Shaharnama Dhanbad: बन्ना गुप्ता के पोस्टर पर कालिख... स्वागत के हजार रंग, एक ये भी
Banna Gupta Jharkhand Health Minister पहली समीक्षा बैठक में बन्ना गुप्ता ने सरकारी सेवकों को कसना शुरू किया था कि झारखंड अधिविद्य परिषद की परीक्षा में अनुतीर्ण घोषित हो चुके विद्यार्थियों ने प्रभारी मंत्री से मिलने की मांग पर जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर बवाल मचा दिया।
अश्विनी रघुवंशी, धनबाद। राजनीति बेहद बेरहम होती है। प्रभारी मंत्री के नाते बन्ना गुप्ता पहली बार आए। कदम-कदम उन्हें पुष्पगुच्छ मिले। मालाएं पहनाई गईं। जिधर देखो, उधर स्वागत। पहली समीक्षा बैठक में बन्ना गुप्ता ने सरकारी सेवकों को कसना शुरू किया था कि झारखंड अधिविद्य परिषद की परीक्षा में अनुतीर्ण घोषित हो चुके विद्यार्थियों ने प्रभारी मंत्री से मिलने की मांग पर जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर बवाल मचा दिया। अनुमंडल पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार भड़क गए। छात्राओं पर लाठियां बरसा दी। पुलिस वालों से बरसा भी दी। अनुभवी दंडाधिकारी शरीर पर कम, सड़क पर ज्यादा लाठियां पिटवा का आदेश देते हैैं ताकि भय में लोग पीछे हट जाय। विद्यार्थियों पर लाठियां बरसने के साथ बवाल तय था। हुआ भी। बन्ना ने राजनीति में खूब लाठियां खाई हैं। समीक्षा बैठक के बाद चले गए। हां, स्वागत के लिए लगाई गई उनकी अधिकतर तस्वीरों पर अगले दिन कालिख जरूर पोत दी गई।
जगरनाथ को बख्श दीजिए हुजूर
जगरनाथ महतो। कोरोना हो गया था। कई महीनों तक चेन्नई में इलाज चला। फेफड़ा बदला गया। लंबे कालखंड के बाद मानव संसाधन मंत्री के पद को दोबारा संभाल लिए। इंटरमीडिएट का परीक्षा परिणाम घोषित किया। परीक्षा होगी तो कुछ विद्यार्थी अनुतीर्ण होंगे ही। कोरोना काल में अनुतीर्ण होने का दर्द ऐसा था कि हंगामा मच गया। जगरनाथ महतो इस मसले को समझ रहे थे कि अचानक पुराना मुकदमा भी खुला गया। झारखंड उच्च न्यायालय ने ने डुमरी के कालेज में हुए गबन के मामले में मानव संसाधन मंत्री के खिलाफ निकले वारंट पर लगी रोक को हटा दिया। यह मुकदमा चार साल पुराना है। तब जगरनाथ महतो डुमरी कालेज की प्रबंधन समिति के मुखिया होते थे। सांसद एवं विधायकों के लिए धनबाद में बनाई गई विशेष अदालत में दो दिन बाद सुनवाई होनी है। बदले हुए फेफड़े के सहारे जगरनाथ बाबू कितने सितम बर्दाश्त करें।
फिर सजेगा संजीव का दरबार
चचेरे भाई नीरज सिंह की हत्या के मुकदमे में झरिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह न्यायिक हिरासत में हैै। स्वर्गीय नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह अभी झरिया से सत्तारुढ़ दल कांग्रेस की विधायक हैैं। धनबाद जेल में रहते हुए भी संजीव की धमक बनी हुई थी। अचानक हेमंत सरकार ने उन्हें दुमका कारा भेज दिया। यद्यपि, न्यायालय का आदेश था कि संजीव को दूसरे जेल नहीं ले जा सकते। संजीव ने न्यायालय में वही आदेश पेश किया। आखिरकार न्यायालय के आदेश पर वे दुमका से वापस धनबाद जेल आ गए। जेल प्रशासन के दिशानिर्देश के मुताबिक निर्धारित तारीख पर फिर धनबाद जेल में संजीव सिंह से मुलाकाती आएंगे। अङ्क्षरदम बनर्जी, बाबू जेना, अखिलेश सिंह, छोटू सिंह, मास्टरजी, महंत पांडेय, बप्पी बाउरी, उमेश यादव जैसे अनेक लोग हैैं। पतिदेव की वापसी का रागिनी सिंह का सियासी राग भी तेज होगा। और उठापटक बाकी है।
न्यायाधीश को दिलाना है न्याय
न्यायाधीश उत्तम आनंद की हत्या के मुकदमे की जांच के लिए झारखंड के अपर पुलिस महानिदेशक संजय आनंद लाटकर भेजा गया था। महाराष्ट्र एटीएस में काम कर चुके संजय आनंद मान रहे थे कि मुकदमा उन्हें सुलझाना है और उनके पास वक्त बिल्कुल नहीं है। बोकारो डीआइजी मयूर पटेल को भी उत्तम आनंद का जाना खल रहा था। कई जिलों में साथ काम करते हुए पारिवारिक रिश्ते बन चुके थे। सर्किट हाउस में रात दो बजे तक एडीजी खुद समीक्षा करते रहे। हाईकोर्ट से उच्चतम न्यायालय से ऐसी टिप्पणी आई जो झारखंड पुलिस की साख पर सवाल उठाती रही। सवाल पैदा कर रहे थे। इसी बीच यह मुकदमा सीबीआई को देने का फैसला हो गया। इसके बाद भी एडीजी पुलिस कप्तान संजीव कुमार, सिटी एसपी राम कुमार एïवं एएसपी मनोज स्वर्गियार से एडीजी मेहनत कराते रहे ताकि सीबीआई में झारखंड पुलिस की साख बनी रहे।