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जागरण पड़ताल : एक से 22 रुपये किलो बिक रहा नगर निगम का कचड़ा

शहर के विभिन्न क्षेत्रों से उठने वाला कचड़ा कंपैक्टर मशीन में जाने की बजाए निजी कचड़ाखानों में जा रहा है। इसके एवज में कचड़ा उठाने वाली एजेंसी रैमकी के सुपरवाइजर मालामाल हो रहे हैं। मामला साफ है शहर का कचड़ा किलो के भाव में बेचा जा रहा है। कचड़ा बेचने के लिए बकायदा कांटा लगाया गया है। यह काम धनसार से नई दिल्ली जाने वाले रास्ते में लगे कंपैक्टर के पास का है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 11:03 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 11:03 PM (IST)
जागरण पड़ताल : एक से 22 रुपये किलो बिक रहा नगर निगम का कचड़ा
जागरण पड़ताल : एक से 22 रुपये किलो बिक रहा नगर निगम का कचड़ा

बलवंत कुमार, धनबाद : शहर के विभिन्न क्षेत्रों से उठने वाला कचड़ा कंपैक्टर मशीन में जाने की बजाए निजी कचड़ाखानों में जा रहा है। इसके एवज में कचड़ा उठाने वाली एजेंसी रैमकी के सुपरवाइजर मालामाल हो रहे हैं। मामला साफ है शहर का कचड़ा किलो के भाव में बेचा जा रहा है। कचड़ा बेचने के लिए बकायदा कांटा लगाया गया है। यह काम धनसार से नई दिल्ली जाने वाले रास्ते में लगे कंपैक्टर के पास का है।

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निगम का प्रावधान है कि छोटी गाड़ियों से गली मोहल्ला का कचड़ा निकालकर धनसार स्थित कंपैक्टर मशीन स्थल पहुंचता है। यहां से बड़े ट्रकों में कचड़ा को लोड कर कंपैक्टर मशीन में भेज दिया जाता है, लेकिन यहां ऐसा नहीं होता। छोटी गाड़ियों से कचड़ा यहां आने के बाद उसे नीचे गिरा दिया जाता है। सुपरवाइजर के कुछ लोग इस ढेर से कचड़े को चुनते हैं। कागज, लोहा, प्लास्टिक, शीशा से बने सामानों को अलग किया जाता है। इन्हें अलग-अलग बोरो में भरकर वजन होता है। वजन करने के लिए यहां एक डिजीटल इलेक्ट्रॉनिक वेट मशीन लगाया गया है। इसके बाद इसे सुपरवाइजर के ओर से निर्धारित एक कचड़ा गोदाम में भेज दिया जाता है। अलग-अलग पदार्थ से बने कचड़ा सामानों की अलग-अलग कीमत वसूल की जाती है।

भाग गया सुपरवाइजर मिथुन : नई दिल्ली रोड़ स्थित कंपैक्टर मशीन के पास जब कचड़ा को अलग कर उसका वजन किया जा रहा था उस वक्त यहां दो सुपरवाइजर मिथुन और अबदुल मौजूद थे। जब इस जगह की तस्वीरें ली जाने लगी तो मिथुन फरार हो गया। जबकि अब्दुल वहीं खड़ा था। अब्दुल ने कहा कि वे लोग रैमकी के आदेश के तहत काम करते हैं, लेकिन वजन कांटा लगाने, कचड़ा को अलग करने आदि कार्यों पर वह चुप हो गया। यहीं पर कचड़ा चुनने का काम कर रहे शिमला बहाल के छोटू भुईयां ने कहा कि वह कचड़ा बेचने का काम करता है।

दस गुणा फायदा : कचड़ा उठाने वालों और चुनने वालों से सुपरवाइजर अलग-अलग दर पर कचड़ा लेते हैं। प्लास्टिक 12 रुपये किलो, कागज से बने कार्टुन पांच रुपये किलो और बोतल एक रुपये किलो। लेकिन जब इस कचड़ा गोदाम को बेचा जाता है तो प्लास्टिक 22 रुपये किलो, कार्टुन 10 रुपये किलो और बोतल 12 रूपये दर्जन।

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धनसार नई दिल्ली स्थित कंपैक्टर स्टेशन के पास कचड़ा बेचा नहीं जाता है, बल्कि अलग-अलग किया जाता है। फिर यहां से कचड़ा को उठाकर कैंपैक्टर स्टेशन पहुंचाया जाता है। खरीद बिक्री की जांच की जाएगी।

- प्रणव पटनायक, प्रोजेक्ट मैनेजर रैमकी

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कचड़ा बेचना पूरी तरह से गलत है। कचड़ा का प्रबंधन किया जाता है। धनसार के नई दिल्ली समेत गोल्फ मैदान के पास भी कचड़ा बेचे जाने की सूचना मिली है। जांच कर कार्रवाई की जाएगी। - मो. अनीस, कार्यपालक पदाधिकारी, धनबाद अंचल, धनबाद नगर निगम

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