Weekly News Roundup Dhanbad: मेला खत्म, कूड़ा-कचरा वहीं
एक समय था जब लोग तरो-ताजगी के लिए यहां घूमने निकलते थे। इस कॉलोनी की हरियाली चमकती सड़कें डिवाइडरों में फूलों की क्यारियां भव्य भवन आकर्षित करते थे। अब सबकुछ उजड़ चुका है।
धनबाद [ रोहित कर्ण]। दीक्षा महिला मंडल की ओर से रविवार को सृजन ग्रामीण मेले का आयोजन किया गया था। मेले में बीसीसीएल के तमाम कर्मी सपरिवार शामिल हुए और कार्यक्रम का आनंद उठाया। मेला समाप्त हुए 72 घंटे हो चुके हैं लेकिन नेहरू कांप्लेक्स स्थित सीआइएसएफ परेड ग्राउंड पर कचरा यथावत है। आयोजकों ने मेले का तो खूब आनंद लिया लेकिन कचरा साफ करना भूल गए। जबकि पूरा देश स्वच्छ भारत अभियान को लेकर संजीदा है। वह भी तब जबकि धनबाद नगर निगम भी देश के सर्वाधिक स्वच्छ शहरों को लेकर आयोजित प्रतियोगिता में संलग्न है। नेहरू कांप्लेक्स में सरायढेला, कोला कुसमा, कुसुम विहार के हजारों लोग सुबह-सुबह मॉर्निंग वॉक के लिए पहुंचते हैं। जहां तीन दिन पहले तक हरे-भरे कोयला नगर में स्वच्छ हवा ग्रहण कर घर लौटते थे और पूरी ऊर्जा से दिनभर के काम में लगते थे, अब मुंह पर रुमाल लिए घूमते दिख रहे हैं।
यह कॉलोनी अब नहीं आदर्श
कोयला नगर। एक समय था जब लोग तरो-ताजगी के लिए यहां घूमने निकलते थे। इस कॉलोनी की हरियाली, चमकती सड़कें, डिवाइडरों में फूलों की क्यारियां, भव्य भवन आकर्षित करते थे। अब सबकुछ उजड़ चुका है। ऐसा तो तब भी नहीं था जब कंपनी बीआइएफआर में थी। आज सड़कों पर गड्ढे, झाडिय़ां, कचरे का ढेर इसकी पहचान बन गई है। यूं चंद एक जोड़े आज भी यहां सेल्फी लेते दिखते हैं मगर यह ऐसा ही है जैसे किसी किले के खंडहर पर पर्यटक जुटते हों। छह महीने से अधिक होने को चले हैं जब मेसर्स अनिल कुमार राय एंड कंपनी का कांट्रैक्ट खत्म हो चुका है। सफाई के लिए दूसरा कांट्रैक्टर बहाल नहीं हुआ है। दुरावस्था देख कोयला नगर टाउनशिप एडमिनिस्ट्रेशन व जगजीवन नगर टाउनशिप एडमिनिस्ट्रेशन का कार्यभार सिविल विभाग के जिम्मे कर दिया गया है। तीन महीने बीत गए लेकिन स्थिति नहीं सुधरी है।
आज भी लाहिड़ी ही सीएमडी!
यहां आज भी तापस कुमार लाहिड़ी ही सीएमडी हैं। कोयला नगर का प्रवेश द्वार। करीब में एक बोर्ड लगा है। उस पर टीके लाहिड़ी सीएमडी दर्शाए गए हैं। उनके समय के सभी निदेशकों के नाम भी बोर्ड पर अंकित हैं। लाहिड़ी तो हटाए जा चुके हैं। उसके बाद से बीसीसीएल में काफी कुछ बदल चुका है लेकिन बोर्ड...। या तो अब तक कोयला भवन के अफसरों की नजर नहीं पड़ी या उन्होंने नये सिरे से बोर्ड लगाने की जरूरत महसूस नहीं की। हालांकि पुराना बोर्ड तो हटा ही दिया जाना चाहिए था। और यह तब है जब लाहिड़ी के बाद एम कुमार, अजय सिंह, गोपाल सिंह, शेखर शरण बीसीसीएल के सीएमडी बने। हालांकि इनमें अधिकांश प्रभारी ही रहे। अब पीएम प्रसाद कंपनी के पूर्णकालिक सीएमडी बन चुके हैं। ऐसी स्थिति में पुराना बोर्ड गफलत भी पैदा करता है, तरह-तरह के शगूफे भी उड़ते हैं।