से भी गुहार लगाई तो वे माने। पीडि़ता का इलाज डॉ. आरके पांडे के नेतृत्व में चल रहा है।

एसपी कार्यालय से घटना से संबंधित प्राथमिकी और मेडिकल जांच रिपोर्ट विलंब से प्राप्त हुई। कागजात प्राप्त होते ही उपायुक्त ने एससी-एसटी उत्पीड़न निवारण अधिनियम के तहत मुआवजा भुगतान की स्वीकृति प्रदान कर दी है। पीड़िता के परिजनों से उसका बैंक खाता डिटेल मांगा गया है। प्राप्त होते ही राशि बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी। 
पूनम कच्छप, जिला कल्याण पदाधिकारी, धनबाद। 


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