Dhanbad: नवरात्र में नौ प्रकार के फलों से सजेगा शक्ति मंदिर में मां का दरबार... पढ़िए इससे जुड़ी रोचक जानकारी
शक्ति मंदिर का शिलान्यास सात दिसंबर 1998 में कमल मेंहदी हुकुम चंद भूटानी आनंद सचदेव अरुण कुमार भंडारी आदि लोगों ने मंदिर की आधारशिला रखी थी। उस वक्त मंदिर छोटा था। ज्वाला देवी हिमाचल प्रदेश से ज्योत लाकर पुरे शहर का भ्रमण कर कर मंदिर में स्थापित किया गया।
जागरण संवाददाता, धनबाद: शहर के सबसे बड़े मंदिर जोड़फाटक स्थित शक्ति मंदिर में दुर्गा पूजा पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। नवरात्र के प्रत्येक दिन दूर-दूर से श्रद्धालु आकर मां दुर्गा की पूजा अर्चना करते हैं। नवरात्र में नौ दिन तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की आराधना की जाती है।
इतिहास
शक्ति मंदिर का शिलान्यास सात दिसंबर 1998 में कमल मेंहदी, हुकुम चंद भूटानी, आनंद सचदेव, अरुण कुमार भंडारी आदि लोगों ने मंदिर की आधारशिला रखी थी। उस वक्त मंदिर छोटा था। इसके बाद 19फरवरी 1997 में ज्वाला देवी हिमाचल प्रदेश से ज्योत लाकर पुरे शहर का भ्रमण कर कर मंदिर में स्थापित किया गया। तब से लेकर आज तक प्रत्येक वर्ष 15फरवरी से 19फरवरी तक भगवान की आराधना की जाती हैं। इसके अलावा मंदिर समिति की ओर से 20 वर्षों से मरीजों के उपचार के लिए होम्योपैथिक डाक्टर द्वारा दवा दिया जाता है।
तैयारी
जोड़ाफाटक स्थित शक्ति मंदिर में नवरात्र को लेकर विशेष रूप से पुष्प सज्जा तथा विद्युत साज सज्जा किया गया है। माता के दरबार नौ प्रकार के फलों से सजाया गया है। नवरात्र में प्रतिदिन सुबह 5:15 बजे मंगल आरती, सात बजे प्रात: आरती, दस बजे विश्राम आरती, 6:30 बजे संध्या आरती, आठ बजे श्यान आरती किया जा रहा है। मंदिर में पुजारी मुकेश पांडेय, राधे श्याम पांडेय, संतोष पांडेय, जमुना पांडेय के सानिध्य में पूजा संपन्न करवाया जा रहा है। नवमी तिथि को भक्तों के लिए प्रसाद वितरण की भी व्यवस्था की गई है।
वर्जन
मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था बेहद गहरी है। इसलिए दूर-दूर से लोग हैं माता को नमन करने आते हैं।
मंदिर परिसर में कई प्रकार के भक्ति कार्यक्रम वह भागवत कथा आदि आयोजित किए जाते हैं।
-मुकेश पांडेय, पुजारी
नवरात्र के अलावा इन दिनों में भी मंदिर में श्रद्धालुओं का आना जना लगा रहता है। मंदिर में मां दुर्गा के प्रति श्रद्धालुओं की की गहरी आस्था है इसलिए नवरात्र में भीड़ उमड़ती है। दुर्गा पूजा पर प्रसाद का भी लाभ लेते हैं।
-विकास साव, पुराना बाजार