Digital Education & Black Board: दीवारों को बनाया ब्लैकबोर्ड, शिक्षा पहुंची बच्चों के द्वार
पोषक क्षेत्र के गांव में छात्र-छात्राओं के घर के बाहर की दीवारों पर 100 से अधिक श्यामपट्ट बनवाए गए हैैं। हर श्यामपट्टï के सामने विशेष कक्षा लगाई जाती है। आसपास के आठ से दस बच्चे उपस्थित रहते हैैं। स्कूल के एक शिक्षक उन्हें पढ़ाते हैं।
बासुकीनाथ [ रूपेश झा लाली]। Digital Education & Black Board कोरोना काल में पढ़ाई को सुचारू रखने के लिए झारखंड के दुमका जिले के बनकाठी लाउडस्पीकर मॉडल की काफी सराहना हुई थी। अब इसी जिले के जरमुंडी प्रखंड में एक और अनुकरणीय पहल की गई। उत्क्रमित मध्य विद्यालय डुमरथर के शिक्षक और अभिभावकों ने मिलकर एक उपाय तलाशा। घरों की दीवारों पर ब्लैकबोर्ड बनाकर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इस दौरान संक्रमण से बचने के लिए सारी सावाधानियां बरती जाती हैं। विशेष कक्षा में 210 बच्चे आ रहे हैं।
दरअसल, इस प्राथमिक सह मध्य विद्यालय में पढऩेवाले अधिकतर छात्र-छात्राएं गरीब आदिवासी परिवार से हैैं। 70 फीसद से अधिक बच्चों के पास मोबाइल फोन नहीं हैैं। इस कारण लॉकडाउन के दौरान सरकार के डीजी साथ कार्यक्रम के तहत दी जा रही ऑनलाइन शिक्षा से वंचित रह जाते थे। पढ़ाई बाधित हो गई थी। इस समस्या के निदान की पहल प्रधानाध्यापक सपन कुमार ने की। उन्होंने अभिभावकों से सहयोग मांगा और अगस्त में पढ़ाई की इस नई तरकीब को धरातल पर उतारा। इसका नाम रखा गया- शिक्षा आपके द्वार समुदाय के साथ।
सुरक्षा के साथ इस तरह होती पढ़ाई
पोषक क्षेत्र के गांव में छात्र-छात्राओं के घर के बाहर की दीवारों पर 100 से अधिक श्यामपट्ट बनवाए गए हैैं। हर श्यामपट्टï के सामने विशेष कक्षा लगाई जाती है। आसपास के आठ से दस बच्चे उपस्थित रहते हैैं। स्कूल के एक शिक्षक उन्हें पढ़ाते हैैं। इनके बीच शारीरिक दूरी रखी जाती है। मास्क और सैनिटाइजर भी जरूरी है। छात्र-छात्राएं अपने सवालों को श्यामपट्ट पर लिखते हैं। शिक्षक उनका उत्तर देते हैैं। विस्तार से समझाते हैैं। विषय के अनुसार दिन तय किया जाता है। रोज करीब दो घंटे की कक्षा होती है। विद्यालय के शिक्षक अजय कुमार मंडल, अनुज कुमार मंडल और सुखलाल मुर्मू पोषक क्षेत्रों में कक्षा चलाते हैैं। प्रधानाध्यापक इसका निरीक्षण करते हैैं।
कितने मुहल्लों में कक्षा
प्रधानाध्यापक सपन कुमार ने बताया कि डूमरथर नीचे टोला, डूमरथर ऊपर टोला, सिमरिया व बनवारा के कुंवर टोले में ऐसी कक्षा चल रही है। स्कूल के 300 विद्यार्थियों में 180 से 210 बच्चे उपस्थित रहते हैैं। कक्षा जारी है। इस संबंध में जरमुंडी बीआरसी के बीआरपी लक्ष्मण राउत ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में मोहल्ला क्लास के बाद डुमरथर के शिक्षकों की यह पहल सराहनीय है। वहीं विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रामविलास मुर्मू ने कहा कि पढ़ाई का यह तरीका राज्य में संभवत: पहला है। गरीब विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित नहीं होती।
क्या था बनकाठी मॉडल
मोबाइल के अभाव में ऑनलाइन शिक्षा से वंचित छात्रों की पढ़ाई जारी रखने के लिए दुमका के बनकाठी स्कूल के शिक्षकों ने मुहल्ला क्लास की शुरुआत की थी। लॉकडाउन के दौरान मुहल्ले में लाउडस्पीकर लगाकर बच्चों को पढ़ाया जाता था। इसकी सराहना देश स्तर पर हुई थी।
सुदूर ग्रामीण इलाकों में ऑनलाइन शिक्षा से वंचित छात्रों को पढ़ाने की यह व्यवस्था काफी अच्छी है। शिक्षा विभाग और शिक्षकों का उद्देश्य है कि बच्चों का पाठ्यक्रम तय अवधि में पूरा हो जाए और साल बर्बाद न हो। अभिभावकों का भी भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है।
-लक्ष्मण राउत, बीआरपी, प्रखंड संसाधन केंद्र, जरमुंडी (दुमका)