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Dhanbad: फिर निकला SNMMCH के चर्च‍ित 1.63 करोड़ रुपये सीटी स्कैन घोटाले का ज‍िन्‍न

शहीद निर्मल महतो मेमोरियल कालेज एवं अस्पताल (एसएनएमएमसीएच) वर्ष 2004 में 1.63 करोड़ रुपए के सीटी स्कैन घोटाले का मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने जांच पूरी कर ली है। एसीबी ने अब आरोपी पदाधिकारी और कर्मचारियों पर चार्ज शीट दर्ज करने की तैयारी शुरू हो गई है।

By Atul SinghEdited By: Published: Tue, 24 May 2022 01:43 PM (IST)Updated: Tue, 24 May 2022 01:43 PM (IST)
Dhanbad: फिर निकला SNMMCH के चर्च‍ित 1.63 करोड़ रुपये सीटी स्कैन घोटाले का ज‍िन्‍न
एसीबी ने अब आरोपी पदाधिकारी और कर्मचारियों पर चार्ज शीट दर्ज करने की तैयारी शुरू हो गई है।

जागरण संवाददाता, धनबाद: शहीद निर्मल महतो मेमोरियल कालेज एवं अस्पताल (एसएनएमएमसीएच) वर्ष 2004 में 1.63 करोड़ रुपए के सीटी स्कैन घोटाले का मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने जांच पूरी कर ली है। एसीबी ने अब आरोपी पदाधिकारी और कर्मचारियों पर चार्ज शीट दर्ज करने की तैयारी शुरू हो गई है। एसीबी ने इस संबंध में एसएनएमएमसीएच प्रबंधन को पत्र लिखकर घोटाले के प्रमुख आरोपी में शामिल रहे लिपिक जयराम सिंह के बारे में जानकारी मांगी है। हालांकि तीन वर्ष पूर्व जयराम सिंह रिटायर हो गए हैं। नियमानुसार किसी कर्मचारी पर चार्ज शीट दर्ज करने व गिरफ्तार से पहले संबंधित विभाग के प्रमुख को सूचित किया जाता है। पत्र आने के बाद एक बार फिर से धनबाद में चर्चित रहे सीटी स्कैन घोटाला चर्चा में आ गया है।

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एसीबी ने एसएनएमएमसीएच के तत्कालीन प्राचार्य व अधीक्षक डा. शरदचंद्र दास, क्लर्क योगेंद्र प्रसाद सिंह और जयराम सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया था। हाई कोर्ट से भी आरोपितों को कोई राहत नहीं मिल पाई थी। मजेदार बात यह है कि जयराम सिंह सेवानिवृत्त होने के बाद अस्पताल में तिरूपति इंटरप्राइजेज नामक फर्म चला रहे हैं। फर्म पर भी घोटाले की शिकायत अस्पताल प्रबंधन को आई है। इसकी जांच अस्पताल स्तर पर चल रही है।

1.63 करोड़ की मशीन, कुछ माह में ही खराब

वर्ष 2004 में 1.63 करोड़ रुपए की लागत से एसएनएमएमसीएच में सीटी स्कैन मशीन लगाई गई थी। जांच में बता चला कि उस वक्त बाजार में इस मशीन की कीमत 70 लाख रुपए से भी कम थी। जबकि इसके दोगुनी कीमत पर इसे बाजार से खरीदा गया। नतीजतन यह मशीन छह महीने भी नहीं चली पाई। जिस वक्त मशीन की खरीदारी की गयी, उस समय संस्थान के पास रेडियोलाजिस्ट नहीं थे, न ही कोई प्रशिक्षित कर्मी ही थे। कमीशन खोरी के चक्कर में आनन-फानन में मशीन खरीद ली गई थी। सरकार ने विभागीय जांच से संतुष्ट नहीं होने के बाद मामला एसीबी के हवाले कर दिया गया। 14 सितंबर 2016 को एसीबी ने मामले में प्राथमिकी दर्ज की। इसमें शामिल तत्कालीन अधीक्षक सहित पांच लोगों को आरोपित बनाया गया।

17 वर्षों से जनता भुगत रही सजा

सीटी स्कैन मशीन खराब होने के बाद इसका सबसे ज्यादा प्रभाव गरीब मरीजों को उठाना पड़ रहा है। मरीजों को निजी जांच घरों में जाकर सीटी स्कैन कराना पड़ता है। चार वर्ष पूर्व पीपीपी मोड़ पर अस्पताल में सीटी स्कैन जांच सेवा शुरू हुई, लेकिन भुगतान नहीं होने के कारण संचालित संस्था (हेल्थमैप) ने सीटी स्कैन जांच बंद कर दी है।

कोट

सीटी स्कैन घोटाले में दोषी लोगों पर एफआईआर दर्ज की जा रही है। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जांच में जो भी दोषी मिले हैं, सभी पर कार्रवाई हो रही है।

नितिन खंडेलवाल, डीएसपी, एंटी करप्शन ब्यूरो धनबाद


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