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Shaharnama Dhanbad: देख रहे थे शोले, आ धमका गब्बर; पुलिस की पेशानी पर बल

एससपी बनकर धनबाद में आते ही संजीव कुमार के सामने जज उत्तम आनंद की माैत सिरदर्द बन गया। मामले को सीबीआइ को साैंपी गई पुलिस ने राहत की सांस ली। अब हीरापुर में भीषण डकैती से पुलिस की नींद उड़ गई। एसएसपी भी परेशान हैं।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 06 Sep 2021 11:38 AM (IST)Updated: Mon, 06 Sep 2021 11:38 AM (IST)
Shaharnama Dhanbad: देख रहे थे शोले, आ धमका गब्बर; पुलिस की पेशानी पर बल
पीड़ित परिवारों से डकैती की जानकारी लेते एसएसपी संजीव कुमार ( फाइल फोटो)।

अश्विनी रघुवंशी, धनबाद। सबसे पुराना बाजार हीरापुर। बसावट भी सबसे घनी। शक्ति की देवी दुर्गा मंदिर के नजदीक अभया अपार्टमेंट में आधी रात में दो परिवार भय में आ गए। विक्टर यहां गार्ड की नौकरी करता है। बीमार था तो उसके बूढ़े पिता एंथोनी फर्नांडीस रात में रखवाली करने आए। सब फ्लैट में चले गए तो एंथोनी मोबाइल पर शोले फिल्म देखने में मशगूल हो गए। अचानक गब्बर उनके सामने आ गया। अपने साथियों के साथ। रस्सी से बांध दिया। सेवानिवृत स्टेशन मास्टर वीरेंद्र कुमार के घर पर डकैतों ने धावा बोला। पड़ोसी सागर सेन के घर का भी ताला टूटा। बदमाशी देखिए, डकैती के दौरान फ्रीज में रखे रसगुल्ले भी चट कर गए। बोतल में रखा ठंडा पानी भी गटकने में देर नहीं की। बाबू मोशाय के लिए जले पर नमक छिड़कने वाली बात हो गई। क्लाइमेक्स बाकी है। पुलिस कप्तान संजीव कुमार लगे हैैं।

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मेयर बनने की इतनी बेताबी

धनबाद नगर निगम का चुनाव होना है। निगम तीन विधानसभा क्षेत्रों को समेटा हुआ है। प्रथम नागरिक बनने की इतनी बेताबी है कि पूछिए मत। जिधर जाइए उधर दो-चार दावेदार जरूर पाइए। यहां के मेयर का पद पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित हो गया है। कई बड़े चेहरे यूं ही छंट गए। निवर्तमान मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल पिछड़ा वर्ग से है। यद्यपि, निगम को अगड़ी श्रेणी में लाने का कोई जतन वे नहीं छोड़े हैैं। अधूरे कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए वे फिर चुनाव मैदान में हैैं। उनकी ही पार्टी भाजपा के विधायक ढुलू महतो की पत्नी सावित्री देवी भी कुर्सी की दौड़ में है। पूर्व मंत्री मन्नान मल्लिक, धनबाद चैैंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष चेतन गोयनका, शमसेर आलम, अंकेश राज, अशोक पाल, रुस्तम अंसारी, राजकुमार अग्रवाल, प्रभात सुरोलिया, राजेश गुप्ता, शाहिदा कमर समेत कई नाम उभर चुके हैैं। सूची और लंबी है। इंतजार कीजिए।

रायबरेली वाले हैं, मानेंगे नहीं

नए जिलाधिकारी संदीप कुमार सिंह जब भी सड़क पर निकले, जाम मिला। कुछ लोगों से मुलाकात होनी थी। सड़क जाम के कारण विलंब के लिए उन लोगों ने खेद जताया। एक दिन जिलाधिकारी की गाड़ी भी जाम के कारण कुछ मिनटों के लिए फंस गई। साहब झनझना गए। समस्या की जड़ में गए। मालूम चला कि लंबी दूरी की बसें हो अथवा भारी वाहन, सब शहर में प्रवेश करते हैैं। समय की कोई पाबंदी नहीं। बेहद भीड़भाड़ वाले धनबाद स्टेशन रोड में बसों के पड़ाव की शिकायत मिली। फौरन रोक। आदेश निकाल दिए कि शहर में भारी वाहनों का प्रवेश बिल्कुल बंद होगा। बसें भी शहर के भीतर नहीं आएंगी बल्कि सिर्फ बरटांड़ के अधिकृत पड़ाव तक जाएंगी। कुछ लोगों ने दिमाग लगाना शुरू किया तो बस पड़ाव पर बुजुर्ग नेता बोले, मेहनत न करो। रायबरेली वाले हैैं, मानेंगे नहीं। अब आटो की बारी है।

कोयला की कालिख लगेगी ही

धनबाद में जिधर जाइए, उधर कोयला ही कोयला है। लंबी सीमा बंगाल से लगी है। उधर भी हर तरफ कोयला ही है। बंगाल हो या धनबाद-बोकारो का कोयला, औरंगाबाद या बनारस की मंडी में झारखंड होकर जाएगा। सीबीआइ भले बंगाल में अनूप माजी उर्फ लाला को घेरने में लगी है, कारोबारियों में वहां के कोयला का खिंचाव सबसे ज्यादा है। बंगाल सीमा से लगे निरसा और मैथन में सीआइडी वाले लगे थे। खुफिया जानकारी जुटाई कि कोयले की काली कमाई का सब मजा ले रहे हैैं। सीआइडी की रिपोर्ट डीजीपी तक गई। बोकारो डीआइजी मयूर पटेल को जांच की जवाबदेही मिल गए। नई-नई कुर्सी संभाले पुलिस कप्तान संजीव कुमार को अनायास नया तनाव मिल गया। जेल ब्रेक, कतरास के नीरज हत्याकांड, हीरापुर के डकैती कांड समेत एक के बाद एक हो रहे अपराध को संभाले या कोयला की कालिख में तांक-झांक करे। बहुत मुश्किल है।


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